अपनी बात

गौतम अडानी का रांची आकर CM हेमन्त से मिलना बता दिया कि उन्हें पता चल चुका है कि केन्द्र में उनकी समर्थक सरकार होने के बावजूद, यहां हेमन्त को नाराज कर उद्योग चला लेना आसां नहीं, बल्कि नामुमकिन

उपर में भारत के सुप्रसिद्ध उद्योगपति गौतम अडानी और झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग द्वारा जारी फोटो झारखण्ड के भविष्य और राज्य के मुख्यमंत्री के व्यक्तित्व और प्रभुत्व को स्पष्ट रूप से परिलक्षित कर रहा है। यह फोटो राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के आवास पर लिया गया है। जब उद्योगपति गौतम अडानी उनसे मिलने आवास पहुंचे। जब यह फोटो विद्रोही24 के पास आया, तो विद्रोही24 ने सोचा कि इस प्रकरण पर आराम से लिखेंगे। तो लीजिये आज आराम से लिख रहा हूं, आप पाठकों के लिए।

उद्योगपति गौतम अडानी की झारखण्ड की यह दूसरी यात्रा है और रांची की यह प्रथम यात्रा है। पहली बार वे तब आये थे, जब उन्हें अपनी पावर प्रोजेक्ट कंपनी को गोड्डा में लांच करना था और उस वक्त वे देवघर-गोड्डा में ही कुछ पल के लिए आये थे। जब वे आये थे तब उस वक्त की रघुवर सरकार उनके आगे-पीछे किये हुए थी। क्योंकि केन्द्र में गौतम अडानी और राज्य में भी गौतम अडानी की समर्थक सरकार थी, रघुवर सरकार थी। लेकिन आज बहुत कुछ बदल चुका है। केन्द्र में गौतम अडानी की समर्थक सरकार जरुर है, लेकिन राज्य में स्थितियां गौतम अडानी के प्रतिकूलवाली सरकार की है।

याद करिये, कैसे समय बदला है। एक समय था जब रघुवर दास, अपने राज्य में उद्योग लगे, निवेश हो, इसके लिए अपने मातहत रहनेवाले भारतीय प्रशासनिक सेवा से जुड़े अधिकारियों, कनफूंकवों, चारणों के कहने पर मोमेंटम झारखण्ड का आयोजन करवाया था। विदेश यात्रा तक कर डाली थी। भाट की तरह जय-जयकार करनेवाले मीडिया के उपर जमकर जनता के पैसों को पानी की तरह बहाया था।

उसके बावजूद भी मोमेंटम झारखण्ड में गौतम अडानी को रांची लाने में रघुवर दास विफल रहे थे। ऐसे भी रघुवर के कहने पर गौतम अडानी क्यों आते, जब उनके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही उनके आगे नतमस्तक रहते हो। मतलब स्पष्ट था कि रघुवर दास के लाख प्रयासों के बावजूद न तो उद्योगपति जूटे, न निवेश हुआ। ले-देकर मोमेंटम झारखण्ड फेल रहा।

आज की क्या स्थिति है? राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने न तो कोई वैश्विक यात्रा की है। न ही झारखण्ड में निवेश के लिए कोई कार्यक्रम बनाया है, न कोई कार्यक्रम को लांच किया है। लेकिन देखने में आ रहा है कि देखते ही देखते बड़े-बड़े उद्योगपतियों के समूहों में उनकी चर्चा होने लगी हैं। कोलकाता में मुकेश अंबानी उनसे मिलने के लिए हाथ बढ़ाते हैं तो गौतम अडानी तो रांची स्थित उनके आवास पर हाजिरी तक बना डालते हैं।

क्योंकि गौतम अडानी और उन जैसे अनेक उद्योगपतियों को इस बात का ऐहसास हो गया है कि केन्द्र में भले ही नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री हो, लेकिन राज्य में हेमन्त सोरेन जैसे प्रभावशाली मुख्यमंत्री को नजरंदाज कर उद्योग-धंधे चला लेना आसान ही नहीं, बल्कि नामुमकिन हैं। ये फोटो यही बता रहा है। शायद इसी को वक्त कहते हैं।

आप याद करिये 2024 झारखण्ड विधानसभा चुनाव के पूर्व तक गौतम अडानी को हेमन्त सोरेन याद नहीं आये। शायद उन्हें ऐहसास था कि ईडी और दिल्ली के हाथों में रहनेवाली कई एजेंसियों की मार से हेमन्त सोरेन लहुलूहान हो जायेंगे। राज्य में भाजपा की सरकार बन जायेगी और फिर उनका कारोबार आराम से चलता रहेगा। लेकिन यहां तो स्थितियां ही बदल गई है और आनेवाले कई सालों तक स्थितियां यहीं रहनेवाली है। ऐसे में भला कोई हेमन्त सोरेन को नाराज कैसे करने की कोशिश करेगा।

गौतम अडानी जरुर ही नये सिरे से झारखण्ड में अपने पावर प्रोजेक्ट तथा अन्य निवेशों को लेकर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से बात किये होंगे। लेकिन जो हेमन्त सोरेन को जानते हैं। वे यह भी जानते है कि उनकी नजरों में केवल और केवल झारखण्ड तथा झारखण्ड के लोग है। ऐसे में झारखण्ड की प्रगति सुनिश्चित ही नहीं, बल्कि अत्यंत लाभकारी है।

ऐसे भी कहा जाता है कि जहां का मुख्यमंत्री जागरुक और स्ट्रांग होता हैं, वहां एक से एक उद्योगपति और अन्य लोग उनसे मिलकर, उनके इलाके में कुछ बेहतर करने का प्रयास करते हैं। उसके उदाहरण, अपने देश में कई हैं। जिन्होंने अपनी कार्यकुशलता से अपने राज्य को बेहतर दिशा में ला दिया। इसलिए आशा रखिये कि हेमन्त सोरेन के शासनकाल में निश्चय ही झारखण्ड आगे की ओर बढ़ेगा। यह फोटो शायद उसी का संकेत दे रहा हैं।

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