अपनी बात

लो कर लो बात, भूत को भूत से डर, जिन्होंने इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान बनाया, वे मोदी को हिन्दू राष्ट्र का ताना दे रहे हैं

इमरान खान नामक पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यानी भूत को हमारे भूतों से डर लग रहा हैं, वे छाती पीट रहे हैं, कह रहे हैं कि मोदी सरकार में भारत फांसीवादी विचारधारा के साथ हिन्दू राष्ट्र की ओर बढ़ रहा है। दरअसल एक नहीं, कई मुद्दों पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिये हैं, उसकी नानी याद दिला दी हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोई भी एक ऐसा मौका नहीं छोड़ा, जिससे पाकिस्तान को कही कोई राहत मिलती दिखती हो, ऐसे भी पाकिस्तान का जन्म ही भारत विरोध पर हुआ और वहां भारत विरोध तब तक चलता रहेगा, जब तक पाकिस्तान जिन्दा रहेगा, इसे कोई नकार नहीं सकता, अगर कोई कहता है कि मोदी के आने से पाकिस्तान के साथ हमारे संबंध खराब हुए हैं, तो वह एक नंबर का झूठा और लबरा है।

अगर मोदी के आने से हमारे पाकिस्तान के साथ संबंध खराब हुए तो प्रधानमंत्री नेहरु, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी के समय उसके साथ हुए युद्ध क्या लाहौर के मैदान में कबड्डी खेलने के लिए हुए थे क्या? अगर कोई यह सोचता है कि पाकिस्तान को खुश कर देने पर भारत से समस्या खत्म हो जायेगी तो वह मुगालते में हैं, क्योंकि पाकिस्तान को हिन्दूओं और वहां रह रहे अल्पसंख्यकों को सताने में बड़ा आनन्द आता हैं।

पाकिस्तान में हिन्दूओं की बेटियों-बहूओं को अपहरण कर लेना, उनसे जबरन शादी करना, उनका बलात्कार करना रोजमर्रे की बात हैं और अगर कोई पाकिस्तानी हिन्दू इसके लिए पाकिस्तान के किसी भी थाने में शिकायत दर्ज कराता हैं तो उसकी सुनी ही नहीं जाती। सच्चाई यह है कि पाकिस्तान के कई शहरों में रहनेवाले हिन्दू अब सिर्फ कराची में जाकर सिमट गये हैं।

वहां तो बच्चों को स्कूलों में काफ से काफिर और उसे काफिर (हिन्दू पंडित की मूर्ति पूजा करते तस्वीर) दिखाई और पढ़ाई जाती है, वहां वैमनस्यता की वो दिवार खड़ी कर दी गई है कि वहां कभी कोई मुसलमान, हिन्दू से प्यार कर ही नहीं सकता। पाकिस्तान का सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ (जिसे पाकिस्तान की सर्वोच्च अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है) जीता-जागता उदाहरण है।

आज भी अमर शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव जिन्हें लाहौर जेल में फांसी दी गई, इन तीनों महान क्रांतिकारियों को इन पाकिस्तानियों ने कोई सम्मान नहीं दिया, क्योंकि ये तीनों हिन्दू थे। अब सवाल उठता है कि हर जगह सभी की आबादी बढ़ती हैं, पाकिस्तान में हिन्दूओं की आबादी लगातार घटती क्यों चली गई, इतने मूर्ख तो हम भी नहीं।

क्या कारण है कि ईशनिन्दा के नाम पर पाकिस्तान में रहनेवाले अल्पसंख्यकों को बर्बरता का शिकार होना पड़ता है, यानी जिसने अपने देश में अल्पसंख्यकों को जीना मुहाल कर रखा है, जिन्होंने अपने ही देश में अपने अहमदिया मुसलमानों को भी मुसलमान मानने से इनकार कर दिया, वे हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को हिन्दू राष्ट्र का ताना दे रहे हैं।

अरे इमरान खान, ये पाकिस्तान नहीं है, जिस देश को तुमने इस्लामिक राष्ट्र घोषित किया है, जरा जिन्ना से पूछना कि वो कैसा पाकिस्तान चाहते थे, पर तुम्हें क्या? जनरल जिया उल हक ने पाकिस्तान को इस्लामिक राष्ट्र घोषित कर दिया और तुम चल पड़ें। यही हाल बांगलादेश में हुआ, जब वह 1971 में तुमसे अलग हुआ तो वह भी धर्मनिरपेक्ष था, पर जैसे ही वहां एक सैन्य शासक आया, उसने भी बांगलादेश को इस्लामिक राष्ट्र घोषित कर दिया और ये दोनों देश भारत के ही कोख से निकले थे।

यानी तुम जनसंख्या के आधार पर इस्लामिक राष्ट्र खुद को घोषित करवा दो तो ठीक और हम धर्मनिरपेक्षता की वकालत करते, अपने संविधान की रक्षा करते हुए, अपने नागरिकों और तुम्हारे देश में प्रताड़ित हो रहे तुम्हारे अल्पसंख्यकों को सम्मान दिलाने की कोशिश करें तो हमें हिन्दू राष्ट्र का तमगा देने लगे, बेवकूफ कही के।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चाहिए कि इमरान खान रुपी भूत के पीछे और भी देश में जितने भी भूत हैं इनके पीछे छोड़ दिये जाये, ताकि ये सारे भूत इमरान की लंगोटी तक खींचकर, उसके हाथों में दे दें। भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र सदियों से रहा हैं और रहेगा, और उसके मूल में भारत के हिन्दू हैं, जो हमेशा से सर्वधर्म समभाव में विश्वास रखते हैं, और जब तक हिन्दू भारत में बहुसंख्यक हैं, भारत धर्मनिरपेक्ष ही रहेगा, उसके बाद क्या होगा? उन लोगों को पाकिस्तान और बांगलादेश जैसे देशों से सीखना चाहिए