राजनीति

RPC के कोषाध्यक्ष सुशील सिंह के खिलाफ पूर्व कोषाध्यक्ष जय शंकर ने उठाए सवाल, इधर इन सब के बावजूद रिव्यू कमेटी द्वारा किये जा रहे कार्यों से ज्यादातर सदस्यों में खुशी की लहर

रांची प्रेस क्लब के पूर्व में कोषाध्यक्ष रह चुके और अब साधारण सदस्य तथा पत्रकारिता कार्य से वर्तमान में स्वयं को अलग कर चुके जय शंकर ने वर्तमान कोषाध्यक्ष सह संयोजक मेंबरशिप रिव्यू कमेटी सुशील कुमार सिंह मंटू को खुला पत्र लिखा है। पत्र में जय शंकर ने प्रेस क्लब के सदस्यों की मेंबरशिप की रिव्यू और शुचिता को लेकर सुशील कुमार सिंह की अपील पर सवाल खड़े किये हैं। जय शंकर कुमार ने कुछ बिंदु उकेरे हैं, जिस पर रिव्यू कमेटी के सभी सदस्यों को ध्यान देने को कहा गया है। वे बिन्दु क्या हैं? आप स्वयं देखे, पत्र इस प्रकार है …

सेवा में,

सुशील कुमार सिंह मंटू,

कोषाध्यक्ष सह संयोजक मेंबरशिप रिव्यू कमिटी।

रांची प्रेस क्लब, रांची।

विषय: प्रेस क्लब के सदस्यों की मेंबरशिप की रिव्यू और शुचिता की आपकी अपील पर सवाल।

महाशय,

उपर्युक्त संदर्भ में कहना है कि मैं जय शंकर कुमार (सदस्यता संख्या 0640/2017) रांची प्रेस क्लब का एक साधारण सदस्य हूं। जब प्रेस क्लब की ओर से मेंबरशिप का रिव्यू हो रहा है, तो अब वक्त आ गया है कि आगे बढ़ा जाए। आपसे आग्रह है कि निम्नलिखित बिंदुओं पर गौर करते हुए उसी शुचिता के आधार पर निर्णय लें, जिसकी अपेक्षा आपने हम जैसे सदस्यों से की है –

अपने मन की बात मैंने खुद ही आपको व्यक्तिगत रूप से डेढ़ दो-साल पहले बताई थी कि मैं अपना वोटिंग राइट छोड़ देना चाहता हूं। मैं यह स्पष्ट कर दूं कि मेरी यह इच्छा तब या अब के किसी नियम के दायरे में आने की वजह से या किसी व्यक्ति विशेष के डर की वजह से नहीं है, बल्कि यह मेरी व्यक्तिगत समझ है कि क्लब में साधारण सदस्य (वोटिंग राइट्स वाले) वही हों जो एक्टिव जर्नलिज्म कर रहे हों और जिनका जीवनयापन (livelihood) पत्रकारिता से ही जुड़ा हो। रांची प्रेस क्लब का बायलॉज भी कमोबेश यही कहता है।

डेढ़ दशक से ज्यादा की मेनस्ट्रीम पत्रकारिता करने के बाद मैं पिछले कुछ वर्षों से एक्टिव जर्नलिज्म नही कर रहा हूं या यूं कहें कि मैं आज बेरोजगार पत्रकार हूं तो गलत नहीं होगा। वैसे ऊपर वाले के आशीर्वाद से घर की माली हालत ठीक है और पारिवारिक व्यवसाय से अपना और अपने परिवारजनों की आजीविका (livelihood)चल जा रही है। सनद रहे कि मैंने अब तक खुद पत्रकारिता के अलावा आजीविका के लिए कोई दूसरा रास्ता अख्तियार नही किया है। इस बात को प्रमाणित करने के लिए मैं अपना ITR सार्वजनिक कर सकता हूं।

हालांकि हम चाहें तो पांच-दस हजार खर्च कर अगले एकाध घंटे में ही कोई वेबपोर्टल/यूट्यूब चैनल टाइप कुछ खोलकर भोकाली कर सकते हैं। इसके साथ ही एक-दो लोगों को आठ-दस हजार की नौकरी भी दे सकते हैं। जैसा कि मैंने पहले कहा कि मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक है इसलिए ऐसा करना मेरे लिए बहुत आसान होगा। फिर भी ऐसा तिकड़म कर और अपना जमीर मार कर क्लब का साधारण सदस्य बने रहना की अर्हता बचाए रखना नहीं चाहता। मुझे शुचिता के साथ नैतिकता का पूरा ख्याल है।

खैर ये तो मेरी बात हुई। अब जनाब आपकी बात कर लेते हैं। रांची प्रेस क्लब का संविधान साफ साफ कहता है कि वोटिंग राइट्स उन्ही सदस्यों को प्राप्त होगा जिसका मूल पेशा पत्रकारिता हो और उसकी आजीविका (Livelihood) पत्रकारिता से ही चलती हो। इसमें कोई शक नहीं कि आप एक वेबसाइट com नाम चला रहे हैं। चूंकि आप इसको चलाते हैं इसलिए आप खुद को पत्रकार की श्रेणी में मानते हैं।

लेकिन, हुजूर ! रांची प्रेस क्लब के बायलॉज के मुताबिक अगर आपका livelihood यानी आजीविका का आधार क्या sportsjharkhand.com से होने वाली कमाई है? महोदय, मेरा पूर्ण विश्वास है कि ऐसा कतई नहीं है और आपकी आजीविका किसी अन्य तरीके से चलती है। आप पर मेरा सीधा आरोप है कि आप रांची प्रेस क्लब का साधारण सदस्य (वोटिंग राइट्स) की अर्हता पूरी नहीं करते हैं। क्या आप शुचिता का परिचय देते हुए क्लब की आर्डिनरी मेंबरशिप (वोटिंग राइट्स) से खुद को दूर करेंगे? अगर मेरा दावा गलत है तो फिर आपको sportsjharkhand.com से होने वाली आय (ITR)को सार्वजनिक कर मेरे आरोप को झूठा साबित कर देना चाहिए।

एक बात और। क्लब के बायलॉज के मुताबिक कोई भी सदस्य अगर खुद से अपना त्यागपत्र दे देता है तो उसकी सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाएगी। (कृपया संविधान में टर्मिनेशन ऑफ मेंबरशिप वाला क्लाउज नंबर-1 पढ़ें)। क्लब की सदस्यता कोई त्यागपत्र देकर छोड़ना चाहे तो इसपर कमेटी की तरफ से कोई निर्णय लेना जरूरी नहीं है। आप तो पूर्व कमेटी में ही अपनी साधारण सदस्यता से त्यागपत्र देने का साहस दिखा चुके हैं। इस आधार पर आपको नैतिकता और शुचिता का भरपूर परिचय देते हुए क्लब की साधारण सदस्यता (वोटिंग राइट्स) से खुद को अलग कर लेना चाहिए।

आपमें नैतिकता का बल है तो इस बात को स्वीकार कीजिए कि आप क्लब की साधारण सदस्यता से पूर्व में ही त्यागपत्र दे चुके हैं। इस लिहाज से आपका नाम साधारण सदस्यों की सूची में नहीं होना चाहिए। उसी पत्र के आधार पर आप चाहें आज खुद की मेंबरशिप त्याग दें, क्योंकि बायलॉज में त्यागपत्र वापस लेने का कोई प्रावधान तो है नहीं। भविष्य में आपको लगेगा कि आप साधारण सदस्य बनने की अर्हता पूरी करते हैं तो फिर से आवेदन कर दीजिएगा। सादर।

नोट: रिव्यू कमेटी मेरे इस पोस्ट पर फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है। बस कमेटी फैसला करते समय न्याय का पलड़ा बराबर रखे। रिव्यू कमेटी में संयोजक के अलावा भी कई सदस्य हैं। उम्मीद करता हूं कि मेरे सवाल पर पारदर्शिता बरती जाएगी।

इसी बीच सुशील कुमार सिंह मंटू ने विद्रोही24 को बताया कि एसजीएम की मीटिंग के बाद उन्हें कुछ काम मिले हैं। जिसे निबटाने में उन्हें चार दिन कम से कम लगेंगे। उनकी प्राथमिकता उक्त मीटिंग से निकले हुए संकल्पों को पूरा करने की हैं। बाकी जो भी लोग सवाल उठा रहे हैं, उसका जवाब वे बाद में देंगे। ऐसे भी उनकी सदस्यता पर कुछ भी बोलने या निर्णय लेने के लिए रिव्यू कमेटी में और लोग भी हैं। उनका पूरा अधिकार हैं। वे कर सकते हैं। हमें कोई गिला-शिकवा भी नहीं।

इधर पहली बार रिव्यू कमेटी बनने व एसजीएम की मीटिंग के बाद हो रही कार्रवाई को लेकर रांची प्रेस क्लब के सदस्यों में खुशियों की लहर दौड़ गई है। ज्यादातर सदस्यों का मानना है कि निश्चय ही इससे रांची प्रेस क्लब से ऐसे लोग स्वतः बाहर हो जायेंगे या उन्हें बाहर किया जायेगा, जो किसी भी प्रकार से रांची प्रेस क्लब के सदस्य बनने लायक नहीं हैं, फिर भी सदस्य बने हुए हैं। कई सदस्यों ने वर्तमान के प्रेस क्लब के अधिकारियों की प्रशंसा भी की हैं, उन्हें लगता है कि वर्तमान टीम ऐसा कर एक कीर्तिमान स्थापित करने को आगे बढ़ रही है। कई लोगों ने तो अभी से नवम्बर होनेवाले प्रेस क्लब की चुनाव के लिए कमर भी कस ली है।