अपनी बात

डिजिटल प्लेटफार्म पर भी झामुमो ने भाजपा को बुरी तरह पछाड़ा, भाजपा द्वारा बनाये जा रहे रील के लाइक्स 150 में ही सिमट जा रहे हैं, जबकि झामुमो द्वारा बनाये गये रील के लाइक्स 2500 को भी पार कर जा रहे हैं

डिजिटल प्लेटफार्म पर भी झामुमो ने भाजपा को बुरी तरह पछाड़ रखा हैं। भाजपा द्वारा बनाये जा रहे रील्स के लाइक्स 150 के ही आस-पास आकर दम तोड़ दे रहे हैं, जबकि झामुमो द्वारा बनाये जा रहे रील्स के लाइक्स 2500 को भी पार कर जा रहे हैं, यहीं नहीं झामुमो के द्वारा बनाये जा रहे रील्स में कमेन्ट्स भी बड़ी संख्या में आ रहे हैं तथा उस कमेन्ट्स में निगेटिव कमेन्ट्स की संख्या न के बराबर होती हैं, जबकि भाजपा को तो कमेन्ट्स भी उतने नहीं आ रहे हैं, जितने झामुमो के झोली में चले जा रहे हैं।

उदाहरण के लिए हमने 29 अक्टूबर के दो रील्स को आपके समक्ष रखा हैं। जिसे भाजपा झारखण्ड और हेमन्त सोरेन के फेसबुक से लिया गया है, आप खुद देखें और निर्णय करें। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि डिजिटल प्लेटफार्म पर झामुमो जैसी छोटी व क्षेत्रीय पार्टी द्वारा भाजपा को हाशिये पर ले आना कोई साधारण बात नहीं हैं। इसका मतलब है कि झामुमो का अपने लोगों पर तो पकड़ हैं ही, अन्य लोगों पर भी झामुमो ने पकड़ बनानी शुरु कर दी हैं, जो भाजपा के आस-पास भी नहीं दिखती।

कमाल ये भी है कि भाजपा के पास जितनी ताकतवर टीम हैं, उतनी ताकतवर टीम तो हेमन्त सोरेन के पास है ही नहीं। फिर भी झामुमो ने जिस प्रकार बहुत ही कम लोगों में जिस प्रकार से भाजपा जैसी विश्व की सबसे बड़ी पार्टी का सामना कर रही हैं, वो सामान्य बात नहीं हैं। लोकप्रियता में भी हेमन्त सोरेन और कल्पना सोरेन के आगे भाजपा का कोई नेता यहां नहीं टिक पा रहा। जबकि भाजपा के पास नेताओं की फौज हैं।

वर्तमान में भाजपा के सारे प्रदेशस्तरीय नेता फिलहाल जुगनू की तरह टिमटिमानेवाले सिद्ध हो रहे हैं, जिनकी इतनी भी ताकत नहीं कि वो अकेले चालीस-पचास लोगों को नुक्कड़ सभा में भी इकट्ठा कर सकें। आश्चर्य यह भी है कि इन्होंने स्टार प्रचारकों की जो सूची बनाई हैं। उसमें सजायाफ्ता ढुलू महतो के नाम हैं। ऐसे-ऐसे लोगों के भी नाम हैं, जिन्हें पार्टी में ही कोई नहीं जानता, जिनकी औकात नहीं कि अपने इलाके में ही पार्टी को सम्मानजनक वोट दिला दें या अपनी ताकत से एक नुक्कड़ सभा करा सकें।

मैं उनका नाम भी दे दे रहा हूं। उनके सोशल साइट उठा कर देख लीजिये कि ये कितने अपने लोगों में लोकप्रिय है। आदित्य साहू, प्रदीप वर्मा, बाल मुकुन्द सहाय, मनोज सिंह, दीपक प्रकाश, विद्युत वरण महतो जैसे उन्हीं में से हैं और जो सचमुच अपने भाषण कला से अपने लोगों के बीच में तो लोकप्रिय हैं ही, वो आज भी कही भाषण दें तो लोग उसके भाषण पर फिदा हो जाये, ऐसे व्यक्ति को भाजपा ने बाहर का रास्ता दिखा दिया हैं। सम्मान तक नहीं दिया। स्टार प्रचारक बनाना तो दूर की बात है।

ऐसे शख्स का नाम भी बता देता हूं – राजा राम महतो। मैं तो डंके की चोट पर कहता हूं कि सुरज मंडल ने जो हाल ही में प्रेस कांफ्रेस कर भाजपा के बारे में जो आग उगला था, वो कही से गलत नहीं था। लेकिन भाजपा के लोग सुधरेंगे तब न। वो तो हेमन्त सोरेन से अपनी सड़ी-गली टीम लेकर भिड़ने चले हैं। जबकि विद्रोही24 का दावा है कि इस सड़ी-गली टीम को हेमन्त सोरेन जब चाहे, तब अपने तीर-धनुष चुनाव चिह्न से लहुलूहान कर सकते हैं और कर भी रहे हैं। झारखण्ड विधानसभा का चुनाव तो साफ बता दे रहा है कि इस बार कौन फिर से सत्ता संभालने जा  रहा है, इसमें कोई किन्तु-परन्तु तो है ही नहीं।

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