अपनी बात

मुख्यमंत्री आवास पर ईडी आई-गई, CM हेमन्त सोरेन ने भाजपा को लिया रडार पर, कहा षडयंत्रकारियों के ताबूत के कील पर आखिरी कील ठोककर दम लेंगे

आज समस्त झारखण्ड की जनता की आंखें रांची स्थित मुख्यमंत्री आवास पर टिकी थी। कई सवाल उनके मन में उमड़-घुमड़ रहे थे। आज क्या होगा? क्या मुख्यमंत्री आवास ईडी की टीम जा पायेगी? क्या आज का दिन शांति से गुजर जायेगा? सवाल-जवाब हो पायेगा? क्या मुख्यमंत्री गिरफ्तार होंगे? आखिर सभी विधायकों को मुख्यमंत्री आवास क्यों बुलाया गया है? आज बड़ी संख्या में झामुमो के कार्यकर्ता रांची मुख्यमंत्री आवास के पास क्यों जमें हैं? इतनी बड़ी संख्या में पुलिस बल की जरुरत क्यों आन पड़ी है? जैसे-जैसे दिन बढ़ रहे हैं। सभी की धड़कनें तेज थी।

लेकिन जैसे ही ईडी की टीम रात्रि के साढ़े आठ बजे मुख्यमंत्री आवास से बाहर निकली। लोगों ने राहत की सांस ली। इधर ईडी की टीम मुख्यमंत्री आवास से बाहर निकली और उधर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पैदल ही बाहर निकलकर अपने कार्यकर्ताओं के बीच पहुंच गये। बड़ी संख्या में पहुंचे कार्यकर्ता जोश से भरे थे। नारे लगा रहे थे। उनके नारे लगाने के कारण मुख्यमंत्री क्या बोल रहे हैं, ये क्लियर पता नहीं चल पा रहा था, पर जो भी विद्रोही24 के कानों तक पहुंचा।

वो यह था कि ‘झारखण्ड लड़ के लिये हैं, इस झारखण्ड को षडयंत्रकारियों के हाथ में नहीं जाने देंगे। सरकार के गठन के बाद से ही उनकी सरकार को षडयंत्रकारियों का समूह तंग कर रहा हैं, जो लोग इस षडंयत्र में शामिल हैं, उनके ताबूत में आखिरी कील ठोक कर दम लेंगे। ये हेमन्त सोरेन किसी से डरनेवाला नहीं, उनके पर को कुतरकर हम आगे बढ़ रहे हैं।’

ईडी के मुख्यमंत्री आवास से निकलने के बाद और ईडी के मुख्यमंत्री आवास प्रवेश करने के पूर्व हेमन्त सोरेन के तेवर में काफी अंतर दिखा। ईडी के मुख्यमंत्री आवास के प्रवेश करने के पूर्व वे सहज दिखे। वे अपने विधायकों व अन्य लोगों से भी सामान्य दिनों की तरह मिल रहे थे। उनके चेहरे पर किसी भी प्रकार का भय नहीं था। जो ऐसे दिनों में सामान्य लोगों के चेहरे पर दिखता है। वे सामान्य दिनों की तरह सभी से हंस-बोल रहे थे। मतलब साफ था कि ईडी आये-जाये, उनको कोई फर्क नहीं पड़ता।

लेकिन जैसे ही ईडी मुख्यमंत्री आवास से बाहर निकली। उनका तेवर आक्रामक था। वे विपक्षी दल, खासकर भाजपा को अपने रडार पर ले चुके थे। वे अपने कार्यकर्ताओं से मिले समर्थन से उत्साहित दिखे और वो सब कुछ बोले, जो उनके मन में था। उनकी बातों को सुन कार्यकर्ताओं में भी जोश उमड़ पड़ा और उनके कार्यकर्ता अपने नेता के पक्ष में उतने ही उत्साहित होकर नारे लगा रहे थे।

इधर आज सुबह से ही छोटे-मंझले-बड़े अखबारों, चैनलों, पोर्टलों तथा सोशल साइट पर इधर-उधर करनेवाले मोबाइल में भी अपना दिमाग लगानेवालों का समूह मुख्यमंत्री आवास पर मंडरा रहा था और जिसकी जितनी बुद्धि उसी बुद्धि का इस्तेमाल कर ज्ञान बघार रहा था। लेकिन सच्चाई यही है कि प्रश्न क्या ईडी पूछेगा और उसका जवाब मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की ओर से क्या मिलेगा?

इतनी जानकारी किसी के पास न थी और न हो सकने की कोई दावा भी कर सकता था। परन्तु सभी उछल जरुर रहे थे, जैसे कि ये कोई पत्रकारिता के तीसमार खां या गामा पहलवान हो। अंततः आज का दिन गुजर गया। विधि व्यवस्था में लगे पुलिस बल, सवाल का पुलिंदा लेकर आये ईडी जिन्हें खुद भी किसी अंदेशा का भय था, सुरक्षा के बीच सीएम आवास पहुंचे थे, झामुमो कार्यकर्ता ने भी राहत की सांस ली।

अब देखिये ईडी कब फिर समन जारी करता है और फिर ऐसा माहौल कब देखने को मिलता है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो ये ड्रामा आनेवाले लोकसभा-विधानसभा चुनाव तक चलता रहेगा और जब तक यह चलता रहेगा, इसका आनन्द लेते रहिये। ईडी का सवाल, सीएम का जवाब, झामुमो कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन, सड़कों पर पुलिस व्यवस्था का चाक-चौबंद नजारा का दर्शन करते रहिये।

परन्तु जो दांत पिजाकर भाजपा बैठी है कि इसका परिणाम आनेवाले लोकसभा व विधानसभा में उसको प्राप्त हो जायेगा। ऐसा कही से दिख नहीं रहा, क्योंकि राज्य की जनता को अब लगने लगा है कि हेमन्त सोरेन को केन्द्र सरकार परेशान करने में लगी है। अगर ये बातें जनता की नजरों में और गहराती चली गई तो भाजपा को लेने के देने पड़ सकते हैं, क्योंकि भाजपा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को छोड़कर, झारखण्ड में कोई ऐसा नेता नहीं जो हेमन्त सोरेन का मुकाबला कर सकें, क्योंकि चार सालों में हेमन्त सोरेन द्वारा लिये गये कुछ निर्णयों ने झामुमो की पैठ झारखण्ड में मजबूत कर दी हैं। जिसे तोड़ पाना भाजपा के लिए फिलहाल नामुमकिन है।