अपनी बात

ढुलू को किसी भी MLA-MP को डरपोक, गंजेरी व माल खानेवाला, अपने राजनीतिक विरोधियों के लिए वध शब्द करने का प्रयोग करने का अधिकार है, लेकिन अन्य को सत्य बोलने का भी अधिकार नहीं

भाजपा के इतिहास में घृणा की नई अध्याय लिखने की कोशिश अब प्रारंभ हो चुकी है। इसकी शुरुआत वैश्य समुदाय से आनेवाले मोदी व शाह के वैश्य राजनीतिक प्रतिनिधियों ने शुरु की है। इनका मानना है कि इस देश में शासन करने और किसी को आंख दिखाने की ताकत सिर्फ और सिर्फ अब उन्हीं के समुदाय में हैं। बाकी लोग चुपचाप आंख मूंदकर उनकी बातें माने, नहीं तो कारण बताओ नोटिस हाथ में लेने को तैयार रहे या पार्टी छोड़कर चले जाये।

जब तक पार्टी में मोदी-शाह रहेंगे तब तक कम से कम आदित्य साहू-रघुवर दास जैसे लोगों व कर्मवीर तथा मरांडी जैसे लोगों की ही चलेंगी, जिनको पं. दीन दयाल उपाध्याय या डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी में लोकतंत्र दिखाई देता है, वे सीधे दीन दयाल उपाध्याय या डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा बनकर उनकी प्रतिमा के साथ ही बैठ जाये। आज जिस भाजपा के राजनीतिक प्रतिनिधि को एक वार्ड पार्षद की चुनाव जीतने तक की ताकत नहीं, जो एक बार सिल्ली से चुनाव विधानसभा का लड़ा तो 2000 मतों पर ही सिमट गया।

उस व्यक्ति ने धनबाद के भाजपा विधायक राज सिन्हा, पूर्व सांसद जयन्त सिन्हा व धनबाद के कई मंडल अध्यक्षों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इन पर आरोप है कि इन्होंने भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ नकारात्मक वार्ताएं की है। लेकिन आदित्य साहू ने यही सवाल भाजपा के दबंग व सजायाफ्ता धनबाद प्रत्याशी जिसने स्वयं अखबारों में छपवाया है कि वो कितना बड़ा संत है, जो अपने अपराध के किस्से चुनाव आयोग के डर से स्वयं बड़े-बड़े अखबारों में अंग्रेजी भाषा में छपवा रहा है।

उससे ये नहीं पूछा कि वो अपने ही नेता को भरी सभा में गंजेड़ी क्यों कहा? वो यह नहीं पूछा कि वो अपने ही सांसदों व विधायक के बारे में ये क्यों कहा कि वो अपराधियों से डरता होगा या माल खाया होगा? वो अपने ही विधायक ढुलू से ये क्यों नहीं पूछा कि वो अपने राजनीतिक विरोधियों के लिए वध शब्द का प्रयोग क्यों किया? वो ये ढुलू से नहीं पूछा कि वो अपराधियों के साथ मिलकर चुनाव प्रचार क्यों कर रहा है?

मतबल साफ है कि जो सत्य पर चले उसे कारण बताओ नोटिस थमाओ और जो गुंडई करें, जो अपराधियों का महिमा मंडन करें, उसकी जय-जय करों। तो ऐसे में तो भाजपा को यह भी एक नारा देना चाहिए कि भाजपा के साथ चलें, अपराधियों के साथ चलें। जनता की रुचि रहेगी, जनता वोट देगी। हद हो गई। अब भाजपावालों ने लगता है कि शर्म और हया भी बेच डाली है। जीत सुनिश्चित करने के लिए साम, दाम, दंड व भेद तक की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।

जो मोदी लहर की बात करते थे। जनता के जगते ही सारी मोदी लहर हवा हो रही है। स्थिति ऐसी हो गई है कि जो मोदी अखबारों व मीडिया से दूर भागते थे, आजकल चिरकूट अखबारों को भी फूल पेज का इंटरव्यू दे रहे हैं और उसे टिव्ट भी कर रहे हैं। अगर यही हाल रहा तो भाजपा झारखण्ड में कहां फेकायेगी, उसे पता भी नहीं चलेगा। सच्चाई यही है कि सात लोकसभा सीटों में जहां मतदान हो चुके हैं। उसमें मात्र दो ही सीटों पर भाजपा की जीत सुनिश्चित है -पलामू एवं चतरा।

बाकी सीटों पर तो खांसने की भी ताकत नहीं हैं। इंडिया गठबंधन ने इनके नाक में दम कर रखा है। एक कल्पना ने इनकी सारी कल्पनाओ को कूंद कर डाला है। अब करेंगे क्या यही करेंगे, कारण बताओ नोटिस जारी करेंगे और भाजपा का कार्यकर्ता इनका गुलाम थोड़े ही अब बनने को तैयार है कि इनका वो जवाब भी देगा। आज तो दो दिन हो ही जायेंगे। अपना कारण बताओं नोटिस का जंतर बनाकर गला में बांध लें। हमें नहीं लगता कि कोई भाजपा कार्यकर्ता इनकी बातों का जवाब भी देगा।