पहाड़िया जनजाति के दरवाजे पर विकास की दस्तक, पहली बार रोशन हुए गांव, घरों तक पहुंचा पेयजल
संतालपरगना स्थित गोपीकांदर प्रखंड की पहाड़ियों पर निवास करने वाले पहाड़िया जनजाति के दिन बहुर रहे हैं। राज्य सरकार पहाड़िया जनजाति के दरवाजे पर विकास की दस्तक दे रही है। उनके घरों को रोशन कर गांव तक शुद्ध पेयजल पहुंचाया जा रहा है। गौरतलब है कि हेमन्त सोरेन ने मुख्यमंत्री बनते ही सभी उपायुक्तों को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया था कि कमजोर जनजातीय समूहों के लोग मूलभूत जरूरतों, यथा पानी, बिजली, स्वास्थ्य समेत अन्य सुविधाओं से आच्छादित होने चाहिए।
गांवों की हुई मैपिंग, सुधार की ओर बढ़े कदम
उनके आदेश के बाद आज गोपीकांदर प्रखंड में निवास कर रहे जनजातीय समूह के बीच बिजली और पेयजल पहुंच चुका है।पहाड़िया झारखण्ड में लुप्तप्राय जनजातियों के वर्ग में आते हैं। संतालपरगना के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में रहते हैं। इन तक मूलभुत सुविधाएं पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं था। सरकार के निर्देश पर पहाड़ियों पर स्थित उनके गांवों की मैपिंग की गई।
सरकार की ओर से नियुक्त प्रतिनिधि की उपस्थिति में संबंधित गांवों में ग्राम सभा आयोजित की गई । उनकी जरूरतों की प्राथमिकता तय हुई। उसके बाद पीडीएस प्रणाली के माध्यम से खाद्यान्न की आपूर्ति सुनिश्चित करने, शिक्षा को सुलभ बनाने, कुपोषण मुक्त करने, बिजली एवं पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करने की पहल हुई। पेयजलापूर्ति के लिये कई गांवों में सौर ऊर्जा संचालित जल आपूर्ति प्रणाली स्थापित की गई है।
दुर्गम गांवों में सौर ऊर्जा से बिजली पहुंचाने की कवायद
अधिकतर गांवों को रोशन करने के बाद दुर्गम पहाड़ी इलाका होने से कुछ गांवों तक बिजली नहीं पहुंची है। इसमें दो-तीन घरों के कुछ टोले दूर-दूर पहाड़ पर आबाद हैं, जहां राज्य सरकार अब सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर रही है। साथ ही हर घर में एक बल्ब, एक चार्जिंग प्वाइंट और उनके घरों में एक पंखा प्रदान किया जाएगा। प्रति गांव चार स्ट्रीट लाइट्स भी दी जायेंगी।
स्वास्थ्य को लेकर भी सरकार चिंतित
राज्य सरकार निकट भविष्य में पहाड़िया जनजाति को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने की कार्ययोजना पर कार्य कर रही है। उन लोगों के लिए दो मोबाइल चिकित्सा वैन दिए जाएंगे, ताकि घर पर चिकित्सा सुविधा प्रदान की जा सके। ये वैन प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए आवश्यक सभी सुविधाओं से लैस होंगे। फिलहाल इन गांवों में समय-समय पर स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। आंगनबाड़ी केन्द्रों में ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता और पोषण दिवस भी आयोजित किया जा रहा है।
टीकाकरण के प्रति हो रहे हैं जागरूक
शत प्रतिशत पहाड़िया आबादी को कोरोना का टीका देने की कवायद हो रही है। उनमें टीकाकरण के प्रति भ्रम को तोड़ने और जागरूकता पैदा करने के लिए उनके बीच से आनेवाली आंगनबाड़ी सेविका, सहिया, जेएसएलपीएस दीदी, पीडीएस डीलरों और उनके परिवारों को पहले टीका लगाया गया। इससे सामाजिक प्रभाव पैदा करने में मदद मिली। क्षेत्र में समर्पित टीकाकरण शिविर का आयोजन किया जा रहा है। लोग अब टीकाकरण केंद्रों की ओर रुख कर रहे हैं। प्रशासन का लक्ष्य 100% पहाड़िया समुदाय का टीकाकरण करना है।
आजीविका का भी ध्यान
पहाड़िया जनजाति की आजीविका के मुख्य स्रोत वनोपज, खेती और दैनिक मजदूरी है। इस जनजाति की कई महिलाएं पत्तल बनाने का काम करती हैं। इस क्षेत्र में वनोपज के रूप में खजूर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। पहाड़िया इन खुजूर को बेचते हैं, लेकिन संसाधनों की कमी और बाजार की जानकारी के अभाव में बिचौलिए हावी रहे हैं।
इससे पहाड़िया जनजाति के लोगों को उचित कीमत नहीं मिल पाती थी। अब राज्य सरकार इन्हें झारखण्ड राज्य आजीविका मिशन की योजनाओं से जोड़ रही है, ताकि इनके आर्थिक स्वावलंबन का मार्ग प्रशस्त हो सके। उन्हें बांस शिल्प निर्माण कार्य में प्रशिक्षित करने की भी योजना है।
“पहाड़ियां लोग बेहद कठिन भौगोलिक इलाकों में रहते हैं। लेकिन मुख्यमंत्री की दूरदर्शिता के साथ, प्रशासन मुद्दों को सुलझाने और इन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्हें सभी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए हैं।”