मायूस होना, इस्तीफे देना, एक-दूसरे को नंगा करना एवं विधवा प्रलाप छोड़े, समय कम है, विधानसभा चुनाव में इस हार का बदला लें
लोकसभा चुनाव क्या हार गये? महागठबंधन के सभी दलों में मुरदन्नी छा गई है, सभी शोकाकुल हैं, नीचे से लेकर उपर तक इस्तीफे का दौर चल पड़ा हैं, विधवा प्रलाप करने में लग गये हैं, कुछ लोग अभी भी अपनी नीचतई को छोड़े नहीं हैं, वे अभी भी एक-दूसरे को नंगा करने में लगे हैं, तथा इस हार का ठीकरा एक व्यक्ति पर फोड़े जा रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि किसी भी संस्था या दल की हार या जीत का श्रेय एक व्यक्ति के मत्थे नहीं मढ़ा जा सकता, क्योंकि जीत अथवा हार में सामूहिकता बहुत बड़ा रोल अदा करती है।
अगर किसी संस्था या दल ने किसी भी प्रकार की जीत हासिल की है, तो उसका मतलब है कि उस संस्था या दल ने अपनी संस्था या दल को जीत दिलाने के लिए हर प्रकार से मेहनत की, जो हारनेवाले दल या संस्था ने नहीं की। आपको यह भूलना नहीं चाहिए कि झारखण्ड में जिस प्रकार से एक दल ने जीत हासिल की है, उसमें एक व्यक्ति का योगदान नहीं है, बल्कि उन सारे लोगों के योगदान है, जो अब तक उसकी जीत के बाद से परम आनन्द की प्राप्ति करते रहे हैं, जिन्हें खतरा था कि अगर महागठबंधन जीती तो उनके परम आनन्द, शोक में बदल सकते हैं, इसलिए उन्होंने जमकर मेहनत की, हर प्रकार से उन सारे लोगों को खरीदा, जो बाजार में बिकने को तैयार थे।
किसी को पुरस्कार देकर खरीदा, तो किसी को विज्ञापन का प्रलोभन देकर खरीदा, तो किसी को ठेका थमाकर खरीदा, तो किसी को पदोन्नति देकर खरीदा, तो किसी को पार्टी में पद देकर उसके जमीर को खरीद लिया, भले ही उस पद का उस पार्टी या संस्था में भैल्यू हो या न हो। याद रखे, लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में उनके लिए कोई खास अंतर नहीं है, कल तक जो पीएम के नाम पर वोट मांग रहे थे, आनेवाले विधानसभा चुनाव में भी वे पीएम को ही केन्द्र में रखेंगे, वे कहेंगे कि अगर राज्य का विकास करना है तो राज्य में भाजपा आयेगी और मोदी भक्त रघुवर दास का जब राज्याभिषेक होगा, तभी झारखण्ड तरक्की करेगा और उनके इस झांसे में भी लोग आयेंगे।
बचा-खुचा काम, अखबार व चैनलवाले करेंगे, पांच-छः पेज पीएम मोदी, अमित शाह और उनके चेलों के लिए आरक्षित करेंगे, माहौल बनायेंगे, एक भी निगेटिव समाचार नहीं देंगे, चाहे उसके लिए जो भी हो जाये और आपकी एक भी निगेटिव खबर आयेगी तो वे आपका बाल का खाल निकाल देंगे, यानी आपकी लड़ाई आनेवाले विधानसभा चुनाव में केवल भाजपा से ही नहीं, बल्कि इन बिके हुए अखबारों-चैनलों और उनमें कार्य करनेवाले दोयम दर्जे के पत्रकारों से भी हैं, और ये काम शुरु भी हो गया है।
यहीं नहीं, आप इधर रोने-धोने में लगे हैं, और उधर आइटी सेलवालों ने अपना काम करना शुरु कर दिया है, रघुवर दास का इमेज अभी से ही बनाने शुरु कर दिये हैं, उन्हें महान बताने की कोशिश करने लगे हैं, उन्हें लगता है कि चुनाव आते-आते वे ऐसा करने में कामयाब हो जायेंगे, वो मुख्यमंत्री जो पूरे राज्य में झूठ बोलने के लिए जाना जाता है, जो कहता है कि दिसम्बर 2018 तक अगर राज्य में 24 घंटे बिजली वह नहीं देगा तो वो वोट मांगने नहीं आयेगा, फिर भी निर्लज्जता का आवरण ओढ़कर वोट मांगता हैं, जो भारी-भरकम हाथी भी उड़ा देता हैं, जो भरी सभा में एक बलात्कार की शिकार पिता का इज्जत लूटने में, उसे जलील करने में शान समझता है।
कमाल है, जिसे बात करने की तमीज नहीं हैं, जो सदन में ही नहीं बल्कि जनसभाओं में अपने विरोधियों के लिए गाली का इस्तेमाल करता है, पर कम से आप तो ऐसे नहीं, तो फिर आप अपना मनोबल क्यों खत्म कर रहे हैं, अपना मनोबल को ऊंचा करिये, अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरिये, उन्हें कहिये, अभी वक्त किसी पर कीचड़ उछालने का नहीं, अभी खुद को मजबूत करने का हैं, और अपने दुश्मन को धूल चटाने का है। याद करिये, भाजपा में भी सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है, खुद अर्जुन मुंडा को खूंटी से लोकसभा चुनाव लड़ाकर उन्हें दिल्ली भेज, सीएम पद के लिए एक कांटा यहां से निकालने का प्रबंध कर लिया गया है।
जबकि सूत्र बताते है कि खूंटी से अर्जुन मुंडा को हराने का भी प्रबंध भाजपा के ही खासमखास लोग जो सीएम रघुवर दास के खास हैं, कर लिया था, ताकि दिल्ली में बैठे शीर्षस्थ नेताओं को बताया जा सकें कि अर्जुन मुंडा अब कोई काम के नही रहे, पर ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था। रघुवर दास अपने लिए झारखण्ड में निष्कंटक राज्य चाहते हैं, इसके लिए वे हर प्रकार के हथकंडे अपना रहे हैं, आप सभी महागठबंधन के लोग मिलकर उनके हथकंडों को जनता के सामने पर्दाफाश करें, उन्हें बताये कि ये रघुवर सरकार का जाना राज्य के लिए कितना आवश्यक हैं, नहीं तो समझ लीजिये, झारखण्ड तो रहेगा, पर झारखण्डी नहीं रहेंगे, उनकी सभ्यता-संस्कृति नहीं रहेगी, पूरे राज्य में व्यवसायियों-पूंजीपतियों का कब्जा हो जायेगा और राज्य की जनता अपनी जल-जंगल-जमीन से सदा के लिए वंचित हो जायेंगे।
आनेवाले समय में केवल ये कहानियों की किताबों में सिमट कर रह जायेंगे, लोग पढ़ेंगे और हंसेंगे कि झारखण्ड कभी एक राज्य हुआ करता था, जहां कभी आदिवासी रहा करते थे, मूलवासी रहा करते थे, आप बर्बाद होते चले जायेंगे, इसलिए राज्य हित में अपने बल को जाया होने मत दीजिये, अभी से लगिये, राज्य से रघुवर सरकार को उखाड़ फेंकिये।