टिकट कटने के भय से चल दिये सी पी सिंह ‘घर-घर रघुवर’ कहने, BJP कार्यकर्ताओं में भड़का आक्रोश
टिकट कटने का भय जो न करा दें, जरा देखिये न रांची विधानसभा के भाजपा विधायक और राज्य के नगर विकास एवं परिवहन मंत्री सी पी सिंह का हाल, जनाब फिलहाल “हर–हर रघुवर, जय–जय रघुवर, घर–घर रघुवर” गली–मोहल्ले में रटते चल रहे हैं और इनके साथ वे टी–वी चैनल्स भी हैं, जिनके मालिक भाजपा की कृपा से राज्यसभा का सुख उठा रहे हैं, और वे अखबार भी जो भाजपा को पुनः सत्ता में लाने के लिए दृढ़संकल्पित हैं। तभी तो उनके इस समाचार को इस प्रकार से अपने यहां स्थान दे रहे हैं कि अगर राज्य में रघुवर नहीं तो कुछ भी नहीं, यानी हद हो गई, नेता तो मर्यादा तोड़ ही रहे हैं, रांची में तो मीडिया की ऐसी हालत हो गई हैं कि वो नंगई पर उतर गई हैं।
सूत्र बताते है कि मंत्री सी पी सिंह को इस बात का अंदाजा लग चुका है कि उनकी टिकट काटने की तैयारी स्वयं राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास कर चुके हैं और राज्य के मुख्यमंत्री उनकी जगह पर अपनी जाति के किसी व्यक्ति को टिकट देकर रांची विधानसभा से उसे लड़ाना चाहते हैं, सी पी सिंह को लग रहा है कि चूंकि केन्द्र व राज्य में मुख्यमंत्री रघुवर दास के ही जाति के लोगों का बोलबाला हैं, तो उन्होंने फिलहाल रघुवर भक्ति में ही खुद को खो देना बेहतर समझा हैं, क्योंकि उन्हें अंदाजा है कि जब तक वे विधायक या मंत्री हैं तभी तक गले में माला हैं, नहीं तो गये काम से, कोई पूछनेवाला तक नहीं।
हालांकि नगर विकास मंत्री सी पी सिंह को पता है कि उनके इस कार्य से उनके समर्पित कार्यकर्ताओं में गहरा आक्रोश हैं, भाजपा कार्यकर्ता तो आज भी “घर–घर रघुवर” अभियान के खिलाफ है। उनका कहना है कि भाजपा में व्यक्तिवाद कब से प्रारम्भ हो गया? देश व राज्य के अतिप्रतिष्ठित भाजपा नेता जवाब दें। रघुवर दास ने कौन ऐसा काम कर दिया है कि जनता उन्हें अपने घरों में स्थान दे दें। मोमेंटम झारखण्ड का हाल सभी ने देख ही लिया कि हाथी उड़कर, कब और कहां धड़ाम से गिरा?
जनता यह भी देखी, कि हमारे मुख्यमंत्री ने कैसे एक गरीब बाप को भरी सभा में लताड़ते हुए, उसकी इज्जत उतारी, उस बाप की जिसकी बेटी के साथ बलात्कार कर उसे मौत के घाट उतार दिया गया और आज तक उस बेटी के बलात्कारियों को जेल के सलाखों के पीछे तक नहीं डाला गया। कमाल है महिला की सशक्तिकरण की बात करते हैं और कहते हैं कि उनकी एक रुपये में जमीन की रजिस्ट्री करा दी, जबकि सच्चाई यह है कि मकान का नक्शा पास कराने में उनसे एक प्रतिशत लेबर सेस लगाकर, उनका गला तक पकड़ लिया गया।
इसका असली फायदा तो बड़े–बड़े आइएएस–आइएएस ने उठाया, नेताओं ने उठाया, जिन्होंने अपनी बीवी के नाम पर सरकारी जमीनों पर कुंडलियां मारकर बैठ गये, नहीं तो बताये कि पूर्व डीजीपी की पत्नी के नाम पर जो 51 डिसमिल सरकारी जमीन की रजिस्ट्री हुई, उसके बारे में सरकार का क्या कहना है? मुख्यमंत्री के परिवार के लोग किस प्रकार जमशेदपुर के लोगों का हाल कर रखा हैं, वह कौन नहीं जानता? ऐसे तो राज्य की हालत इस व्यक्ति ने ऐसी कर दी है कि किसी भी जिंदगी में लोग ऐसे व्यक्ति का चेहरा देखना पसन्द नहीं करेंगे, घर में घुसने का सवाल कहा से उठता है।
भाजपा के कट्टर कार्यकर्ता विक्की सिंह कहते है कि सी पी सिंह की क्या मजबूरी है, वो सीपी सिंह जानें, पर यहां का भाजपा कार्यकर्ता सी पी सिंह को वोट देगा तो वो भाजपा के नाम पर देगा, न कि रघुवर दास के नाम पर। विक्की सिंह तो साफ कहते है कि हम किसी रघुवर दास को नहीं जानते, हम सिर्फ भाजपा को जानते हैं और उससे ज्यादा जानने की जरुरत भी नहीं समझते, अगर चुटिया में घर–घर रघुवर अभियान चलेगा तो शायद ही कोई भाजपा कार्यकर्ता उस अभियान में शामिल होगा। वे कहते है कि भाजपा में एक से बढ़कर एक नेता हुए, पर किसी ने इस प्रकार का वह भी अपने नाम पर अभियान नहीं चलाया और न ही मोदी जी ने “घर–घर मोदी” का अभियान चलाया, वो तो मोदी जी के कार्य से प्रभावित होकर भाजपा कार्यकर्ताओं और जनता ने “हर–हर मोदी, घर–घर मोदी” कह डाला।
ज्यादातर भाजपा कार्यकर्ता कहते हैं कि सी पी सिंह को इन सभी कार्यक्रमों से दूरी बना लेनी चाहिए, नहीं तो उन्हें ही दिक्कत होगी, क्योंकि रघुवर दास से ज्यादा लोकप्रिय रांची में अगर कोई हैं तो वे सीपी सिंह हैं, क्योंकि यहां रघुवर दास को कोई नहीं जानता और न जानना चाहता हैं। अब किस मजबूरी में सी पी सिंह इस प्रकार के अभियान में शामिल हो गये, उन्हें समझ नहीं आ रहा, क्योंकि अभी तक किसी मंत्री या भाजपा नेता ने ऐसे अभियान की शुरुआत नहीं की और न ही करना चाहेगा, क्योंकि भाजपा में व्यक्तिवाद न कभी था और न कभी रहेगा। रघुवर दास खुद को भगवान बनने की कोशिश कर रहे हैं, वे अपनी गलती सुधार लें, नहीं तो वे इस प्रकार से भाजपा का ही नुकसान करेंगे, भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं को भी यह जान लेना चाहिए।