राजनीति

लीजिये अब नितिन गडकरी को झेलिये, अच्छे दिन होते नहीं, मानना पड़ता है

भाजपा नेताओं ने भारत की जनता को, मतदाताओं के समक्ष 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान कैसे-कैसे झूठ बोले हैं? उन झूठ के द्वारा जनता को किस प्रकार धोखे में रखकर उनका मजाक उड़ाया गया? उनके मतों का हरण किया गया, उसका एक और उदाहरण सामने आ गया, जब आज इंडिया टूडे कॉनक्लेव में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर रह चुके, स्वयं को संघ का बहुत बड़ा स्वयंसेवक कहनेवाले और फिलहाल केन्द्र में एक महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल रहे एक शख्स नितिन गडकरी ने यह कह दिया कि अच्छे दिन कुछ नहीं होते, ये तो महसूस किया जाता है, उनका कहना था कि मानने से अच्छे दिन होते हैं।

यानी भूखमरी के शिकार लोगों, मान लो कि तुम्हारा पेट भर गया, पानी के लिए तरस रहे लोगों, मान लो कि तुम्हारा प्यास बूझ गया, नौकरी के लिए संघर्ष कर रहे बेरोजगार युवकों, मान लो कि तुम्हें नौकरी मिल गई, विदेशों में पड़े काले धन को भारत लाने का इंतजार कर रहे करोड़ों भारतीय मतदाताओं, मान लो कि देश में काला धन आ चुका है, अच्छे दिन आ गये हैं, क्योंकि देश में एकमात्र राष्ट्रभक्त नरेन्द्र मोदी का शासन है, संघ के स्वयंसेवकों का शासन हैं, हिन्दूओं का शासन है, बस यहीं मान लेने से तुम्हारी सारी समस्याएं दूर हो जायेंगी।

तुम यह भी मान लो कि तुम्हारे एकाउंट में पन्द्रह-पन्द्रह लाख रुपये आ चुके हैं, मान लो कि तुम एक अमीर देश में रह रहे हो, मान लो कि चीन क्या, तुम अमरीका पर राज कर रहे हो, और फिर तुम देखोगे कि तुम अमरीका पर राज करने लगे, ये मैं नहीं कह रहा, ये तुम्हारा-हमारा, सबका दुलारा भाजपा का नेता, नितिन गडकरी कह रहा है।

क्या मजाक बना दिया है इस देश का, इन नेताओं ने? मान लो, मान लिया, अरे मानना क्या हैं देश के मतदाताओं ने तो यह भी मान लिया है कि हमारे पास कोई विकल्प ही नहीं, इसलिए हम न चाहकर भी विभिन्न राज्यों में जाहिलों को सत्ता सौंप रहे हैं, नहीं तो जिस दिन विकल्प मिल गया, देश के मतदाताओं को मानने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी, मनवा देगी, बस वह समय आ चला है, 2019 का बस इंतजार करो, तुम्हारी सारी ऐंठन, तुम्हारी सारी गर्मी, तुम्हारी सारी वाकपटुता भारत की मतदाता निकाल देगी।

आज का नितिन गडकरी का बयान, साफ बता देता है कि इस देश में एक गरीब के परिवार का दर्द जाननेवालों का शासन नहीं, यहां शासन है, शत प्रतिशत अमीरों का, जो देश को अपने हिसाब से चला रहा हैं, जो अपने परिवार को सुनियोजित ढंग से मजबूत कर रहा हैं, और भारत को खोखला कर रहा है, वह गरीबों को उनके हाल पर छोड़ रहा हैं, और अमीरों के लिए बूलेट ट्रेन की व्यवस्था कर रहा हैं, वह गरीबों के लिए आवास या मुफ्त में गैस चुल्हा का वितरण, ठीक उसी प्रकार से कर रहा हैं, जैसे एक अमीर के घर में हो रही शादी के बाद, भिखारियों का दल कुछ पाने के लिए पंक्तिबद्ध खड़ा रहता हैं।

अरे भारत के मतदाताओं, अब भी वक्त हैं, संभलों, मार भगाओ, ऐसे लोगों को जो तुम्हारे जजबातों से खेलते हैं, जो तुम्हे तुच्छ समझते हैं, जो तुम्हें एक मतदाता के सिवा कुछ नहीं समझते, जो तुम्हें भ्रम में रखते हैं, और जो केवल जूमले बोलकर तुम्हारे सपनों पर तेजाब फेंक देते हैं, इसलिए याद रखों, आनेवाले समय में गांठ बांध कर रख लो कि किसी भी कीमत पर, ऐसे लोगों को वोट नहीं देना हैं, तथा उन मीडिया हाउस से भी दूरी बनाओ, जो ऐसे लोगों को अपने पास बुलाकर, उन्हीं की जय-जयकार करने के लिए, उन्हीं के पैसों से कॉन्क्लेव कर रहे होते हैं, जिस दिन जग गये, यकीन मानों, फिर तुम्हें कोई नेता या मीडिया हाउस, उल्लू नहीं बना पायेगा, फिर तुम्हारी शक्ति होगी, तुम यहां के सचमुच राजा होगे, फिलहाल इन लोगों ने तुम्हारी सपनों पर, तुम्हारे आंखों में ऐसा खंजर भोका है कि तुम देख पाओगे भी या नहीं, हमें संदेह हैं।