अपनी बात

पहले तो खुद ढुलू ने धनबाद के पूर्व सांसद पर कड़ी टिप्पणियां की और अब ढुलू के भाजपा समर्थक और उसके टाइगर फोर्स ने पीएन सिंह के खिलाफ मोर्चा संभाला, अनाप-शनाप लिखना किया शुरू

पहले तो सिर्फ वे बाबूलाल मरांडी और रघुवर के चहेते थे। अब तो पीएम मोदी व गृह मंत्री अमित शाह के भी चहेते हो गये हैं। तभी तो धनबाद के भाजपा सांसद ढुलू महतो किसी के भी खिलाफ कुछ भी बोल देते हैं और उनसे कोई पूछता भी नहीं कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं? भला ये पूछने की ताकत किसमें हैं, किसे शामत आई है। देखते नहीं, अब तो उन्हें गृह मंत्रालय ने वाई श्रेणी की सुरक्षा तक मुहैया करा दी है, वो भी तब जबकि ढुलू की धनबाद में अपनी सेना तक है, जिसे टाइगर फोर्स भी कहा जाता है।

इनकी हिम्मत को देखिये, ये धनबाद के पूर्व सांसद पशुपति नाथ सिंह, जिन्हें आम लोग पीएन सिंह के नाम से जानते हैं। जिन्होंने तीन-तीन बार धनबाद विधानसभा का नेतृत्व किया, तीन-तीन बार धनबाद लोकसभा से सांसद बने, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे, झारखण्ड में उद्योग मंत्रालय व मानव संसाधन मंत्रालय तक को संभाला, जिस व्यक्ति पर कोई दाग तक नहीं हैं, आज उस व्यक्ति के खिलाफ धनबाद का नया-नया सांसद बना ढुलू छींटाकशी कर रहा है।

हद तो तब हो गई कि अब ढुलू तो ढुलू, अब तो ढुलू के चाहनेवाले और उनके समर्थक भी पूर्व सांसद पशुपति नाथ सिंह के सम्मान से खेलने लगे हैं और ये व्यक्ति ढुलू अपने लोगों पर लगाम तक नहीं कस रहा। राजनीतिक पंडित कहते है कि पिछले दिनों धनबाद के सिंदरी में एक कार्यक्रम था, जिसमें वर्तमान सांसद ढुलू महतो ने, पीएन सिंह पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कह दिया कि वे सोनेवाले सांसदों में से नहीं हैं। जब ये टिप्पणी पी एन सिंह के कानों पर पड़ी, तो उन्होंने एक शब्द भी ढुलू के खिलाफ बोलना उचित नहीं समझा।

लेकिन जैसे ही पत्रकारों की टीम उनके आवास पर पहुंची तो उन्होंने सीधे शब्दों में यही कहा कि वर्तमान सांसद कम पढ़े-लिखे होने के कारण कुछ भी बोल जाते हैं। लोकसभा चुनाव में भी वे सांसद और विधायक के बारे में कुछ बोल रहे थे। लेकिन पार्टी हित में उस वक्त उन्होंने बोलना उचित नहीं समझा। लेकिन वो बराबर ऐसे ही बोलते जायेंगे, और हम सुनते जाये, ये चलनेवाला नहीं हैं। आखिर हम क्या करते रात में कोलियरी-कोलियरी घूमते और कोयला लदा ट्रक गिनते?

इस प्रकार बात आई और चली गई। लेकिन इधर देखने में आ रहा है कि पीएन सिंह के खिलाफ ढुलू के समर्थकों ने अब मोर्चा खोल दिया है। ये वो लोग हैं, जो स्वयं को टाइगर फोर्स का सदस्य और भाजपा का नेता भी बताते हैं। विद्रोही24 ने ऐसे ही लोगों को सोशल साइट को खंगाला, जिससे पता चलता है कि भाजपा में किस प्रकार अपने पुराने नेताओं के खिलाफ विष-वमन का कार्यक्रम धड़ल्ले से चल रहा है और इसका समर्थन ढुलू महतो के समर्थक और भाजपा नेता भी कर रहे हैं।

मिलिये, ये हैं -आदित्य शर्मा, जो स्वयं को जनसेवक बताता है। जनसेवक आदित्य शर्मा के नाम से फेसबुक चलाता है। स्वयं को परिचय के रूप में भाजपा सह युवा नेता टाइगर फोर्स बताता है। इसने एक पोस्ट डाला है। पोस्ट में लिखा है – गडकरी जी पूर्व माननीय को पशु बोलकर पुकारते थे। मतलब जानवर शर्मनाक। आप स्वयं देखिये, उसके इस पोस्ट को और विचार करिये …

अब दूसरा पोस्ट देखिये, ये लिखता है कि धनबाद से जब एक महिला गडकरी जी से मिलने दिल्ली गई थी। तब गडकरी जी ने अभय जी को बोला था ये पशुवाला क्षेत्र से आई है ना। पशु मतलब जानवर ये गडकरी जी भी जानते हैं। शर्मनाक। इसी पोस्ट पर धनबाद भाजपा महिला मोर्चा की निवर्तमान जिला महामंत्री बॉबी पांडेय व्यग्य करती हुई लिखती है कि बड़ी पुरानी कहानी पता है आपको और ये जनसेवक स्वयं को बतानेवाला लिखता है बॉबी पांडेय एक खास ने बताया है। आप इस पोस्ट को देखिये और स्वयं विचार करिये …

छः दिन पहले लिखा था कि पान प्रिय चाचा, जनप्रिय पर ऊंगली उठाओ, तो जरा सोच समझकर उठाओ। बाकी विनम्र श्रद्धांजलि। इसी दिन ये लिखता है कि हमलोग कम पढ़े-लिखे हैं, इसीलिए अभी तक माथा खुजा रहे हैं कि टिकट कैसे कट गया। विनम्र श्रद्धांजलि। इसी दिन लिखा है कि बुढ़ऊ सठिया गया है। पान चाचा और इसी पर भाजपा नेत्री बॉबी पांडेय कमेंन्टस में लिखती है कि सदमा लगा है कुर्सी जाने का। मतलब पीएन सिंह के खिलाफ इसके साइट पर ऐसे-ऐसे कमेन्ट्स हैं कि आप आश्चर्य करेंगे।

आम तौर पर भाजपा छोड़ दूसरे दलों में जो नेता पार्टी के प्रति वफादार रहते हैं। उनका सम्मान किया जाता है। लेकिन शायद भारत में भाजपा पहली पार्टी बन गई, जहां वफादारी की ईनाम उसकी इज्जत लूटने से होता है और इज्जत लूटनेवाले कोई दूसरे दल के लोग नहीं होते, उसके अपने होते हैं। राजनीतिक पंडित कहते हैं कि ये समय का चक्र है। फिलहाल ढुलू को लगता है कि मोदी और शाह तो उसके पॉकेट में बंद है। प्रदेश के नेता तो उसके गुलाम है। उसे यह भी विश्वास है कि पैसे में बहुत ताकत है।

वो तो बाघमारा से भाजपा के टिकट पर अपने भाई को चुनाव लडाने की तैयारी भी शुरु कर दिया है। हो सकता है कि भाजपा के केन्द्र और राज्य के नेता ढुलू की जय-जयकार करते हुए उसके भाई को टिकट भी थमा दें। लेकिन जिस प्रकार की राजनीति ढुलू ने धनबाद में शुरु की है। उसका प्रभाव जल्द ही पूरे राज्य में दिखेगा। हो सकता है कि भाजपा के पुराने नेता और कार्यकर्ता प्रदेश स्तर पर अपने ही शीर्षस्त नेताओँ का विरोध करना शुरु कर दें, क्योंकि सम्मान को ताखे पर रखकर राजनीति शायद ही कोई करना चाहेगा। जैसा कि फिलहाल भाजपा में हो रहा है।

राजनीतिक पंडित कहते है कि ढुलू तो धनबाद से लोकसभा का टिकट मिलने के बाद से ही किसी को नहीं समझ रहा था। अब सांसद बन गया तो धइले नहीं धरा रहा। ऐसे में उसके समर्थक इस प्रकार की हरकते कर रहे हैं तो उन्हें कोई अतिश्योक्ति नहीं हो रही। ढुलू और ढुलू के लोगों से सम्मान की उम्मीद करना ही बेमानी है।