झारखंड में अभूतपूर्व बिजली कटौती के लिए राज्य की ठेका पट्टा कंपनी वाली यह निकम्मी हेमन्त सरकार जिम्मेवार – दीपक
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सह राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश ने झारखंड में अभूतपूर्व बिजली कटौती के लिए राज्य सरकार पर कड़ा हमला बोला है। श्री प्रकाश ने कहा कि झारखंड में अभूतपूर्व बिजली कटौती के लिए राज्य की ठेका पट्टा कंपनी वाली यह निकम्मी सरकार जिम्मेवार है। राज्य के सुदूरवर्ती इलाके को छोड़िए, राजधानी रांची में त्राहिमाम मचा है।
इसी व्यवस्था में भाजपा की सरकार बिजली आपूर्ति दुरुस्त रखती है परंतु वर्तमान सरकार बनते ही बिजली की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। स्पष्ट है कि कहीं कोई समस्या नहीं है। समस्या केवल राज्य सरकार के प्रबंधन में है। झारखंड सरकार उपभोक्ताओं को पर्याप्त बिजली नहीं दे पा रही है तो यह उसकी विफलता है। अपनी विफलता को केंद्र पर मढ़ना राज्य सरकार की पुरानी आदत रही है। राज्य सरकार पर “नाच ना जाने, आंगन टेढ़ा” वाली कहावत पूरी तरह फिट बैठती है।
श्री प्रकाश ने कहा कि पिछले दिनों राज्य के दौरे पर आए आदरणीय केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने साफ कहा कि देश में पर्याप्त मात्रा में बिजली है। बिजली चाहिए तो समय पर पैसे का भुगतान तो करना होगा। केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार किसी भी राज्य के साथ भेदभाव नहीं कर रही है।
श्री प्रकाश ने कहा कि यही हेमंत सोरेन विपक्ष के दौरान बिजली को लेकर कितने दावे किया करते थे। वे कहते थे कि कोयला झारखण्ड का फिर भी बिजली विभाग कर्ज और घाटे में। सरकार बनने पर सस्ती बिजली के साथ शहरों और गाँवों में 20 घंटों से ज्यादा बिजली आपूर्ति के अलावा गाँवों में 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की उनकी घोषणा का आज क्या हश्र है। लोगों को ठगकर वोट हासिल करके सत्ता प्राप्त करने वाली हेमंत सोरेन सरकार के राज में झारखंडियों को मुफ्त बिजली तो नहीं मिली परंतु इस सरकार ने झारखंड को बिजली “मुक्त” ज़रूर कर दिया।
श्री प्रकाश ने कहा कि दूसरी तरफ बिजली सब्सिडी को लेकर कई जगहों से एक अलग प्रकार की ही शिकायत प्राप्त हो रही है। सरकार द्वारा अप्रैल 2022 से प्रतिमाह 400 यूनिट बिजली खपत करने वाले उपभोक्ताओं के लिए ही बिजली सब्सिडी की घोषणा की गई है। उपभोक्ताओं की शिकायत है कि विभाग द्वारा 10 से 15 दिन विलम्ब से उन्हें बिजली बिल देने के कारण बिजली सब्सिडी के लाभ से वंचित होना पड़ रहा है।
विभाग द्वारा 30 दिनों की बजाय 45 दिनों में बिल भेजने के कारण बिजली की खपत 400 यूनिट से अधिक दिख रहा है व उन्हें सब्सिडी से वंचित कर दिया जा रहा है और 6.25 रुपए/प्रति यूनिट की दर से बिल भेजा जा रहा है। जबकि 400 यूनिट तक रहने पर उन्हें 3.50 से लेकर 4.20 रुपए तक प्रति यूनिट के हिसाब से भुगतान करना पड़ता। यही नहीं सरकार ने एक अप्रैल से इसे लागू करने की बात कही परंतु जेबीवीएनएल ने मार्च महीने से ही 400 यूनिट से अधिक खपत करने वाले उपभोक्ताओं की सब्सिडी समाप्त कर दी। अब सवाल है कि विभाग की लापरवाही का खामियाजा बिजली उपभोक्ता क्यों चुकाएं।