सीधा सवाल – CM हेमन्त और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ही बताएं कि कुमार जयमंगल किस हैसियत से दिल्ली के होटल ताज में आयोजित इन्वेस्टर समिट में शामिल हुए?
जब से हेमन्त सरकार को अस्थिर करने के मामले को लेकर अपनी ही पार्टी के विधायकों व एक निर्दलीय विधायक को बेरमो के विधायक कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह ने कटघरे में खड़ा किया है, तब से जयमंगल उर्फ अनूप राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के चहेते बने हुए हैं। स्थिति ऐसी है कि हर छोटी-बड़ी कार्यक्रमों के साथ वे आजकल मुख्यमंत्री के साथ दिखाई पड़ रहे हैं। जिसको लेकर राजनीतिक पंडितों में उन्हें लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं।
अभी कुछ दिन पहले ही वे दिल्ली के होटल ताज में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा झारखण्ड में पूंजी निवेश को लेकर आयोजित इन्वेस्टर समिट में भी वे देखे गये। राजनीतिक पंडितों का इस पर कहना है कि दिल्ली के होटल ताज में राज्य सरकार द्वारा आयोजित इन्वेस्टर समिट में कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह का देखा जाना, घोर आश्चर्यजनक है, क्योंकि जयमंगल न तो राज्य के कैबिनेट मंत्री हैं और न ही उद्योग मंत्री, वे कांग्रेस के सामान्य विधायक है, ऐसे में उनका इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में शामिल होना क्या बताता है?
राजनीतिक पंडितों की मानें, तो इन्वेस्टर समिट में कुमार जयमंगल का शामिल होना, बहुत कुछ बता देता है, हो सकता है कि वे कांग्रेस से दूरियां बनाकर झामुमो में अपनी पैठ बनाना चाहते हो, क्योंकि बेरमो जैसे इलाके में अब कांग्रेस के नाम पर चुनाव जीत जाना मुश्किल की घड़ी है, ऐसे भी इस विधानसभा पर उनकी पकड़ अपने पिता के समान भी नहीं कि वे हमेशा जीत ही जाये, इसके लिए वे अभी से दांव-पेच करने शुरु कर दिये हैं, ताकि जब मौका मिले या जब कभी चुनाव हो, वे झामुमो का भी दामन पकड़कर चुनावी जीत प्राप्त कर लें।
राजनीतिक पंडित तो चुटकी लेते हुए ये भी कहते है कि कही ऐसा तो नहीं कि कुमार जयमंगल अभी से ही यूनियन की राजनीति शुरु करने के लिए पैतरे शुरु कर दी हो, क्योंकि जब पूंजी निवेश होगा तो यूनियनबाजी की आवश्यकता पड़ेगी ही, क्योंकि जहां मजदूर होंगे, वहां यूनियनबाजी भी होगी, हालांकि ऐसा कुछ भी फिलहाल दूर-दूर तक नजर नहीं आता, चाहे कोई कितना भी एमओयू का ढिंढोरा क्यों न पीट लें।
कुल मिलाकर, देखा जाये, तो राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर को ही इस पर अपना मंतव्य देना चाहिए कि कुमार जयमंगल किस हैसियत से दिल्ली के होटल ताज में आयोजित इन्वेस्टर समिट में शामिल हुए, इस पूरे प्रकरण में उनकी क्या भूमिका थी।
क्या इस इन्वेस्टर समिट में भाग लेने के लिए उन्होंने प्रदेश या केन्द्रस्तरीय नेताओं से राय ली थी, या अपने ढंग से ये अपनी राजनीति करेंगे और अंत में मौका देख, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा में शामिल होकर, नई राजनीति की शुरुआत करेंगे। हालांकि इस पर जितने लोग, उतनी ही बातें सुनाई पड़ रही हैं।
पर राजनीतिक पंडितों की मानें तो कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा, हर नेता-हर विधायक अपने ढंग से सोच रहा हैं, चाहे वो जयमंगल ही क्यों न हो, जब भी जिसको मौका मिलेगा, वो पार्टी को गच्चा देगा, कब देगा, कैसे देगा, कहां नहीं जा सकता, क्योंकि यहां सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा।