राजनीति

पूर्व मंत्री के एन त्रिपाठी ने नमाज कक्ष आवंटित करने पर स्पीकर रवीन्द्र पर उठाए सवाल, कहा सरकारी भवनों का उपयोग सभी के लिए हो, भाजपा विधायकों से ड्रामे बंद करने तथा सीधे सवाल पूछने की दी नसीहत

आज रांची स्थित स्टेट गेस्ट हाउस में झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री व इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष के एन त्रिपाठी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आहूत कर कहा कि झारखंड सरकार के विधानसभा स्पीकर द्वारा गलत नोटिफिकेशन जारी किया गया है जिसमें नमाज पढ़ने के लिए एक अलग कमरा आवंटित किया गया है। उनको नोटिफिकेशन जारी करना चाहिए था कि सभी धर्मों के लिए, अध्यात्म के लिए एक कमरा आवंटित किया जाता है।

उन्होंने कहा कि झारखंड मे दुर्भाग्य की बात है कि यहां की राजनीतिक संस्कृति खराब हो गई है। उन्होंने कहा कि वे पिछले 20 वर्षों से यह देखता आ रहे हैं कि जब से झारखंड राज्य का निर्माण हुआ है तब से चार दिन का विधानसभा सत्र बुला लिया जाता है। इस चार दिन में विधायकों द्वारा विधानसभा को नाच-गाना करके रामलीला मैदान बना दिया जाता है। जो बहुत ही आपत्तिजनक है।

राज्य की जनता माननीय विधायकों के पास समस्या लेकर जाती हैं। कई शिक्षकों की समस्या, पुलिस की समस्या, पुल की समस्या, बिजली की समस्या, कई कारणों से राज्य की जनता त्राहि-त्राहि कर रही है। राज्य की जनता सोचती हैं कि उनके समस्याओं/बातों को सरकार के सामने ये विधायक उठाएंगे और समस्या का समाधान होगा, पर होता कुछ नहीं। सरकार को कम से कम एक महीने का सत्र रखना चाहिए।

राजनीतिक कल्चर के चलते प्रजातंत्र खराब हो गया है। मौका क्या मिला कि भाजपा ने विधानसभा को नाच-गाना का मंडप बना दिया। विधानसभा को हर बार चार दिन के सत्र में डुग्गी-ड्रामा करके सत्र को भंग कर दिया जाएगा। विपक्ष भी नहीं चाहेगी की जनता के प्रश्न को उठाएं और सरकार भी नहीं चाहेगी कि हम प्रश्नों का जवाब दें। तब फिर जनता के समस्याओं का समाधान कैसे होगा?

उन्होंने कहा कि कल वे विधानसभा गये थे, तो वहां की परिस्थितियों को देखा, वहां नाच-गाना चल रहा था। मामले को घंटा-दो घंटा विरोध करके राज्य के संज्ञान में लाया जा सकता है। विरोध के बाद पुरे सत्र चार दिन भी नहीं चले तो फिर क्या होगा? अगर एक साल में चार दिन भी जनता के समस्याओं को ये नहीं उठा सकते तो इस विधानसभा का मतलब क्या है?

जब विधायकों से उनके विचार पांच साल में लिए ही नहीं जाते, और न विचार दिये जाते हैं तो फिर समस्याओं का समाधान कैसे होगा? जरुरत ही क्या है इस विधानसभा का? इस चुनाव, विधायकों के खर्चें, अरबों रुपए खर्च किए जाने का क्या मतलब है? हमें लगता है कि राज्य का सिस्टम (राजनीतिक कल्चर/संस्कृति) को दुरुस्त करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि वे विधानसभा स्पीकर से मांग करते है कि नोटिफिकेशन को संशोधित कर वह जो कमरा आवंटित किया गया है उस कमरे को हर व्यक्ति के लिए खोला जाए क्योंकि सरकारी संपत्ति/सरकारी भवनों का उपयोग सबके लिए समान रूप से किया जाना चाहिए और वे भारतीय जनता पार्टी से मांग करते है कि कम से कम अगले दो दिन 08 और 09 सितम्बर को जनता के हितों से जूड़े सवालों को पूछें।