डिजिटल झारखण्ड के नारे को हवा में उड़ा रहा कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग
डिजिटल झारखण्ड, पारदर्शिता, जनता के प्रति समर्पण का सर्वाधिक शोर करनेवाली झारखण्ड सरकार, स्वयं कितना डिजिटल है, वह कैसे और कितना पारदर्शिता इसमें अपनाती हैं? उसका सबसे सुंदर उदाहरण है – झारखण्ड सरकार का कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग। हाल ही में इस विभाग ने गत 4 जनवरी को मुख्यमंत्री रघुवर दास के आदेश पर मुख्य सचिव राजबाला वर्मा को नोटिस जारी किया। इस नोटिस में दो बिदुओं पर उनसे स्पष्टीकरण मांगा, जिसे पन्द्रह दिनों में उन्हें जवाब देना है। नोटिस जारी करने से लेकर आज तक एक सप्ताह बीत गये, पर अभी तक कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग के पोर्टल पर इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं है।
क्या कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग की प्रधान सचिव निधि खरे या राज्य सरकार का कोई भी अधिकारी यह बता सकता है कि अभी तक विभागीय पोर्टल पर इसकी जानकारी क्यों नहीं शेयर किया गया? क्या मुख्य सचिव से संबंधित कोई भी नोटिस इस विभागीय पोर्टल पर नहीं दिये जाये, इसका कोई विशेष आदेश हैं क्या? कम से कम विभागीय प्रधान सचिव अथवा डिजिटल झारखण्ड का ढोल पीटनेवाली रघुवर सरकार को ये बात बताना ही चाहिए, नहीं तो डिजिटल झारखण्ड का ये शोर बंद कर देना चाहिए।
आश्चर्य है कि पूर्व में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अन्य अधिकारियों से संबंधित लिये गये एक्शन और उनसे संबंधित जानकारी तो पोर्टल पर अपलोड है, पर मुख्य सचिव से संबंधित कोई जानकारी एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी अपलोड नहीं की गई है, जो बताता है कि यहां डिजिटल झारखण्ड का कैसे माखौल उड़ाया जा रहा हैं? और इसका माखौल और कोई नहीं भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी ही कर रहे हैं।