प्रदीप को टिकट दिला कर्मवीर और बाबूलाल ने एक तीर से किये दो शिकार, रमेश को दिये संकेत घबराओ मत तुम्हें भी सेवा का फल मिलेगा, वहीं भाजपा कार्यकर्ताओं के सीने पर चलवाई बुलडोजर और कहा अब दूसरों की पालकी ढोने को भी तैयार रहो
प्रदीप वर्मा को राज्यसभा का टिकट देकर भाजपा के केन्द्र स्थित शीर्षस्थ नेताओं व प्रदेश में बैठे कर्मवीर सिंह और बाबूलाल मरांडी जैसे नेताओं ने एक तीर से दो शिकार किये हैं। एक तो प्रदेश में भाजपा को सेवा दे रहे भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओं के सीने पर आसानी से बुलडोजर भी चला दिया और उन्हें बचने का मौका भी नहीं दिया तो वही दूसरी ओर प्रदीप को राज्यसभा पहुंचाकर कर्मवीर और बाबूलाल मरांडी ने एक तरह से रमेश सिंह और उसके जैसे भाजपा में पदार्पण किये कई नेताओं को एक तरह से संकेत भी दे दिया कि कि घबराओ मत तुमलोगों ने भी प्रदीप वर्मा की तरह हमें खूब सेवा दी हैं।
उस सेवा का फल तुम्हें अवश्य देंगे। तुम्हें भी कही न कही सेट अवश्य करेंगे। अभी तो झारखण्ड विधानसभा का चुनाव बाकी है। चिन्ता क्यों करते हो। हम कर्मवीर संगठन मंत्री और बाबूलाल प्रदेश अध्यक्ष दोनों मिलकर तुम सब की मनोकामना पूरी करते रहेंगे। बस तुम इसी तरह से हमारी सेवा में लगे रहो। रही बात भाजपा कार्यकर्ताओं की तो इनकी औकात क्या है, ये तो बने ही है हमारी पालकी ढोने के लिए। शायद यही कारण है कि रमेश सिंह जैसे लोग प्रदीप वर्मा की तरह अपनी राजनीति को धार देने में लगे हैं।
कर्मवीर और बाबूलाल के साथ-साथ मीडिया को भी साधने में लगे हैं और अगर ऐसा नहीं होता तो कल महाशिवरात्रि के दिन रमेश सिंह का विज्ञापन कल के अखबारों में देखने को नहीं मिलता। जो विद्रोही24 के नियमित पाठक हैं। वे जानते होंगे। विद्रोही24 ने पहले भी लिखा था कि प्रदीप वर्मा कर्मवीर सिंह और बाबूलाल मरांडी की कृपा पाकर स्वयं को रांची से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए पहले से ही तिकड़म लगा रहा था। उसकी तिकड़म जब लोकसभा चुनाव में फेल हुई तो उसकी कृपा से आलोकित भाजपा के प्रदेश के द्वय और अन्य नेताओं को लगा कि उनके घर में कोई शोक का माहौल हो गया हो।
पर जैसे ही उन्हें राज्यसभा का मौका मिला, प्रदीप को उसकी मनमुताबिक जगह दिलवाकर इनके घरों में ऐसा लग रहा है कि जैसे उनके घर में कोई बारात आई हो। जरा देखिये इनकी खुशी। बाबूलाल मरांडी क्या लिख रहे हैं – “बीजेपी के महासचिव एवं संगठन के कर्मठ कार्यकर्ता प्रदीप वर्मा को झारखण्ड से राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी के रुप में नामित करने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, संगठन मंत्री बीएल संतोष का हार्दिक आभार एवं धन्यवाद। एक बार फिर से भाजपा ने एक सामान्य कार्यकर्ता को देश के सर्वोच्च सदन के सदस्य के रुप में नामित कर स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी के लिए देवतुल्य कार्यकर्ता ही सर्वोपरि है।” अब जरा सोचिये कि जब प्रदीप वर्मा जैसा व्यक्ति बाबूलाल मरांडी के लिए देवतुल्य है तो देवता ऐसे ही होते है क्या?
प्रदीप वर्मा में कौने से सुरखाब के पर लगे थे कि आपलोगों ने उसे महामंत्री बना दिया था, भाजपा का कार्यकर्ता इतना बोका है क्या? कि आपके और आपके संगठन मंत्री के बारे में प्रदेश का कार्यकर्ता नहीं जानता। अरे प्रदेश का भाजपा कार्यकर्ता तो अपनी बेबसी पर रो रहा है। आप सभी के कुकृत्यों पर आंसू बहा रहा है। आप किसके कहने पर, किसके इशारे पर किस व्यक्ति को टिकट दिलवाते हो, क्यों दिलवाते हो, वो तो प्रदीप वर्मा ने आप सभी (केन्द्र के भी भाजपा नेताओं) को चूना लगाकर, आपलोगों ( सॉरी, आपलोग तो आपलोग कहलाने लायक भी नहीं हो) से ही राज्यसभा का टिकट लेकर, अपनी जय-जयकार करवाकर आप सभी की हेकड़ी निकाल दी।
अब तो क्लियर हो गया कि जो प्रदीप वर्मा और रमेश सिंह जैसी आप सभी को सेवा देगा, वो देखते ही देखते लोकसभा, राज्यसभा व विधानसभा का शोभा बढ़ायेगा। आपलोग तो हर कार्यक्रम में पं. दीनदयाल उपाध्याय, डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और देश के महान देशभक्तों के सपनों का श्राद्ध करते हो। हम जैसे लोग तो आप सभी के इस प्रकार के कुकृत्यों को देखकर यही सोचते है कि जिस देश में इस प्रकार के कुत्सित विचार के नेताओं का जन्म हो गया हो, उस देश का क्या हाल होगा? आपलोग कांग्रेस, राजद, झामुमो, बसपा, सपा, द्रमुक आदि दलों को गाली देते हो। अरे आप तो उनके पांव के धूल भी नहीं हो।
आपने तो अपनी चाल चल ली। अब आगे की चाल देखो। आपने तो इस कुकृत्य द्वारा लोकसभा चुनाव में खड़े अपने ही भाजपा प्रत्याशियों की जड़ें भी हिला दी, क्योंकि अब भाजपा के उन समर्पित कार्यकर्ताओं ने भी अब ठान ली है कि जैसे तुम दोनों जो चाहे जो कर सकते हो, तो हम भी जो चाहे वो कर सकते हैं और लोकसभा की 14 सीटों पर तुम्हें सांप सूंघा सकते हैं। तो अब आप सांप सूंघने की तैयारी में लग जाओ। 2004 याद हैं न और एक बात और बहुत उछल रहे हो न। कभी कांग्रेस वाले भी इसी तरह उछला करते थे। कभी राजद वाले भी बिहार में इसी तरह उछला करते थे। ये वक्त है। आज तुम उछल रहे हो। कल कोई और उछलेगा और तुम्हारी छाती पर विजय का चिह्न लहराकर खुश होगा, जैसे आज तुम उछल रहे हो।