धनबाद जिला प्रशासन और बाबूलाल मरांडी को बताना चाहिए कि अग्निप्रभावित/भूधसान क्षेत्र घोषित आरएसपी कॉलेज मैदान में जनसभा का आयोजन कैसे और किसके अनुमति से हो गया?
झरिया का आरएसपी कॉलेज तो अग्निप्रभावित-भूधसान क्षेत्र है। इसी अग्निप्रभावित-भूधसान क्षेत्र होने के कारण आरएसपी कॉलेज को वहां से बंद कर दूसरे जगह स्थानान्तरित कर दिया गया तो फिर उसी अग्निप्रभावित-भूधसान क्षेत्र में बाबूलाल मरांडी की चल रही संकल्प यात्रा का जनसभा वहां कैसे आयोजित हो गया? आखिर वहां जनसभा करने की अनुमति किसने दे दी?
क्या भाजपाइयों ने वहां जनसभा करने के लिए स्थानीय प्रशासन से अनुमति ली भी थी या ऐसे ही वहां अपने मन से आयोजन कर दिया? इसका जवाब कौन देगा? जिन अखबारों ने मोटे-मोटे अक्षरों में यहां के समाचारों को अपने यहां स्थान दिया हैं, वे भी बताए कि क्या उन अखबारों ने इस मुद्दे को उठाया या वे भी सो गये? क्या अग्निप्रभावित-भूधसान क्षेत्र यह इलाका इस बात की अनुमति देता है कि वहां जनसभा जो होंगे, वो खतरे से मुक्त होंगे, उन पर कोई आकस्मिक दुर्घटना की संभावना ही नहीं हैं?
बाबूलाल मरांडी जो बार-बार हेमन्त सरकार को उनकी खामियों के लिए, उनकी गड़बड़ियों के लिए उन्हें जो घेरते रहते हैं, आखिर इतनी बड़ी गलती उन्होंने कैसे कर दी? क्या हेमन्त सरकार धनबाद के उपायुक्त से यह बात पूछने की कोशिश करेगी कि झरिया के आरएसपी कॉलेज मैदान में बाबूलाल मरांडी की जनसभा कैसे हो गई या जो लोग इसमें शामिल हैं, उन-उन लोगों पर क्या कार्रवाई होगी?
क्योंकि बार-बार गड़बड़ी करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग तो स्वयं भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी भी करते रहते हैं। जब इस संबंध में कल विद्रोही24 ने भाजपा के धनबाद परिक्षेत्र के बड़े-बड़े नेताओं से बातचीत की, तो उन्होंने ये तो स्वीकारा कि गलतियां तो हुई हैं, पर अपने ही नेता के खिलाफ वो क्या और कैसे बोले यह कहकर उन्होंने चुप्पी साध ली। सवाल उठता है कि कोई भी आकस्मिक दुर्घटनाएं बोलकर या कहकर नहीं आती।
अग्निप्रभावित व भूधसान क्षेत्र होने के कारण इस आरएसपी कॉलेज को यहां से बंद कर दूसरे जगह स्थानांतरित कर दिया गया, ऐसे में वहां जनसभा का होना, खतरे से खेलने के बराबर ही था। हालांकि प्रशासन यह कहकर निकल सकता है कि कुछ हुआ तो नहीं न, पर ये कोई जवाब भी नहीं हुआ, ईमानदारी दिखानी होगी और अपनी गलती दोनों को माननी होगी, पहला आयोजक और दूसरा प्रशासन दोनों को। साथ ही आगे भविष्य में यह भी सुनिश्चित करना होगा कि आनेवाले समय में उस स्थान पर कोई भी कार्यक्रम आयोजित न हो।