गरजे पीएन सिंह, सरयू राय यह नहीं भूले कि जो CM को हराया है, वो कालांतराल में जेल भी गया है
कल धनबाद जंक्शन पर विद्रोही24.कॉम के संपादक कृष्ण बिहारी मिश्र से धनबाद भाजपा सांसद पीएन सिंह ने खुलकर बात की और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, कभी भाजपा के थिंक टैंक माने जानेवाले सरयू राय और वर्तमान भाजपा की दयनीय स्थिति पर वे जमकर बोले, आधे घंटे की बात-चीत में उन्होंने खुलकर कहा कि सरयू राय यह नहीं भूले कि इतिहास हैं, जो मुख्यमंत्री को हराया है, वो कालांतराल में खुद जेल भी गया है, शायद राजा पीटर को सरयू राय जानते ही होंगे, जिन्होंने कभी शिबू सोरेन को हराया और आजकल उनकी क्या मनोदशा है, सभी जानते हैं।
उन्होंने विद्रोही24.कॉम से कहा कि मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए रघुवर दास ने कई गलतियां की, जिसका परिणाम है कि वे खुद हारे भी और पार्टी और कार्यकर्ताओं पर भी इसका प्रभाव दिखा, हालांकि यह प्रभाव ज्यादा दिनों तक नहीं रहनेवाला जल्दी ही हम सभी वर्तमान हालातों से उबर जायेंगे और पुनःसत्ता में आने का इरादा रखते हैं, कोई यह भूल में नहीं रहे। रघुवर दास को यह जानना चाहिए कि राजनीति में हर बातों का जवाब आप भले ही न दें,पर कुछ सवालों का जवाब वह भी समयोचित देना पड़ता है, यह बहुत ही जरुरी है।
उन्होंने कहा कि जिस दिन सरयू राय ने पहली बार रघुवर दास पर हमले बोले थे, उसी समय में इसका कड़ा प्रतिवाद तत्कालीन सीएम रघुवर दास को करना चाहिए था। वे सरयू राय के किसी भी बातों को जवाब नहीं दिये और इधर सरयू राय उन पर लगातार आक्रमक रवैया अपनाते रहे, और लीजिये लोगों को लगा कि सरयू राय जो बोल रहे हैं, वो ठीक ही बोल रहे होंगे, तभी तो रघुवर दास उनका जवाब नहीं दे रहे।
दरअसल अपने यहां मौनं स्वीकृति लक्षणम् की परिपाटी है, जो चुप रहता है, हर प्रश्न का जवाब नहीं देता, उसे बेवकूफ या अपराधी समझा जाता हैं और जो लगातार आक्रामक रवैया अपनाता है, वो महान हो जाता हैं, जिसका फायदा सरयू राय ने उठाया और रघुवर दास चुनाव हार गये, आज ऐसा है कि भाजपा के हाथों से झारखण्ड की सत्ता भी निकल गई।
उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान सरकार यह नहीं सोचे कि वो बहुत ही बेहतर स्थिति में हैं, आज भी सामान्य वर्गों में भाजपा की पकड़ उतनी ही मजबूत हैं, जितनी कल थी, हम केवल हारे वहां जहां आदिवासियों की संख्या अधिक थी, हमारी पकड़ आदिवासी समुदायों में ढीली पड़ी हैं, उसे भी हम आनेवाले समय में ठीक कर लेंगे।
उन्होंने कहा कि रघुवर दास की दूसरी जो सबसे बड़ी गलती थी, उन्होंने कभी भी अपने सांसदों के साथ इन पांच सालों में मीटिंग नहीं की, और न ही सांसदों की बातों को सुना या प्राथमिकता दी। ऐसे वो मिलते थे, बात करते थे, उसकी बात अलग हैं, पर सांसदों से दूरियां बनाना तथा खुद को एक घेरे में बांध लेना भी हार की वजह बना है। रघुवर दास को यह नहीं भूलना चाहिए कि जिन लोगों ने पीएन सिंह के खिलाफ कभी उनका इस्तेमाल किया, आज वे ही लोग उन्हें ऐसा घूमाकर फेंके हैं, कि उन्हें सदा के लिए याद रहेगा। पीएन सिंह के शब्दों में, इस प्रकार की राजनीति में उनका विश्वास नहीं रहता।
उन्होंने बाबूलाल मरांडी के भाजपा में आने और भाजपा की ताकत बढ़ने के सवाल पर कहा कि बाबूलाल मरांडी आये या न आये, भाजपा,भाजपा हैं, किसी के आने-जाने से भाजपा पर कोई असर नहीं पड़ता, दरअसल बाबूलाल जान चुके है कि उनकी हैसियत वर्तमान में झारखण्ड में क्या हैं, इसलिए अब वे भाजपा में फिर अपना दांव आजमाना चाहते हैं।
इधर कोयलांचल में कानून-व्यवस्था को लेकर, वे मुखर हैं। उनका दावा है कि सत्ता बदलते ही स्थानीय पुलिस प्रशासन के व्यवहार में तब्दीलियां देखने को मिल रही हैं। अपराधियों-असामाजिक तत्वों का मनोबल बढ़ा हैं, पर अपनी ही पार्टी के दागदार विधायक ढुलू महतो के व्यवहारों पर दबी जुबां से मुस्कुराते हुए स्वीकारते हैं, पर खुलकर बोलने से हिचकते रहे।
काश यह सुझाव पहले देते..