विधानसभा चुनाव में हार का डर, मंत्रियों से “घर-घर रघुवर” बोलवानेवाले CM रघुवर अब मोदी पर निर्भर
कितना अच्छा रहता नरेन्द्र मोदी, भारत के प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ भाजपा शासित राज्यों के CM भी हो जाते, हमारे विचार से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इसके लिए संविधान में संशोधन करने की जरुरत पड़े तो वह भी करवा ही लेना चाहिए, क्योंकि ऐसा मौका फिर दुबारा नहीं मिलेगा, लोकसभा में बहुमत और राज्यसभा में भी करीब-करीब वे बहुमत के करीब पहुंच ही गये हैं।
यह मैं इसलिए लिख रहा हूं, क्योंकि कल तक अपने मंत्रियों पर “घर-घर रघुवर” बोलने का दबाव बनानेवाले सीएम रघुवर को अभी से ही विधानसभा चुनाव में करारी हार तथा सीएम की कुर्सी हाथ से निकलने का भय सताने लगा हैं। तभी तो अचानक उन्होंने अपने सोशल साइट पर मोदी मंत्र का जाप करना शुरु कर दिया, जरा देखिये वे अपने फेसबुक पेज पर क्या लिख रहे हैं?
“भारतीय जनता पार्टी के सभी उम्मीदवारों को शुभकामनाएं। झारखण्ड की विकास यात्रा में यह चुनाव ऐतिहासिक है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में झारखण्ड विकास के पथ पर लगातार आगे बढ़ रहा है। आइये, विकास के इस सफर को और आगे लेकर चलें। अबकी बार 65 पार।” अब सवाल उठ रहा है कि प्रधानमंत्री भारत का नेतृत्व कर रहे हैं या झारखण्ड जैसे छोटे राज्य का, और जब झारखण्ड जैसे छोटे राज्य का वे नेतृत्व कर ही रहे हैं, तो क्यों नहीं उन्हें इस झारखण्ड राज्य का मुख्यमंत्री ही बना दिया जाये। क्या रखा हैं प्रधानमंत्री बनने में, उन्हें भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री पद पर भी सुशोभित हो जाना चाहिए।
हद हो गई। अभी कोई ज्यादा दिन नहीं हुआ हैं। कुछ दिन पहले की बात हैं। राज्य के नगर विकास मंत्री सी पी सिंह को जैसे ही पता चला, कि इस बार उनका टिकट कटनेवाला हैं, वे अंदर से हिल गये, क्योंकि उन्हें पता था कि दुनिया तभी तक किसी को सलाम करती हैं, जब तक वह सत्ता में हैं, सत्ता से निकले कि गये काम से, इसलिए उन्होंने दिमाग लगाया, सीएम रघुवर के आगे नतमस्तक हो गये, सीएम रघुवर ने दिशा-निर्देश दिया और ये “घर-घर रघुवर” अभियान में निकल गये। सी पी सिंह को इसका फायदा भी मिला, इन्हें इस बार टिकट भी मिल गया।
जबकि भाजपा में ही कई ऐसे मंत्री थे, जिन्होंने खुद को “घर-घर रघुवर” अभियान से अलग रखा और कभी भी सीएम रघुवर के आगे नहीं झूके, हालांकि इसका नुकसान भी उन्हें उठाना पड़ रहा हैं, 52 प्रत्याशियों की पहली सूची भाजपा ने जारी भी कर दी, उसमें यौन शोषण, सजायाफ्ता, हत्या व दवा घोटाले के आरोपियों, भ्रष्टाचारियों को टिकट तक थमा दिया गया, पर जिसने लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई, उस मंत्री यानी सरयू राय को अभी तक टिकट नहीं दी गई हैं, उन्हें होल्ड पर रखा गया हैं।
स्थिति यह है कि कई दलबदलूओं को टिकट दे दिये जाने से भाजपा में ही एक बड़ा तूफान खड़ा हो चुका हैं, जो कभी भी बवंडर का रुप धारण कर सकता हैं, और इसका परिणाम अबकी बार 65 पार का नारा देनेवाली भाजपा को 25 पर लाकर पटक सकता है, शायद यहीं कारण है कि सीएम रघुवर ने जिन्हें टिकट दिलवाया, उन्हें बधाइयां तो दी, साथ ही पांच साल खुद को विकास पुरुष के रुप में प्रोजेक्ट करवाने के बावजूद अंतिम समय में सारा श्रेय पीएम मोदी को दे डाला।
जबकि सच्चाई यह है कि विकास को लेकर, यहां के विपक्षी नेताओं ने सीएम रघुवर को कई बार ललकारा, बहस का निमंत्रण दिया, पर सीएम रघुवर हर बार भागते फिरे, अब चूंकि विधानसभा चुनाव में सभी डूबे हैं, क्या जनता पीएम मोदी के नाम पर रघुवर को झेलने को तैयार हैं, क्योंकि हमें तो ऐसा नहीं लगता, क्योंकि जनता ने तो परिवर्तन का मन बना लिया है।