अपनी बात

पहली बार झारखण्ड में न डायरी, न कैंलेन्डर और न दूरभाष निर्देशिका, बिना इन तीनों के चल पड़ा झारखण्ड, जनता से कैसे बनेगा संबंध?

किसी भी राज्य में नये साल के आगमन के पूर्व ही, वहां की सरकार राज्य की जनता से बेहतर संबंध बनाने के लिए नये साल की डायरी, नये साल का कैलेन्डर और दूरभाष निर्देशिका जारी कर देती है, ताकि नये साल में लोगों को उन तमाम मंत्रियों/नेताओं/अधिकारियों/संस्थानों के सम्पर्क नंबर प्राप्त हो जाये, जिनसे लोगों का सम्पर्क बराबर होता रहता है।

राज्य सरकार का कैलेन्डर भी जनता के लिए कम महत्वपूर्ण नहीं होता, साल में कितनी छुट्टियां होगी, कब कौन से पर्व-त्यौहार पर सरकार ने क्या नजरियां रखा है, वह उक्त कैलेन्डर से स्पष्ट हो जाता हैं, तथा उसी अनुसार विभागीय अधिकारी अपना कार्य तय कर लेते हैं, जबकि छोटी सी दूरभाष निर्देशिका तो इतनी महत्वपूर्ण होती है कि वह अगर नहीं रहे तो कई अधिकारियों/सामाजिक कार्यकर्ताओं को ऐसा लगता है कि कुछ चीजें छूट सी गई हैं, क्योंकि कब किससे कौन काम पड़ जाये, उसमें ये छोटी सी पॉकेट में अट जानेवाली दूरभाष निर्देशिका बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

दुर्भाग्य देखिये, 2020 का अप्रैल माह बीतने को आया, इस राज्य में नये मुख्यमंत्री, नया मंत्रिमंडल, नये मुख्य सचिव, नये डीजीपी, नये मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव, मुख्यमंत्री के आप्त सचिव, प्रेस सलाहकार, नये विधानसभाध्यक्ष तक बदल गये, पर राज्य की जनता को पता ही नहीं कि उनके नंबर क्या हैं? क्योंकि जिन माध्यमों से लोगों को पता चलना था, उस पर ध्यान किसी ने दिया ही नहीं, और न ही कोई विशेष प्रयास किये गये।

दरअसल ये काम हैं, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग का, पर सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग का अब तक कोई प्रधान सचिव ही नहीं है, जो नये निदेशक आये हैं, वे भी भगवान के बलिहारी है, पूर्व रघुवर दास सरकार में इनके कमाल सभी ने देखे हैं, इस बार भी हेमन्त सोरेन की इन पर कृपा बरस गई हैं, नतीजा दिखने भी लगा है, चलिये इससे हमें क्या? जो करेगा, सो भरेगा, ये सभी को गांठ बांध लेनी चाहिए।

सूत्र बताते है कि अब चूंकि अप्रैल महीना बीतने को आया और राज्य में लॉकडाउन हैं, ऐसे में इस साल 2020 की डायरी, कैलेन्डर और दूरभाष निर्देशिका को भूल जाइये, पूर्व में जो रघुवर सरकार में बनी दूरभाष निर्देशिका से काम चलाइये और कैलेन्डर के लिए बाजार में बिकनेवाले ठाकुर प्रसाद टाइप कैलेन्डर का प्रयोग कीजिये, सच्चाई है कि हेमन्त सरकार में तथा यहां के दूरदर्शी अधिकारियों के रहते खासकर इस लॉकडाउन की स्थिति में डायरी/कैलेन्डर/दूरभाष निर्देशिका छपने से रहा।

क्योंकि न तो राज्य सरकार और न ही सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग को इसमें दिलचस्पी हैं, पर विभाग के एक बड़े अधिकारी को इस बात में दिलचस्पी जरुर है कि कैसे अपने लोगों को, भाजपा से जुड़े लोगों को सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में एक बार फिर उसी प्रकार मुस्तैद करा दें, जैसा कि पूर्व में था, सूचना यह भी है कि वो संस्थान फिर से मुस्तैद भी हो गयी हैं, राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के खासमखास लोगों ने उन पर कृपा बरसा दी हैं, खुद मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने उनके लोगों का वहां जाकर हौसला भी बढ़ा आये हैं, ऐसे में अगर कोई अपना घर खुद जलाये तो उसे कौन बचाये?