अपनी बात

क्या बोले जी, जमशेदपुर पूर्व में तो पीएम मोदी के भाषण के बाद भी हर जगह सिलिन्डर ही दिख रहा है

जमशेदपुर पूर्व का इलाका। विद्रोही24.कॉम पहुंच चुका है, जमशेदपुर पूर्व में। ऐसे तो यहां झारखण्ड विकास मोर्चा और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भी अपना उम्मीदवार दे रखा हैं, पर यहां मुख्य मुकाबला मुख्यमंत्री रघुवर दास और उन्हीं के कैबिनेट में मंत्री रहे पूर्व खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय से हैं। जनता को भी इस बार के चुनाव में बड़ा ही मजा आ रहा है।

क्योंकि पूरे देश की नजर जमशेदपुर पूर्व में आकर टिक चुकी है। हम हर जगह जा रहे हैं, महिलाओं, युवाओं, वृद्धों व बुद्धिजीवियों के बीच, इनसे हमारा एक ही सवाल हैं – यहां से कौन जीतेगा? महिलाएं मुस्कुराकर जवाब देती हैं – क्या बोले जी, यहां तो पीएम मोदी के भाषण के बाद भी हर जगह सिलिन्डर ही दिख रहा हैं।

मतलब आप समझ जाइये, यहां किसका लाइन क्लियर है। युवाओं में एक और नंबर आजकल ज्यादा लोकप्रिय हो गया है – नंबर बीस, उतारो खीस, मतलब नंबर बीस का बटन दबाओं और अपने खीस (गुस्से) को शांत कर लो, यानी अपने आक्रोश को सदा के लिए समाप्त करने का यही मौका मिला है। भाजपा में भी कई गुट है, रघुवर गुट, अर्जुन गुट, सरयू गुट। अब चूंकि सरयू स्वयं सीएम रघुवर दास को चुनौती दे रहे हैं, तो मतलब साफ है कि रघुवर गुट छोड़कर सारा गुट सरयू राय के पीछे हैं।

जमशेदपुर पूर्व में कट्टर संघनिष्ठ व्यक्तियों का दल भी मैदान में उतर गया है, चार-चार का ग्रुप हर घर दस्तक दे रहा हैं, और कह रहा है बस यही मौका है – चुपेचाप, चचा (रघुवर दास) साफ। हालांकि कई दिनों से मुख्यमंत्री रघुवर दास भी यहां जमे हुए हैं, पर जो भीड़, उत्साह या जोश सरयू राय के साथ हैं, वह भीड़, उत्साह या जोश सीएम रघुवर दास के कैंपेन में दिखाई नहीं पड़ती, कुछ जगहों में घरों के उपर कमल फूल वाले झंडे लगे हैं, पर इसकी भी कोई गारंटी नहीं कि जिन घरों में कमल फूलवाले झंडे लगे हैं, वहां से भी वोट उन्हें प्राप्त हो ही जायेंगे, क्योंकि उन घरों में भी भ्रष्टाचार के नाम पर सरयू राय को लेकर बवाल है।

सरयू राय की टीम सिर्फ अंहकार व भ्रष्टाचार पर चोट करने के लिए लोगों से सिलिन्डर को याद रखने के लिए कहती हैं, और आगे बढ़ जाती हैं, और फिर पीछे से सरयू राय की लोग चर्चा करने लगते हैं, युवाओं की टीम लोगों से कहती है कि एक बेहतर कैंडिडेट बहुत दिनों के बाद मिला है, किसी की नहीं सुननी हैं, सिर्फ सिलिन्डर देखना है, बटन दबाना है।

राजनीतिक पंडितों की मानें, तो जैसे-जैसे चुनाव का दिन नजदीक आता जा रहा हैं, सब कुछ क्लियर होता नजर आ रहा हैं, भाड़े की जुटाववाली भीड़ से आप वोट या जनता का समर्थन प्राप्त नहीं कर सकते, आपको खुद को जनता के सामने निखारना पड़ता हैं, ये लोकसभा का चुनाव नहीं कि लोग पीएम मोदी के नाम पर वोट दे दिये, यहां तो अब सिर्फ एक ही चीज चलेगा, आपने पांच साल में क्या किया।

फिलहाल मुख्यमंत्री रघुवर दास का रिपोर्ट कार्ड तो बहुत ही खराब है, और रही बात सरयू राय की तो उनसे प्रोग्रेस रिपोर्ट क्या मांगना, वो तो अभी जमशेदपुर पूर्व के लिए नये-नये है, और सभी जानते है कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उन्होंने अच्छे-अच्छों की नींद उड़ाई है, जमशेदपुर पूर्व की जनता भी चाहती है कि वे आगे भी भ्रष्टाचार पर चोट करें, इसलिए उनके साथ हैं।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो जमशेदपुर पूर्व में औपचारिकता बाकी है, माहौल बन चुका है, यत्र-तत्र-सर्वत्र कमल पर सिलिन्डर भारी नजर आ रहा हैं, मोदी के डी के बरुआ टाइप का बयान भी, अब यहां नहीं चलनेवाला हैं, इसलिए अगर जनता ये कह रही है कि यहां तो पीएम मोदी के भाषण के बाद भी हर जगह सिलिन्डर ही सिलिन्डर नजर आ रहा हैं तो वह गलत नहीं कर रही।