अपनी बात

ढुलू तो ढुलू है, वो तो जिंदा को मार और मरे को जिंदा कर सकते हैं, ऐसे में किसी के लिए अमर रहे शब्द का प्रयोग कर दिया तो क्या हो गया? इसके लिए आसमान सिर पर उठाने की क्या जरुरत, मजे लें

ढुलू तो ढुलू है, वो तो जिंदा को मार और मरे को जिंदा कर सकते हैं, ऐसे में चंद्र प्रकाश चौधरी के लिए अमर रहे शब्द का प्रयोग नारे में कर दिया तो क्या हो गया? इसके लिए आसमान सिर पर उठाने की क्या जरुरत है। मजे लीजिये। वो इसलिए। क्योंकि जनाब, भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चहेते हैं। गृह मंत्री अमित शाह के दुलारे हैं। ओड़िशा के वर्तमान राज्यपाल रघुवर दास के कृपा पात्र हैं। बाबूलाल मरांडी के दिव्य खोज हैं।

ऐसे में ऐसे बहादुर व महान धनबाद के भाजपा प्रत्याशी ढुलू महतो पर अंगूलियां कौन उठा सकता है। देखते नहीं। उनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए झारखण्ड के भाजपा प्रभारी किस-किसके घर न जाकर माथा नवां रहे हैं। नाक रगड़ रहे हैं। आप कहेंगे कि ये सब लिखने की जरुरत क्यों पड़ गई। दरअसल जनाब ने एक और भयंकर गलती कर दी। क्या गलती कि है, जरा आप खुद सुन लीजिये …

आम तौर पर जो नारा किसी दिवंगत महापुरुष के मरणोपरांत दिया जाता है। जनाब ढुलू महतो ने वो नारा जीते जी चंद्रप्रकाश चौधरी के मत्थे मढ़ दिया। चूंकि कल यानी 6 मई को चंद्रप्रकाश चौधरी बोकारो समाहरणालय नामांकण पत्र जमा करने पहुंचे थे। जिस कार्यक्रम में ढुलू महतो भी मौजूद थे। ढुलू तो ढूलू ठहरे। मस्ती में आ गये।

ऐसे भी मस्ती में आना भी चाहिए क्योंकि गिरिडीह का एक विधानसभा बाघमारा के वे स्वयं दबंग विधायक है। ढुलू महतो टाइगर सेना भी रखे हुए हैं। ऐसे में वे दबंगई से कैसे चूकते। जोश में लगा दिया नारा। चंद्र प्रकाश चौधरी अमर रहे। उनके अंध भक्तों ने भी उनका साथ दिया। कह दिया – अमर रहे। अमर रहे। लेकिन जैसे ही आभास हुआ कि उनसे गलतियां हो गई। सुधार किया।

लेकिन तब तक देर हो चुका था। उनकी ये विडियो वायरल कर दी गई थी। लोग मजे ले रहे थे। हर कोई अपने -अपने ढंग से प्रतिक्रिया दे रहा था। कुछ कह रहे थे कि लगता है कि ढुलू के लक्षण ठीक नहीं चल रहे। कहां क्या कहना है। उन्हें पता ही नहीं चल रहा। कभी एसपी को गरिया देने की बात करते हैं तो कभी अपने ही विधायकों और सांसदों के सम्मान से खेल जा रहे हैं।

एक ओर उनकी जीत सुनिश्चित करने तथा भाजपा की एक सीट बढ़ जाये, उसके लिए इनके झारखण्ड प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी दर-दर नाक रगड़ रहे हैं और ये पार्टी व खुद की नैया डूबोने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। अगर ये नहीं सुधरे तो सुनिश्चित है कि ये तो डूबेंगे ही, पार्टी भी डूब जायेगी। ऐसे भी भाजपा के ज्यादातर कार्यकर्ता इनसे उस वक्त से नाराज ज्यादा चल रहे हैं, जब इन्होंने अपने ही सांसद व विधायक के खिलाफ विषवमन किया और गिरिडीह में तो सदा के लिए अमर ही कर दिया।