अपनी बात

हंगामा के भय से भाजपा कार्यकर्ताओं को सूचना दिये बगैर ही संसदीय चुनाव समीक्षा बैठक संपन्न, यही हाल रहा तो जमशेदपुर में भाजपा विधानसभा में ठन-ठन गोपाल हो जायेगी

जमशेदपुर में कल लोकसभा की समीक्षा बैठक थी। बैठक में रांची से प्रदेश संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह, भानु प्रताप शाही, सरोज सिंह आदि पहुंचे थे। बैठक में जीतू चरण राम आदि भी मौजूद थे। ज्ञातव्य है कि जमशेदपुर लोकसभा सीट भाजपा जीत चुकी है। यहां हार का कोई दाग नहीं था, फिर भी बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ताओं को इस बैठक में आने को निमंत्रण नहीं देना यहां चर्चा का विषय बना हुआ है।

कई सोशल साइटों पर इसको लेकर तरह-तरह की चर्चा है। लोग खुले दिल से स्वीकार कर रहे हैं कि जमशेदपुर सीट तो भाजपा निकाल ली, लेकिन विधानसभा की सारी सीटें यहां से भाजपा निकाल ही लेगी या अच्छा प्रदर्शन कर ही लेगी, इसकी संभावना दूर-दूर तक नहीं दिखती।

विद्रोही24 के सूत्र बताते हैं कि जुगसलाई एवं पोटका विधानसभा के संयोजक मंडल अध्यक्षों एवं कार्यसमिति सदस्यों से बंद कमरे में बारी-बारी से 31 बिन्दूओं पर चर्चा किया गया तथा इसे सूचीबद्ध किया गया। सूत्र बताते है कि जमशेदपुर के बहुत सारे कार्यकर्ताओं की कल की बैठक की सूचना ही नहीं थी। नाराज कार्यकर्ताओं का कहना था जिन अनुभवहीन लोगों के संयोजक मंडलियों ने एक समय भाजपा को टक्कर में ला दिया, उन्हीं लोगों के साथ समीक्षा करके रिपोर्ट को भेजना बताता है कि कई लोगों ने लोकसभा में सिर्फ पैसा खाने का काम किया।

राजनीतिक पंडितों का मानना है कि जिस प्रकार से बैठक संपन्न कराई गई है। प्रबुद्ध लोगों को इस बैठक से दूर रखा गया है। यह बताने के लिए काफी है कि भाजपा में सबकुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा। आनेवाले यानी कुछ ही महीनों में विधानसभा जब चुनाव संपन्न होंगे तो भाजपा यहां पूरे लोकसभा सीटों पर शून्य पर आउट होगी।

वो इसलिये कि कार्यकर्ताओं को नाराज कर आज तक कोई पार्टी शीर्ष पर नहीं पहुंची और न ही जीत दर्ज करा पाई है। मुचीराम बाउरी के फेसबुक सोशल साइट पर कमेन्ट्स में भाजपा कार्यकर्ता राम सिंह लिखते है कि झारखण्ड में सरकार बनाने का लक्ष्य रखा गया है, दूसरी ओर अपेक्षित लोगों को बैठक की सूचना ही नहीं दी जाती।

भूषण दीक्षित लिखते हैं कि यह जो कल समीक्षा बैठक आपलोगो के द्वारा किया गया है। इसमें कैसे लोगों को खबर थी, जो परिक्रमा करते हैं या फिर वृंदावन में राधे-राधे करते हैं। आप विधानसभा के प्रत्याशी रह चुके हैं, आपको आवाज उठानी चाहिए, विधानसभा में हमलोग मजबूत नहीं हैं। जब तक संगठन में फेर बदल न हो जाये।