जमशेदपुर पूर्व में रघुवर और सरयू के बीच महामुकाबला देखने के लिए अभी से तैयार हो जाइये
जो लोग राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी हैं, वे भगवान से मना रहे हैं कि राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास का घमंड जीत जाये, और रघुवर दास के इशारे पर जिस प्रकार से जमशेदपुर पश्चिम से अब तक सरयू राय के टिकट की घोषणा नहीं हुई हैं, वो अंत-अंत तक जारी रहे, क्योंकि जब- तक ऐसा नहीं होगा, रघुवर दास पर सरयू राय की कृपा नहीं बरसेगी। जो लोग रघुवर दास को लालू प्रसाद, जगन्नाथ मिश्र एवं मधु कोड़ा की तरह जेल में देखना चाहते हैं, उनका कहना है कि यह तभी होगा, जब रघुवर दास, सरयू राय को टिकट न दिलवाने में कामयाब हो जायेंगे।
क्योंकि उसके बाद रघुवर दास का जेल जाना शत प्रतिशत हो जायेगा, और अगर टिकट मिल गई तो हो सकता है कि सरयू राय कुछ महीनों के लिए उन्हें जीवन दान दें, जो लोग सरयू राय को जानते हैं, उनका मानना है कि सरयू राय ने अगर भौंहे तान दी, तो समझ लीजये, सामनेवाला गया काम से और अगर भौंहे नहीं तानी तो समझ लीजिये, कृपा बरस रही हैं।
इधर जिस दिन से सरयू राय के टिकट को होल्ड पर रखा गया हैं, सरयू राय और सरयू राय के समर्थक गुस्से से लाल हैं, वे इसे अपना अपमान समझ रहे हैं, उनके समर्थक तो साफ कहते हैं कि वे अपमान का घूंट पीकर,ये सब देख रहे हैं, पर यह सब एक सीमा तक ही उचित हैं, कुछ तो कहते है कि वे तो भगवान से मनाते हैं कि रघुवर दास, सरयू राय का टिकट कटवा दें, क्योंकि फिर उसके बाद जमशेदपुर पूर्व सीट का मुकाबला दिलचस्प होगा, और फिर रघुवर दास के सामने, जो चेहरा होगा, वह सरयू राय का होगा, और उसके बाद जमशेदपुर पूर्व से कौन जीतेगा, लगता है कि बताने की तब जरुरत नहीं पड़ेंगी।
इधर ऐसे भी राजनीतिक पंडितों का समूह बताता है कि जमशेदपुर पूर्व से रघुवर दास इसलिए नहीं जीत जाते हैं कि वे वहां बहुत ही लोकप्रिय हैं या वहां जनता के लिए उन्होंने कोई अच्छा काम किया हैं, सच्चाई तो यह है कि अब तक किसी विपक्षी दल ने जनता के मन लायक कोई उम्मीदवार ही नहीं दिया, तो जैसे कहा जाता है कि जहां गांछ-वृक्ष नहीं होता, वहां रेड़ प्रधान होता हैं, ठीक वहीं हाल जमशेदपुर पूर्व का हैं, पर जैसे ही रघुवर दास के ठीक सामने सरयू राय होंगे, तब जनता के पास विकल्प भी होगा, एक ईमानदार जनप्रतिनिधि भी होगा, जिसने भ्रष्टाचार के खिलाफ कभी भी सर नहीं झूकाया।
राजनीतिक पंडितों का यह भी कहना है कि रघुवर दास को चाहिए कि वे सरयू राय को सीपी सिंह समझने की भूल नहीं करें, कि जैसे एक भाजपा का अदना सा टिकट प्राप्त करने के लिए सीपी सिंह ने अपना जमीर दांव पर लगाकर अंत समय में घर-घर रघुवर अभियान में कूद गये, ठीक उसी प्रकार सरयू राय भी कूद जायेंगे, सरयू राय खांटी संघी हैं, और वे वहीं करेंगे, जो उन्हें करना चाहिए, और लगता है कि फिलहाल वे एक हद तक भगवान भोले नाथ की तरह अपमान का विष पीने को तैयार हैं।
राजनीतिक पंडित तो साफ कहते है कि रघुवर दास जब मुख्यमंत्री नहीं थे, तब भी उन्होंने कभी भी न तो अर्जुन मुंडा और न ही सरयू राय को स्वीकारा। हमेशा वे इन दोनों को अपना दुश्मन मानते रहे, कोई ऐसा मौका नहीं आया कि वे इन्हें अपमान करने का काम नहीं किया, पर इन सबके बावजूद सरयू राय ने इन सबसे दूर अपने काम से काम रखा। इधर जिस प्रकार से भाजपा में टिकट को लेकर रघुवर दास की चल पड़ी हैं, और जिस प्रकार से सरयू राय को अपमानित करने का प्रयास किया जा रहा है। अब तैयार रहिये, जमशेदपुर पूर्व में एक रोमांचक मुकाबला देखने को, अगर भाजपा ने जमशेदपुर पश्चिम से टिकट सरयू राय को दे दिया तो ठीक ही है, नहीं तो सरयू राय और रघुवर दास के बीच जमशेदपुर पूर्व में मुकाबला तय हैं, और जीतेगा कौन? यह भी सबको पता है।