शर्मनाक, राष्ट्रीय स्तर की पत्रिका पांचजन्य ने शुरु किया CM हेमन्त के चरित्र-हनन का प्रयास
तो क्या यह मान लिया जाय कि पांचजन्य जैसी राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका, सरस सलिल जैसी पत्रिकाओं की श्रेणियों में पहुंच चुकी है? वह पूर्व में प्रकाशित नूतन कहानियां, मनोहर कहानियां जैसी पत्रिकाओं के रिक्त स्थानों को भरने में लगी है, क्योंकि जिस प्रकार से उसने 27 दिसम्बर 2020 के अंक में झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के चरित्र-हनन का प्रयास किया, वो बताता है कि पांचजन्य जैसी पत्रिका फिलहाल बड़ी तेजी से उस ओर बढ़ रही है, जिसे कोई विचारवान अथवा चरित्रवान व्यक्ति स्वीकार नहीं कर सकता।
“सांसत में सोरेन” नामक आवरण कथा में इस पत्रिका ने भारतीय जनता पार्टी के एक निष्ठावान कार्यकर्ता की तरह झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता व राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का चरित्र-हनन का प्रयास किया हैं। जबकि स्वयं भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व में विधानसभाध्यक्ष रहे एवं नगर विकास मंत्रालय विभाग संभाल चुके सीपी सिंह विद्रोही24 से बातचीत के क्रम में कहते हैं कि इससे संबंधित सवाल एक पत्रकार ने उनसे कुछ दिनों पहले पुछा था।
जिसके जवाब में उन्होंने कहा था कि उन्हें नहीं लगता कि सीएम हेमन्त सोरेन इस प्रकार की हरकतें किये होंगे, जैसा कि उन पर आरोप लग रहा है, जबकि नेता विरोधी दल बनने को लालायित बाबू लाल मरांडी ने इस पर कुछ ज्यादा ही बोलने की कोशिश की हैं और उनके समर्थन में छुटभैये भाजपा नेताओं का ग्रुप खुब सोशल साइट पर अनाप-शनाप दिये जा रहा है। एक भाजपा नेता ने अपना नाम नहीं छापे जाने पर विद्रोही24 से कहा कि जिनके घर शीशे के हैं, उन्हें दूसरों पर पत्थर नहीं चलाना चाहिए।
सच्चाई यह है कि यह स्थिति रही तो आनेवाले समय में कोई नेता सुरक्षित नहीं रहेगा, सभी पर आरोप लगेंगे और आरोप लगने के बाद, नेता सेवा कम, जेल में ज्यादा दिखेंगे। इसलिए इस प्रकार के आरोपों-प्रत्यारोपों से बचने की जरुरत हैं। ऐसे भी राज्य की जनता को मालूम है कि देश के अन्य राज्यों में भाजपा के नेताओं पर कैसे-कैसे आरोप लगे और वे फिलहाल कैसे भाजपा पर अंगूलियां उठाने का लोगों को मौका दे दिया।
इधर बुद्धिजीवियों का मानना है कि पांचजन्य जैसी राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिका बुद्धिजीवियों के लिए वैचारिक खुराक मानी जानेवाली पत्रिका हैं, जहां राष्ट्रीयता से ओत-प्रोत खबरें होती हैं, जो लोगों को झकझोरती है, तथा उन्हें सन्मार्ग पर लाने को विवश करती है, पर इस प्रकार की अगर समाचार इसमें छपेंगे तो उन्हें पांचजन्य की जगह अपने घरों में दुसरी पत्रिकाओं को स्थान देना होगा, क्योंकि वे नहीं चाहेंगे कि उनके घर में भी ऐसी पत्रिकाओं का आगमन हो, जो किसी के चरित्र-हनन को लेकर ज्यादा दिमाग लगाती हो।
बुद्धिजीवियों का यह भी कहना है कि जैसा कि पांचजन्य और भाजपा के नेताओं का समूह, समय बता रहा है। ठीक उसी समय इन भाजपा नेताओं ने इसे मुद्दा क्यों नहीं बनाया, अब चूंकि हेमन्त सोरेन सत्ता के शिखर पर है, अपनी मेहनत से उन्होंने स्वयं रास्ता बनाया, सत्ता के शिखर तक पहुंचे, तो उन्हें जनता की नजरों में गिराने के लिए इस प्रकार का षडयंत्र काफी महंगा पड़ सकता है।
इधर हेमन्त सोरेन ने विद्रोही24 से बातचीत के क्रम में ठीक ही कहा था कि जिस प्रकार की पत्रकारिता उनके खिलाफ की जा रही हैं, अगर इसी प्रकार की पत्रकारिता दूसरे राज्यों में हो रही होती, तो उन पत्रकारों/पत्रिकाओं को पता लग जाता कि शासन क्या होता है, पर वे इन सभी बातों पर ध्यान न देकर, जिस काम के लिए जनता ने उन्हें सत्ता सौंपी है, उसी पर वे अडिग है।
बुद्धिजीवियों का कहना है कि पांचजन्य ने हेमन्त सोरेन को सत्ता से हटाने के लिए जो दुष्कर्म मामले को मुद्दा बनाकर उसका फौलोअप भी चलाना शुरु कर दिया है, वो बताता है कि पांचजन्य को यह सब लिखने के लिए कहां से खुराक मिल रहा है, खुराक कही से मिले पर पांचजन्य को अब सोचना होगा, कि पहले वाली बात नहीं, विकल्प बहुत जल्द तैयार हो रहा हैं, वो दिन दूर नहीं कि लोग पांचजन्य से सदा के लिए दूरियां बना लेंगे और वैचारिक खुराकों के लिए वे दूसरी पत्रिकाओं का सहारा लेंगे।
फिलहाल पांचजन्य कुछ भी कर लें, हेमन्त सोरेन को इससे कुछ होनेवाला नहीं, क्योंकि जनता उनके साथ है, सांसत में सोरेन का आवरण कथा प्रकाशित कर देने या भाजपाइयों के षडयंत्र करने से क्या होता है? इन आरोपों से हेमन्त सोरेन, जनता के बीच में और मजबूत ही हुए हैं। जिसको जानकारी नहीं हैं, तो वो पांचजन्य पत्रिका छोड़, झारखण्ड के जंगलों में रहनेवाले आदिवासियों-मूलवासियों का साक्षात्कार कर लें कि वे हेमन्त सोरेन के बारे में फिलहाल क्या सोच रहे हैं और भाजपा किस कदर सर्वत्र अपना नुकसान पहुंचा रही है।