राजभवन में पांचवी अनुसूची को लेकर पहली बैठक, बिना ग्राम सभा की अनुमति के भूमि अधिग्रहण नहीं
राजभवन में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू की अध्यक्षता में पांचवी अनुसूची से संबंधित मामलों के लिए गठित विशेषज्ञ समूह की पहली बैठक संपन्न हो गई। बैठक में राज्यपाल ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार जनजातियों के विकास एवं कल्याण के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं चला रही है। जिसका मूल अभिप्राय है कि योजनाओं का लाभ जनजातियों को मिले। राज्यपाल ने कहा कि जनजातीय समाज में जब तक जागरुकता नहीं होगी, वे अपने अधिकार को नहीं समझ सकेंगे।
बैठक में राज्यपाल के प्रधान सचिव सतेन्द्र कुमार सिंह, डा. सत्यनारायण मुंडा कुलपति, डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, वासील कीड़ो पूर्व आयुक्त, एतवा मुंडा, पूर्व आयकर आयुक्त, संजीव कुमार बिरुली, सहायक प्राध्यापक, कोपरेटिव कॉलेज, चामी मुर्मू, पर्यावरणविद् एवं सामाजिक कार्यकर्ता पद्मश्री जमुना टूडू आदि उपस्थित थे। आज की बैठक में सदस्यों ने जो अपने विचार दिये, वो इस प्रकार है –
जनजातीय सलाहकार परिषद् की बैठक नियमित हो। बैठक वर्ष में दो बार, छः–छः माह के अंतराल पर होनी चाहिए, ताकि जनजातीय मुद्दों पर गहन विचार–विमर्श हो सके। इसके अंतर्गत राज्यपाल के समक्ष आये किसी गंभीर विषय को आवश्यक समझने पर आगामी टीएसी बैठक के लिए रखा जाय। सामाजिक एवं जमीन से जुड़े व्यक्ति को इसके सदस्य के रुप में सम्मिलित किया जाये।
पेसा कानून पर राज्य का नियमावली नहीं होने के कारण इसे क्रियान्वयन करने में परेशानी हो रही है, राज्य को जल्द से जल्द अपनी नियमावली बनानी चाहिए। केन्द्र व राज्य सरकार की नौकरी के लिए मांगे जाने वाले जाति प्रमाण पत्र बनवाने में परेशानी के साथ समय भी लगता है।
डा. राम दयाल मुंडा जनजातीय संस्थान, रांची को सक्रिय किया जाय, सभी स्वीकृत पदों को अविलम्ब भरा जाये। जनजातीय संस्थान में 26000 पुस्तकें हैं, लेकिन अभी आशानुकूल गतिविधियां नहीं है। अनुसूचित जनजातियों की समस्याओं के लिए निराकरण के लिए अनुसूचित जनजाति आयोग का गठन हो। भाषा, संस्कृति, संरक्षण एवं संवर्द्धन तथा विकास के लिए जनजातीय भाषा अकादमी की स्थापना कर गतिशील बनाया जाय। आदिम जनजातियों की भाषा–संस्कृति की रक्षा के लिए प्रलेखन हो।
नौकरी के क्षेत्र में बाह्य स्रोतों से बहाली न हो। तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग की नौकरी में स्थानीय लोगों के हितों का ध्यान रखा जाये, संविदा बहाली में रोस्टर का पालन हो। राज्य के जनजाति उपयोजना क्षेत्र पर किये जानेवाले व्यय के अनुश्रवण की उचित व्यवस्था हो। आदिवासी भूमि का अवैध स्थानान्तरण पर रोक लगे।
वन–उत्पादों का सही मूल्य आदिवासियों को मिले, इसके लिए लोगों को जागरुक करने की आवश्यकता है। वन उत्पाद के उचित मूल्यों का वाल पेंटिंग गांव–गांव मे किया जाय ताकि लोग जागरुक होकर अपने वन–उत्पादों का सही मूल्य ले सकें। इसे बिचौलियों के हाथ में न बेचकर सहकारी समितियों द्वारा क्रय–विक्रय का कार्य शुरु किया जाय ताकि वन उत्पादों का सही मूल्य उन्हें मिले।
पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण के लिए ग्राम सभा की अनुमोदन की आवश्यकता है, परन्तु नियमावली की जानकारी ग्राम सभा को नहीं हैं। विकास परियोजनाओं के लिए आवश्यकता से अधिक जमीन का अधिग्रहण नहीं हो। यह देखा गया है कि पूर्व में जितनी आवश्यकता है, कई गुणा जमीन अधिग्रहण किया गया है। मुआवजा समय पर मिले, अगर भूमि में वृक्ष हो तो उसका मुआवजा भी मिले।