राजनीति

पहली बार विपक्ष नहीं बल्कि सत्तापक्ष ने करोड़ों के घोटाले को लेकर सरकार को घेरा, पूछा कि रोकड़पाल पर FIR, तो कार्यपालक अभियंता पर क्यों नहीं, स्पीकर ने कोई हल निकलता नहीं देख, इस सवाल को एक सप्ताह के लिए किया स्थगित

आज झारखण्ड विधानसभा के बजट सत्र का सातवां दिन था। जैसे ही छह मिनट विलम्ब से सदन प्रारंभ हुआ। पहला सवाल प्रदीप यादव का था। प्रदीप यादव ने सीधा सवाल किया कि जब सरकार इस बात को मानती है कि स्वर्ण रेखा परियोजना के अधीन शीर्ष कार्य प्रमंडल में फर्जी खाता खोलकर करोड़ों रुपये की अवैध निकासी हुई हैं। वित्त विभाग ने इसे अपनी जांच रिपोर्ट में स्वीकार भी किया है।

प्रदीप यादव ने यह भी कहा कि सरकार यह भी मानती है कि रांची अंतर्गत फर्जी खाते के माध्यम से राशि की निकासी कर रोकड़पाल संतोष कुमार के खाते में जमा कराने का मामला प्रकाश में आया है। संतोष कुमार, रोकड़पाल को पेयजल एवं स्वच्छता स्वर्णरेखा शीर्षकार्य प्रमंडल रांची को निलंबित भी कर दिया गया है। उसके विरुद्ध रांची में प्राथमिकी भी दर्ज कर दी गई। वर्तमान में संतोष कुमार जेल में भी हैं।

प्रदीप यादव ने यह भी कहा कि सरकार यह भी मानती है कि वित्त विभाग द्वारा उपलब्ध कराये गये जांच प्रतिवेदन में उल्लेखित प्रथम दृष्टया दोषी पेयजल एवं स्वच्छता विभाग अंतर्गत कार्यरत पदाधिकारियों/कर्मियों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही संचालित की गयी है – जिसमें प्रभात कुमार सिंह, तत्कालीन कार्यपालक अभियंता, चंद्रशेखर कार्यपालक अभियंता, राधेश्याम रवि तत्कालीन कार्यपालक अभियंता और संजय कुमार निम्नवर्गीय लिपिक। इसके बावजूद इन कार्यपालक अभियंताओं के खिलाफ प्राथमिकी क्यों नहीं हो रही।

जब सरकार मान नहीं कि कार्यपालक अभियंता दोषी, तो प्राथमिकी दर्ज करेः स्टीफन मरांडी

इस सवाल का जवाब दे रहे विभागीय मंत्री द्वारा संतोष जनक उत्तर नहीं दिये जाने पर सत्तापक्ष के वरिष्ठ नेता स्टीफन मरांडी ने कहा कि जब सरकार मान रही हैं कि ये दोषी हैं तो उस पर प्राथमिकी क्यों नहीं कर रही, ये कार्यपालक अभियंता को बचाने की कोशिश क्यों की जा रही हैं। सत्तापक्ष के ही वरिष्ठ नेता रामेश्वर उरांव ने कहा कि मामला संगीन है, किसी को बचाने की कोशिश न की जाये। ये 100 करोड़ घोटाले का मामला है, प्राथमिकी होनी ही चाहिए, जैसे ही प्राथमिकी होगी, जांच का दायरा बढ़ेगा, संबंधित व्यक्ति पर कानून अपना काम करेगा।

इसी बीच प्रदीप यादव ने फिर कहा कि बिना कार्यपालक अभियंता के मिलीभगत के विपत्र का भुगतान तो संभव ही नहीं। जिस पर मंत्री ने कहा कि विभाग ने ही गड़बडी को पकड़ा है। संतोष रोकड़पाल ने 30 करोड़ रुपये अपने एकाउंट में ट्रांसफर किये हैं। इसलिए उसके खिलाफ कार्रवाई हुई। प्राथमिकी हुई। अन्य के खिलाफ भी जांच चल रही हैं, जैसे ही जांच पूरी होगी। आगे की कार्रवाई होगी। कठोर से कठोर कार्रवाई होगी।

कार्यपालक अभियंता के खिलाफ एफआईआर से कम मंजूर नहीः प्रदीप यादव

मंत्री के जवाब से नाराज प्रदीप यादव ने कहा कि उन्हें एफआईआर से कम मंजूर नहीं हैं। अब जांच किसकी हो रही हैं। जब यह स्पष्ट है कि पैसे की निकासी हुई है। रोकड़पाल और कार्यपालक अभियंता उसमें इन्वॉल्व हैं। सरकार एफआईआर कराने से भाग क्यों रही, इससे तो सरकार का ही नाम होगा, इससे सरकार की बेइज्जती नहीं होगी।

ये कठोर से कठोर कार्रवाई क्या होता हैः मथुरा महतो

इसी दौरान सत्तापक्ष के मुख्य सचेतक मथुरा महतो ने कहा कि सरकार गंभीरता से इस मुद्दे को लें। ये कठोर से कठोर कार्रवाई क्या होता है? अरे जो कानून में होगा, वहीं न कार्रवाई होगा, इस पर सीधे सरकार को एक्शन लेना चाहिए। मंत्री सुदिव्य सोनू ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि नैसर्गिक न्याय का तकाजा है कि कोई निष्कर्ष पर निकलने के पहले मामले की जांच हो जाये, एफआईआर क्या हैं, फर्स्ट एक्शन रिपोर्ट ही भर तो हैं।

हेमलाल मुर्मू ने कहा कि कार्यपालक अभियंता के बिना तो रोकड़पाल इतनी बड़ी राशि निकाल ही नहीं सकता। केवल विभागीय कार्रवाई करना और प्राथमिकी दर्ज नहीं करना गलत होगा। सत्तापक्ष के इतने बड़े-बड़े माननीयों द्वारा इस प्रकार सदन में बातें आने पर स्पीकर रवीन्द्र नाथ महतो ने कहा कि जब सभी माननीय कार्यपालक अभियंता के खिलाफ प्राथमिकी की मांग कर रहे हैं तो मंत्री जी को क्या दिक्कत हो रही है। अब तो वे एक्शन लें।

अगर हमारी बात नहीं मानी गई तो हम वेल में धरने पर बैठ जायेंगेः प्रदीप

सत्तापक्ष द्वारा लगातार सरकार को घेरता देख विपक्ष के नवीन जायसवाल ने कहा कि विभाग लीपापोती कर रहा है, जो गलत किया है, उसे सजा मिले, जब सत्तापक्ष को अपनी जायज मांग के लिए इतनी मशक्कत करनी पड़ रही हैं। तो हम विपक्ष का क्या होगा? इधर प्रदीप यादव ने साफ कह दिया कि उन्हें कार्यपालक अभियंता के खिलाफ एफआईआर से कम मंजूर ही नहीं। अगर उनकी बातें नहीं मानी गई तो वे वेल में धरने पर बैठ जायेंगे।

इस पूरे प्रकरण पर जवाब दे रहे मंत्री योगेन्द्र महतो ने कहा कि उन्हें एक हफ्ते का मौका दिया जाये। स्पीकर का मूड थोड़ा ठीक नहीं लगा। उन्होंने बड़े ही भरे मन से प्रदीप यादव के बातों को यह कहते हुए स्वीकार किया कि इस प्रश्न को ही एक सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दिया जाता है। यानी यह मामला एक सप्ताह बाद सदन में उठेगा और उस दिन लगता है कि हंगामा तय है। प्रदीप यादव का यह प्रश्न तो हल हुआ नहीं, लेकिन इस पूरे प्रकरण में 24 मिनट बीत गये।