झारखण्ड में अगली बार महागठबंधन सरकार, हेमन्त होंगे सीएम, रघुवर की विदाई तय
विद्रोही 24.कॉम ने बहुत पहले ही घोषणा कर दी थी कि जैसी राजनीतिक आबो-हवा झारखण्ड में चल रही हैं, उसमें आनेवाले समय में, राज्य में हेमन्त सोरेन के अलावा महागठबंधन के पास सीएम के लिए कोई विकल्प नहीं हैं, और लीजिये कल उस पर मुहर भी लग गई, जब राज्य के प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने इस बात की घोषणा कर दी कि राज्य में होनेवाले विधानसभा चुनाव में विपक्ष के सीएम उम्मीदवार हेमन्त सोरेन होंगे।
हमें लगता हैं कि विपक्ष को अब कुछ करना नहीं है, बस अपने अंदर एकता बनाये रखनी है, अगर ये एकता कायम रही, तो रघुवर दास जैसे व्यक्ति और उनके कुनबे को चुटकियों में राज्य से गायब किया जा सकता है, क्योंकि रघुवर दास ने पिछले चार सालों में खुद को अक्षम, बड़बोला और शोषक के रुप में ही जनता के सामने खुद को स्थापित किया है, जबकि अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच तो वे इतने अलोकप्रिय है, कि कार्यकर्ता भी उन्हें देखना पसन्द नहीं करते।
स्वयं मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा लिये गये कई निर्णय ऐसे हैं, जिससे राज्य की कोई जनता प्रसन्न नहीं है, यहीं कारण रहा कि यहां जब भी विधानसभा के उपचुनाव हुए, तो गोड्डा को छोड़कर, इन्हें हर जगह मुंह की खानी पड़ी, फिर भी पता नहीं केन्द्र में बैठे शीर्षस्थ नेताओं तथा संघ के वरिष्ठतम लोगों को इस व्यक्ति में क्या नजर आता है, कि वे इन्हें माथे पर बिठाने में ज्यादा रुचि दिखाते है, जबकि एक बार रांची स्थित संघ कार्यालय में ही केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी के समक्ष मुख्यमंत्री रघुवर दास की एक संघ से जुड़े महत्वपूर्ण व्यक्ति ने बुखार छुड़ा दिया था।
संघ से जुड़े उस व्यक्ति ने तो यहां तक नितिन गडकरी को कह दिया था कि आप संघ कार्यालय आये, पर इन्हें क्यों लेते आये। यहीं कारण था कि जब अमित शाह का दौरा हुआ तो उस व्यक्ति को संघ से जुड़े मुख्यमंत्री के खासमखास लोग, जो फिलहाल दोनों हाथों से सरकार का फायदा उठा रहे हैं, अमित शाह के कार्यक्रम से उस व्यक्ति को दूर रखा ताकि वह फिर से रघुवर दास की किरकिरी न कर दें।
खैर, इधर हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में महागठबंधन चुनाव लड़ेगा, हमे लगता है कि इस घोषणा से ही सिर्फ भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं के होश उड़ गये होंगे, क्योंकि जिस प्रकार से विपक्ष के नेताओं को सुनने के लिए विभिन्न स्थानों पर जनता जुट रही है, वो बता रहा है कि इस राज्य में भाजपा कितनी अलोकप्रिय हो चुकी हैं, और इस अलोकप्रियता के मूल कारण रघुवर दास की हठधर्मिता, कनफूंकवों के साथ उनका जुड़ाव तथा संघ से जुड़े उन व्यापारियों से इनका जुडाव, जिसने अपने फायदे के लिए पूरे संघ को ही दांव पर लगा दिया है।
इधर महागठबंधन की कल की विशेष बैठक में इस बात की घोषणा कि सीटों पर समझौता 30 जनवरी को फाइनल हो जायेगा, एवं 30 जनवरी से पहले सभी विपक्षी दलों का शीर्ष नेतृत्व सीटों की दावेदारी के लिए व्यवहारिक एजेंडा तय कर लिया जायेगा, बता दे रहा है कि अगली सरकार राज्य में महागठबंधन की होगी, और अब केवल औपचारिकता ही मात्र शेष है। कल की वैठक में दस पार्टियों के नेताओं ने भाग लिया, जो बता दिया कि आनेवाले समय में भाजपा की घिग्घी बंद होनी तय है।