रांची प्रेस क्लब पर बिजली बिल का बकाया 20 लाख रुपये, ऊर्जा विभाग इसके बावजूद उस पर लूटा रहा विशेष कृपा
क्लब फॉर इन्फॉरमेशन के व्हाट्सएप्प ग्रुप में रांची प्रेस क्लब के सदस्य सुशील सिंह मंटू का एक मैसेज पूरे पत्रकारों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। इस पत्र ने एक तरह से रांची प्रेस क्लब के पदाधिकारियों का चरित्र एक तरह से उजागर कर दिया है। इस पत्र में साफ लिखा है कि इनलोगों की कृपा से अभी तक झारखण्ड के ऊर्जा विभाग का अब तक बीस लाख रुपये बकाया हो गया हैं।
जिसे अब तक दिया नहीं गया है, ये तो ऊर्जा विभाग की कृपा है, कि अभी तक रांची प्रेस क्लब की बिजली नहीं काटी, नहीं तो और जगहों पर तो ऊर्जा विभाग वाले दस हजार पर ही नोटिस थमा देते हैं, काटने को पहुंच जाते हैं। इसी मैसेज में रांची प्रेस क्लब में चल रहे फूड बाजार की भी चर्चा की गई है, जो शर्मनाक है।
कई विषयों पर तो सुशील कुमार सिंह ने रांची प्रेस क्लब के पदाधिकारियों को एक तरह से नंगा कर दिया है, पर शर्मवाले को न शर्म लगे, जिसने शर्म ही बेच दिया, उसे शर्म कैसा? फिलहाल पढ़िये वो मैसेज जो आज क्लब फॉर इन्फॉरमेशन ग्रुप में तहलका मचा रखा है…
प्रेस क्लब के साथियों
जोहार
मैनेजमेंट कमेटी की अकर्मण्यता व अदूरदर्शिता के कारण द रांची प्रेस क्लब लगातार कर्ज़ के जाल में गहरे डूबता हुआ दिखाई दे रहा है। बिजली का बकाया बिल लगभग 20 लाख रुपये हो गया है लेकिन मैनेजमेंट कमेटी क्लब के हितों की रक्षा के बजाय अपने ‘चहेतों’ को फायदा पहुंचाने में मशगूल है। अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने में हमारे क्लब का नुकसान हो रहा है। दो प्रमुख मामले आप सभी के समक्ष रखना चाहता हूँ।
- जनवरी के उत्तरार्ध में प्रेस क्लब के चौथे तल्ले पर FOOD BAZAAR खुला। करार की शर्तों के मुताबिक FOOD BAZAAR के पास प्रेस क्लब का लगभग 21 लाख रुपये का बकाया हो चुका है, लेकिन मैनेजमेंट कमेटी तगादा तक करने से बच रही है। कारण क्या है ये तो मैनेजमेंट कमिटी के सदस्य ही बेहतर बताएंगे।
करार की शर्तों के अनुसार FOOD BAZAAR को प्रेस क्लब के एकाउंट में छह माह का अग्रिम गारंटी के तौर पर जमा कराना था। जानकारी मिली है कि बगैर अग्रिम जमा कराए ही उनको कार्य करने की अनुमति दी गई। जानकारी मिली है कि फ़ूड कोर्ट ने अभी तक अग्रिम जमा नहीं कराया है।
फ़ूड कोर्ट पर प्रेस क्लब के बकाए का ब्यौरा
अग्रिम बकाया
1,30,000 गुणा 6 = ₹ 7,80,000 मात्र
मासिक रेंट बकाया
अप्रैल से जुलाई तक 1,30,000 गुणा 4 = ₹ 5,20,000 मात्र
(प्रति माह 1.3 लाख रुपये रेंट के तौर पर जमा करना था)
बिजली बिल बकाया
लगभग 25,000 गुणा 6 = ₹ 1,50,000 मात्र
(करार के अनुसार चौथे तल्ले की बिजली के बिल का भुगतान फ़ूड कोर्ट को करना था)
होल्डिंग टैक्स बकाया
लगभग 10,000 गुणा 6 = ₹ 60,000 मात्र
(करार के होल्डिंग व अन्य टैक्स का भुगतान फ़ूड कोर्ट को करना था)
लिफ्ट मेंटेनेंस बकाया
लगभग ₹ 75,000 मात्र
(करार के अनुसार लिफ्ट के मेंटेनेंस का जिम्मा फ़ूड कोर्ट प्रेस क्लब के साथ मिलकर संभालेगा)
फर्निचर का बकाया
लगभग ₹ 4,00,000 मात्र
(पुरानी एजेंसी ने फर्निचर बनवाया था, उसे खरीदने को फ़ूड कोर्ट राज़ी था, लेकिन अब तक भुगतान नहीं हुआ)
साफ-सफाई बकाया
लगभग 5,000 गुणा 6 = ₹ 30,000 मात्र
(करार के अनुसार फ़ूड कोर्ट आने-जाने वाले रास्ते में साफ-सफाई फ़ूड कोर्ट को करनी थी, अभी क्लब के कर्मचारी करते हैं)
कमरे का बकाया किराया
लगभग ₹ 50,000 मात्र
(विभिन अवसरों पर फ़ूड कोर्ट ने प्रेस क्लब के फर्निश्ड कमरे की बुकिंग कराई, लेकिन भुगतान लंबित है)
कुल बकाया = 7,80,000+5,20,000+1,50,000+60,000+75,000+4,00,000+30,000+50,000 = लगभग ₹20,65,000 मात्र
मतलब प्रेस क्लब को 20 लाख 65 हज़ार रुपये FOOD BAZAAR से लेने हैं। लेकिन तगादा नहीं हो रहा।
और लगभग 20 लाख रुपये का बिजली बिल सरकार का बकाया है प्रेस क्लब के पास और सरकार हर माह प्रेस क्लब को याद दिलाती है कि बकाया है, जमा कीजिये।
FOOD BAZAAR से बकाये के पैसे लेकर बिजली बिल का एकमुश्त भुगतान किया जा सकता है जिससे कि हर माह बिजली विभाग को लगभग 35,000 रुपये सूद के रूप में जमा न करना पड़े।
इसके अलावा FOOD BAZAAR प्रेस क्लब की बड़ी TV, CCTV, फ्रीज़, बर्तन, चूल्हा, सिलिंडर आदि का प्रयोग निःशुल्क रुप से कर रहा है। लेकिन बात-बात में कार्रवाई करने का धौंस दिखानेवाले प्रेस क्लब के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष व सह-सचिव की चुप्पी कई सवालों को जन्म दे रही है। कमेटी के नौ सदस्य भी अपनी जिम्मेवारी से नहीं भाग सकते।
- पंकज सोनी जी याद ही होंगे आप सभी को, वही जिनके “सुकर्मों” के कारण प्रेस क्लब अखबारों के पन्नों की शोभा बढ़ाता रहा। लेकिन मैनेजमेंट कमेटी ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की। ऐसे गुणी पंकज सोनी को प्रेस क्लब में कार्यक्रम का आयोजन के लिए मैनेजमेंट कमेटी फ्री में कांफ्रेंस हॉल उपलब्ध कराती है। आप और हम बुक कराएं तो 5 हज़ार लगेंगे। लेकिन पंकज बाबू को नि:शुल्क उपलब्ध कराया जाता है। एक आवेदन आता है और फीस माफ़ और आपकी हमारी बिटिया की शादी हो तो तय नियमों के हिसाब से ही भुगतान लिया जाएगा। पंकज जी से इस प्यार को क्या नाम दिया जाए ?
प्रेस क्लब मैनेजमेंट कमिटी के दानवीर क्या इतनी ही दानवीरता अपने घर के सामग्रियों के संदर्भ में भी दिखाते हैं ? नहीं ! तो क्लब के संसाधनों की दानवीरता क्यों ?
जवाब आप सब को पता है। फिर भी मैनेजमेंट कमेटी के मित्रों से आग्रह है कि अकर्मण्यता के जाल से बाहर आकर कुछ सकारात्मक काम करिये। यही आशा है।