वनरक्षियों को नियुक्ति पत्र देने के बहाने अपना चेहरा चमकाने की कोशिश
रांची के वन भवन का पलास सभागार, राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास वनरक्षियों को नियुक्ति पत्र वितरित कर रहे हैं। सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों का दल इस समाचार को तीव्र गति से व्हाट्सअप ग्रुप और संचार के अन्य माध्यमों से मुख्यमंत्री रघुवर दास की जय-जय करने में लगा है, जैसे लगता है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बहुत बड़ा तीर मार लिया हो। क्या मुख्यमंत्री रघुवर दास बता सकते है कि जिन वनरक्षियों को वे नियुक्ति पत्र दे रहे हैं, वे उनकी कृपा से इस पद पर नियुक्त हो रहे है, कि नियुक्तिपत्र धारकों ने वनरक्षियों के लिए आयोजित परीक्षा में अपनी मेहनत से सफलता पाई है और जब अपने मेहनत से उन्होंने सफलता पाई तो इसका श्रेय वे स्वयं क्यों ले रहे हैं। इस प्रकार के आयोजन कराकर, इससे क्या मैसेज देना चाहते हैं। मेरे विचार से इस प्रकार की नौटंकी बंद होनी चाहिए।
केन्द्र व देश के अन्य सरकारें भी विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित कर, बहुत सारे युवाओं को नियुक्ति पत्र सौंपती है, पर इस प्रकार के आयोजन कर, उसका श्रेय नहीं लेती। यह सामान्य सी प्रक्रिया है। सरकार को काम के लिए आदमी की आवश्यकता थी, उसने योग्यता के आकलन के लिए परीक्षा ली, उस परीक्षा में योग्य अभ्यर्थी चुन लिये गये, अब विभाग उन्हें नियुक्ति पत्र डाक द्वारा भेज दें, बस काम खत्म, पर यहां तो फैशन हो गया है नियुक्त पत्र वितरण समारोह आयोजित कर, अपनी आरती उतरवाने का। जिसमें भारतीय प्रशासनिक सेवा से जुड़े लोग भी शामिल हो जाया करते हैं, जो एक गलत परंपरा हैं।
हद हो गई, बस मौका चाहिए। श्रेय लेना है, भले ही उसका सही श्रेय लेने का हकदार कोई दूसरा ही क्यों न हो, पर इसका श्रेय मुख्यमंत्री रघुवर दास को ही मिलना चाहिए, किसने इस परंपरा की शुरुआत की? और अगर किसी ने कर भी दी, तो इसे बंद क्यों नही होना चाहिए? जिस राज्य में सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने में ही राजनीतिज्ञों को आनन्द आता है, वहां ही 25 वर्षीय युवा किसान आत्महत्या कर दम तोड़ देता हैं, और उसकी छोटी-छोटी बहने खूंन के आंसू रोने पर विवश होती है। जरा पूछिये, मुख्यमंत्री रघुवर दास से कि जिस अर्चना ने योगा में झारखण्ड ही नहीं, भारत को शिखर तक पहुंचाया, उसे ये नियुक्ति पत्र कब देंगे? क्या मुख्यमंत्री महोदय अर्चना नाम याद है कि भूल गये। काश स्वयं द्वारा किये गये वायदे को निभाते तो राज्य की जनता को ज्यादा खुशी होती, अर्चना को आप और आपके लोग खुब दौड़ा रहे है, आजकल करते-करते एक साल से ज्यादा हो गये, पर उसे नियुक्ति पत्र नहीं दी जा रही और यहां पलास सभागार में देखिये तो जनाब बड़े शान से नियुक्ति पत्र बांट रहे हैं। अजब-गजब सरकार हैं भाई, झारखण्ड में।