धर्म

गांधी के कंधे पर बंदूक रखकर रघुवर ने चलाई धर्मांतरण की गोली

जीहां, ऐसा ही हुआ हैं, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के कंधे पर बंदूक रखकर राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने धर्मांतरण की गोली चला दी हैं, अब सरकार बताएं कि कल जो राज्य के प्रमुख अखबारों के प्रथम पृष्ठ पर विज्ञापन छपवाएं गये, उसमें जो महात्मा गांधी के बयान को उद्धृत किया गया है, वह किस प्रमाणिक पुस्तक या किस पूर्व में प्रकाशित समाचार पत्र/पत्रिका या ऑडियों का हिस्सा है। जनता जानना चाहती है। जनता को झारखण्ड धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017 से न तो ज्यादा नाराजगी है और नहीं कोई ज्यादा खुशी, पर इस बात को लेकर नाराजगी अवश्य है कि धर्मांतरण के मुद्दे पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ऐसे बयान को प्रकाशित किया गया, जो किसी भी प्रमाणिक पुस्तक या ऑडियो में नहीं है। ऐसा किस परिस्थिति में राज्य सरकार द्वारा, किसके सलाह पर ऐसा किया गया, राज्य की जनता को यह जानने का अधिकार है।

महात्मा गांधी के बयान के रुप में जिस उद्धरण को कल अखबारों के माध्यम से राज्य सरकार द्वारा पेश किया गया, सच्चाई यह है कि उन शब्दों का इस्तेमाल कभी महात्मा गांधी ने किया ही नहीं, राज्य सरकार को ऐसे विज्ञापनों और उद्धरणों से बचना चाहिए, अथवा स्रोत देना चाहिए कि इसे कहां से लिया गया? ताकि और लोग भी उन्हें सत्यापित कर सकें, तथा सरकार का एकबाल भी बना रहे।

इधर आज विधानसभा में झारखण्ड धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017 ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।

क्या है झारखण्ड धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017 में धर्मांतरण को लेकर प्रावधान –

  • बलपूर्वक, लालच देकर अथवा कपटपूर्ण तरीके से धर्म परिवर्तन कराने पर3 साल की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माना।
  • महिला, एसटी, एससी के मामले में4 साल की सजा या 1 लाख रुपये जुर्माना या दोनों सजा संभव।
  • धर्म परिवर्तन के लिए अब डीसी से अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
  • बिना पूर्व अनुमति के किया गया धर्मांतरण अब अवैध माना जायेगा।
  • धर्मांतरण के लिए होनेवाले संस्कार या समारोह के आयोजन के लिए भी सूचना देकर जिला उपायुक्तों से पहले अनुमति लेनी होगी।
  • कानून बन जाने के बाद गैरकानूनी तरीके से धर्म परिवर्तन कराना संज्ञेय अपराध माना जायेगा और यह गैर जमानती होगा।
  • धर्मांतरण निषेध अधिनियम के अधीन के अपराध के लिए कोई भी अभियोजन डीसी या उनकी अनुमति से एसडीओ या प्राधिकृत अधिकारी ही देंगे।
  • स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन पर रोक नहीं है, लेकिन स्थानीय प्रशासन को अनिवार्य रूप से शपथ पत्र देकर इसकी सूचना डीसी को देनी होगी। उसे बताना होगा कि वह कहां, किस समारोह में और किन लोगों के समक्ष धर्मांतरण करा रहे हैं।

इधर झारखण्ड धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017 के पारित हो जाने पर भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा, हिन्दु जागरण मंच के लोगों और केन्द्रीय सरना समिति के लोगों ने खुशी जाहिर की तथा राज्य सरकार को इसके लिए बधाइयां दी, उन्हें लगता है कि ऐसा करने से अब राज्य में धर्मांतरण पर रोक लगेगा।