अपनी बात

दो मई की औपचारिकता सिर्फ बाकी, हफीजुल गंगा नारायण सिंह पर भारी, मधुपुर में झामुमो की जीत पक्की

झारखण्ड के मधुपुर विधानसभा का उपचुनाव संपन्न हो गया। इस उपचुनाव में रिजल्ट समझिये निकल चुका है। झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशी हफीजुल भारी मतों से चुनाव जीत चुके हैं। आप झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को इसके लिए आज ही बधाई दे दीजिये। भारतीय जनता पार्टी के लोग गंगा नारायण सिंह को जीताने के लिए बहुत पापड़ बेले, मतलब उन्हें टिकट दिलाने से लेकर चुनाव जीताने तक, पर लगता है कि वो सारे पापड़ बेलने उनके लिए महंगे पड़ गये।

अच्छा होता गंगा नारायण सिंह आजसू के टिकट पर ही चुनाव लड़ लिये होते, गंगा नारायण सिंह के लिए तो एक लोकोक्ति फिट बैठती है – “चौबे गये छब्बे बनने, दूबे बनकर आये”। मतलब गंगा नारायण सिंह को लगा था कि वे भाजपा में जायेंगे तो श्योर शॉट वे चुनाव जीत जायेंगे, पर यहां वे बुरी तरह हार रहे हैं। विद्रोही24 के सूत्रों का कहना है कि इस बार हफीजुल को जीताने के लिए कम, गंगा को हराने के लिए स्थानीय भाजपाइयों ने ज्यादा जोर लगा दिया।

सूत्र बताते है कि गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे व झारखण्ड विकास मोर्चा से भाजपा का दामन थाने बाबू लाल मरांडी ने जो खेल खेला, मतलब राज पालिवार को जो भाजपा में रहकर औकात दिखाई, वहीं औकात राज पालिवार ने इन दोनों नेताओं को दिखा दी। गंगा को टिकट देने से लेकर, नामिनेशन दाखिल करने तथा चुनावी सभा तक राज पालिवार ने खुद को दूर रखा। राजनीतिक पंडितों की मानें, जितना जोर निशिकांत दूबे व बाबू लाल मरांडी, आजसू से आये नेता गंगा नारायण सिंह को जीताने में लगा रहे थे, उसके कुछ ही अंश लगाकर राज पालिवार ने भाजपा के इन दिग्गजों की आज खेल ही खत्म कर दी।

दो मई को, जब चुनाव परिणाम आयेंगे, तो वह औपचारिकता मात्र है। गंगा नारायण सिंह की हार तो उसी दिन सुनिश्चित हो गई थी, जब भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं ने उनकी उम्मीदवारी तय कर दी थी, ठीक उसी दिन उसकी तीखी प्रतिक्रिया स्थानीय भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं में दिखी, और इन सब ने फैसला ले लिया कि दलबदलूओं को सबक सिखानी है, और लीजिये जो मधुपुर के सभी जगहों से जानकारियां मिल रही है, उसमें ज्यादातर मतदान केन्द्रों पर झामुमो के हफीजुल भारी है, इसमें कोई दो मत नहीं कि राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की राजनीतिक योजना यहां सफल हो गई।

हेमन्त सोरेन ने अपनी चुनावी सभाओं में ज्यादा आक्रामकता नहीं दिखाई, उन्होंने अपने सधे अंदाज में लोगों से कहा कि हाजी साहेब के सपनों को पूरा करने के लिए हफीजुल को जिताइये, झामुमो के तीर-धनुष का बटन दबाइये, साथ ही भाजपाइयों के साम-दाम-दंड-भेद की नीतियों को भी सलीके से साधते रहे, नतीजा सबके सामने हैं। दूसरी ओर भाजपा की सहयोगी व अनुगामिनी पार्टी आजसू से न तो भाजपा वालों ने सहयोग मांगा और न ही आजसू ने इन्हें सहयोग दिया, जिसका असर यहां साफ देखने को मिला, शायद भाजपा को लगा होगा कि आजसू की भाजपा के सामने औकात ही क्या है? जबकि उसके ही प्रत्याशी को भाजपा टिकट दे चुकी है।

चुनाव परिणाम दो मई को यही आयेगा कि झामुमो के प्रत्याशी हफीजुल ने भाजपा के प्रत्याशी गंगा नारायण सिंह को शिकस्त दी, हां कितने वोटों से हराया, बस यही केवल बाकी है। राजनीतिक पंडितों का तो यह भी कहना है कि जब महागठबंधन के नेता, कांग्रेसी विधायक इरफान अंसारी जो रमजान के पवित्र महीने में बाबा वैद्यनाथ की दामन थाम ली, तो भला भोलेनाथ ऐसे लोगों की मनोकामना कैसे पूरा नहीं करते, इसलिए ये जीत तो होनी ही हैं। चलिए, विद्रोही24 तो शुरु से ही कह रहा था, कोई नहीं हैं टक्कर में, सभी पड़े हैं चक्कर में, जीतेगा तो यहां से झामुमो ही, चाहे कोई कितना भी कोई पसीना बहा लें, क्योंकि फिलहाल काल, ग्रह व योग सभी हेमन्त सोरेन की मजबूत करने में लगे हैं।