चौथे चरण में भी महागठबंधन का पलड़ा भारी, कम मतदान से भाजपा को लग सकता है झटका
पहले, दूसरे, तीसरे और अब चौथे चरण के मतदान ने साबित कर दिया कि जनता परिवर्तन की राह पर चल पड़ी है। स्थिति ऐसी है कि लोग वर्तमान सरकार से इतने नाराज है कि मतदान केन्द्र तक जाना जरुरी नहीं समझ रहे और घरों में सिमटे रहे। राजनीतिक पंडितों की मानें तो यह लोकतंत्र के लिए खतरा है। जिस लोकसभा चुनाव में मतदाताओं ने बढ़-चढ़कर मतदान में हिस्सा लिया था, इस बार दूरियां बना ली।
स्थिति ऐसी है कि महागठबंधन ने भाजपा के कई महत्वपूर्ण विधानसभा क्षेत्रों में सेंध लगा दी है, आज भाजपा ये कह सकने की स्थिति में भी नहीं कि वह फलां इलाके से जीत रही हैं, ज्यादातर जगहों पर महागठबंधन के प्रत्याशियों ने कड़ी टक्कर दे दी हैं, जिससे उनकी जीत की संभावना प्रबल हो गई है।
मतदान समाप्त होते ही कई विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा कार्यकर्ताओं व नेताओं के चेहरे लटके नजर आये। कोयलांचल की सभी सीटों जैसे धनबाद, बोकारो, बाघमारा, टुंडी, झरिया, निरसा, सिंदरी आदि जगहों पर महागठबंधन ने बेहतर प्रदर्शन किये हैं। इसका मूल कारण महागठबंधन कार्यकर्ताओं में जोश व उत्साह का होना तथा जनता का मिल रहा समर्थन है।
अब पांचवा व अंतिम चरण का मतदान 20 दिसम्बर को होगा,जो संथाल का इलाका हैं, जहां झामुमो ज्यादा मजबूत स्थिति में हैं। राजनीतिक पंडितों की मानें तो आज हुई पन्द्रह सीटों में महागठबंधन को मिली सफलता का प्रभाव उस दिन भी दिखेगा। राजनीतिक पंडितों की मानें तो कोयलांचल और उसके आस-पास की सीटें भाजपा के प्रभाव वाली सीटें मानी जाती थी,पर आज के मतदान ने भाजपाइयों की परेशानी बढ़ा दी हैं। कम मतदान उन्हें सोच में डाल दिया है, हालांकि मेहनत वे कम नहीं कर रहे, फिर भी सफलता मिलेगी ही, इसकी संभावना लगता हैं, उन्हें दूर-दूर तक नहीं दिख रही।
हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें ईवीएम के चमत्कार पर भरोसा हैं, पर कुछ लोग ऐसे भी दिखे, जिनका कहना था कि ईवीएम का चमत्कार भी वहीं दिखता है, जहां की सरकार कुछ करती है, इस बार लोगों ने बेहतर झारखण्ड के लिए मतदान किया है, और वो बेहतर झारखण्ड दिखेगा भी।
कोयलाचंल के बाघमारा में ज्यादातर बुद्धिजीवियों का कहना था कि उन्होंने बाघमारा को अपराधमुक्त करने के उद्देश्य से वोट किया, जबकि बोकारो में लोगों का कहना था कि उन्हें अब नया विकल्प पर ज्यादा भरोसा है। गोड्डा, देवघर, चंदनकियारी, डूमरी, मधुपुर, जमुआ, गांडेय, गिरिडीह आदि पन्द्रह विधानसभा क्षेत्रों में ज्यादातर जगहों पर महागठबंधन और भाजपा में सीधी टक्कर दिख रही हैं, जबकि बगोदर में भाकपा माले वर्सेज ऑल है, एक-दो स्थानों पर अन्य पार्टियां भी मजबूत स्थिति में दिखी।
धनबाद के वरिष्ठ समाजसेवी विजय झा के अनुसार, राज्य में कम मतदान का होना, चिन्ता का विषय है, राजनीतिक दलों को इस पर विचार करना चाहिए कि आखिर वो कौन से कारण है कि मतदान से जनता दूर होती चली जा रही हैं, कुछ तो होगा, इस पर आज से ही वे चिन्तन करें, नहीं तो यही सिलसिला रहा तो लोगों का मतदान से विश्वास ही उठ जायेगा, जिससे आनेवाले समय में मतदान केन्द्र तो दिखेंगे,पर मतदाता नहीं दिखेंगे।
उन्होंने कहा कि इतनी सुविधा तो पहले कभी मिली ही नहीं थी, फिर भी मतदाताओं का अपने घरों से नहीं निकलना स्पष्ट कर रहा हैं कि राजनीतिक दलों ने अपने चरित्र खो दिये हैं, अब जनता का इन राजनीतिक दलों पर विश्वास नहीं रहा। निर्वाचन आयोग को चाहिए कि इस पर संज्ञान लें, राजनीतिक दलों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं के सहायता से एक नया वातावरण तैयार करें, ताकि लोकतंत्र जीवित रहे।