धनबाद में जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान ट्रैफिक नियमों की उड़ी धज्जियां, एक मरा, एंबुलेंस जाम में फंसा
16 एवं 17 अक्टूबर को राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास धनबाद में थे। मुख्यमंत्री के इस जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान जैसी की संभावना थी कि पूरे कोयलांचल में ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ेंगी, वैसा हुआ भी। पूरे धनबाद की सड़कों पर इस दौरान भाजपा और सीएम रघुवर के चहेते बाघमारा भाजपा विधायक ढुलू महतो की टाइगर सेना के लोगों का कब्जा रहा और ये जैसे पाये, वैसे ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाते देखे गये, बिना हेलमेट के दुपहिये वाहन चलाएं, जहां मन किया, वहां सड़के जाम कर दी।
इसी क्रम में कल यानी 17अक्टूबर को एक एंबूलेंस धनबाद के महुदा में बहुत देर तक जाम में फँसा रहा, जिसमें एक बच्चा जिसको हेड इन्जूयरी थी, उसे लेकर एंबुलेंस चालक धनबाद के किसी अस्पताल में इलाज के लिए ले जा रहा था। दूसरी ओर 16 अक्टूबर को धनबाद के धनसार में बंद पेट्रोल पंप के समीप अपराह्न तीन बजे भाजपा के जुलूस में शामिल जेएच10 बी क्यू 7504 नंबर की बाइक के चपेट में आने से मोहन साव नामक सब्जी विक्रेता की मौत हो गई।
जैसे ही मोहन साव की पत्नी को इस घटना का पता चला, वह दहाड़ मारकर रोने लगी और पास के ही भाजपा के सभास्थल पर धरने पर बैठ गई, इसी बीच भाजपाइयों को मोहन साव की पत्नी का धरना पर बैठना नागवार लगा और उसे ढाढंस बंधाकर, कुछ राशि थमाकर, उसे वहां से विदा किया।
अब सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री का जन-आशीर्वाद यात्रा है, उनके लोग हर प्रकार से वो काम करेंगे ही, जिसकी कानून इजाजत नहीं देता, और इसी चक्कर में कही एंबूलेंस फंस जाये, कही किसी की मौत हो जाये, तो इसके लिए जिम्मेवार कौन हैं? मुख्यमंत्री रघुवर दास की जन आशीर्वाद यात्रा या धनबाद ट्रैफिक पुलिस, जिसने अपने कर्तव्यों का निर्वहण ठीक ढंग से नहीं किया, अगर वह अपने कर्तव्यों को ठीक ढंग से निर्वहण करती, तो निश्चय ही ये दोनों हृदय विदारक घटनाएं नहीं घटती, इसलिए अगर इसके लिए कोई दोषी हैं तो वह है धनबाद ट्रैफिक पुलिस।
तो क्या धनबाद ट्रैफिक पुलिस के वरीय अधिकारियों पर राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास कार्रवाई करेंगे, या उन्हें फ्री छोड़ देंगे, कि इन वरीय अधिकारियों के कारण ही बड़ी संख्या में भाजपा व टाइगर सेना के लोगों ने बिना हेलमेट के बाइक चलाई, उनके जुलूस में भाग लिया और भीड़ बढ़ाकर जन आशीर्वाद यात्रा के सम्मान में चार चांद लगा दिया।
सच्चाई यही है कि इस राज्य में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं हैं, जो जिस प्रकार पाता है, वो कानून से खेल जाता हैं और इसमें सहयोग करते हैं, वे आइएएस/आइपीएस जिन्हें नेता अपनी सुविधानुसार अपने लिए अपने इलाके में पोस्टिंग कराते है, जिसका फायदा सहजीविता के आधार पर दोनों उठाते हैं, चाहे उसमें दूसरे की जान ही क्यों न चली जाये।
सवाल तो यह भी उठता है कि जब राज्य में ट्रैफिक नियमों को लेकर कड़ाई से कानून को जमीन पर उतारा जा रहा था तो फिर राज्य के मुख्यमंत्री ने इसके क्रियान्वयन पर तीन महीने की रोक क्यों लगाई? जाहिर है कि मुख्यमंत्री को लगा कि इसी दौरान उनकी जन आशीर्वाद यात्रा हैं, जिसमें बड़ी संख्या में उनके ही कार्यकर्ता जमकर कानून तोड़ेंगे, बिना हेलमेट के, बिना उचित दस्तावेज के गाड़ी चलायेंगे, ऐसे में उनकी सभा में भीड़ कैसे जुटेगी?
इसलिए उन्होंने बड़ी चालाकी से तीन महीने के लिए इस पर रोक लगा दी और हवाला दिया कि आम जनता की दिक्कतों को देखते हुए ऐसा किया गया, जबकि सच्चाई यह है कि तीन महीने के अंदर चुनाव भी सम्पन्न हो जाना है, नई सरकार भी आ जायेगी और इनकी सरकार इसका चुनावी फायदा भी उठा लेगी, इसी को लेकर तीन महीने की रोक लगाई गई।
इस तीन महीने के चक्कर में ही जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान भाजपा व ढुलू की टाइगर सेना के लोगों ने जमकर अतःतः किया, जिसका परिणाम सामने हैं, एक गरीब सब्जी विक्रेता की मौत हो गई, जबकि एंबुलेंस जाम में फंस गया, जो शर्मनाक हैं, पर ये शर्म तो उन्हें लगती है, जिनको शर्म आती हैं, जो बेशर्म हैं, उन्हें शर्म कहां?