धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर भाजपा के ही विक्षुब्ध कार्यकर्ताओं ने अपने ही विधायक राज सिन्हा, प्रदेश मंत्री सरोज सिंह और जिलाध्यक्ष श्रवण राय का पूतला फूंक जताया आक्रोश
धनबाद के भाजपा कार्यकर्ता अभी भी मानने को तैयार नहीं हैं। उनका आक्रोश दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। लेकिन प्रदेश के नेताओं का समूह अपने दोनों कानों में चमेली का तेल डालकर आराम से सोया हुआ है। इन नेताओं को लगता है कि जैसे ही विधानसभा का चुनाव आयेगा, वे किसी भी व्यक्ति को टिकट दे देंगे, धनबाद जिले के भाजपा कार्यकर्ता उसके लिए डटकर काम करेंगे।
लेकिन दूसरी ओर राजनीतिक पंडित कहते है कि अब धनबाद के दामोदर नदी में ढेर सारा पानी बह गया है। अब कोई कार्यकर्ता प्रदेश तो दूर जिलास्तर के नेताओं को नेता मानने को तैयार नहीं। सभी अपनी ढपली अपना राग अलाप रहे हैं। विक्षुब्ध कार्यकर्ताओं का कहना है कि धनबाद में तो हद हो गया है। एक ही घर से बाप-बेटा को दो-दो पद थमा दिया गया है।
कई कार्यकर्ता यह भी कहते है कि यहां तो उसे भी पद थमा दिया गया, जो लोकसभा चुनाव में वोट देने नहीं गया। कई कार्यकर्ता तो यह भी कहते है कि यहां तो उसे भी पद दे दिया गया जो भाजपा के कार्यक्रमों में कभी शामिल ही नहीं हुआ। ऐसे में समर्पित कार्यकर्ताओं के पास इन सभी का विरोध करने के अलावे दूसरा विकल्प क्या है?
यहां के पुराने भाजपा कार्यकर्ताओं का सर्वाधिक गुस्सा धनबाद के भाजपा विधायक राज सिन्हा, प्रदेश मंत्री सरोज सिंह और जिलाध्यक्ष श्रवण राय पर हैं। जिलाध्यक्ष के बारे में यहां के भाजपा कार्यकर्ता कहते है कि वो महिला और दलित विरोधी हैं। उसके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज है। फिर भी प्रदेश के नेताओं ने उसे जिलाध्यक्ष बना दिया और इस जिलाध्यक्ष ने सरोज सिंह और राज सिन्हा के कहने पर ऐसी कमेटी बनाई, ऐसे लोगों को शामिल किया, जो किसी भी पद के लायक नहीं तथा पुराने व समर्पित कार्यकर्ताओं को साइड लगा दिया।
इन विक्षुब्ध कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर उनकी बात नहीं मानी गई तो उनका विरोध जारी रहेगा। जिसका परिणाम आनेवाले विधानसभा चुनाव पर पड़ना तय है। इधर भाजपा के अंदर चल रही उठा-पटक पर दूसरे दल के लोग मजे ले रहे हैं, वे अपने-अपने सोशल साइट पर भाजपा के अंदर चल रहे उठा-पटक का रस ले-लेकर बयान दर्ज करा रहे हैं।