विजय पाठक का फतवा 2100 दीजिये, प्रेस क्लब का सदस्य बनिये, पत्रकारों ने जताया कड़ा विरोध
प्रभात खबर के स्थानीय संपादक और रांची प्रेस क्लब के मनोनीत सदस्य विजय पाठक ने कल फतवा जारी किया, कि जो 2100 रुपये जमा करेगा, वहीं रांची प्रेस क्लब का सदस्य बनेगा, जो 2100 रुपये जमा नहीं करेंगे, वे सदस्य नहीं बन पायेंगे और न ही उन्हें वोट देने का अधिकार मिलेगा। आज विजय पाठक का फतवा सभी अखबारों में छपा हैं। विजय पाठक ने कहा है कि पत्रकार अपनी सुविधानुसार इस राशि को दो चरणों में दे सकते है, पर ये राशि उन्हें 30 अक्टूबर तक जमा कर देना होगा।
इधर विजय पाठक के इस फतवे को पढ़कर, रांची के अधिकांश पत्रकारों में नाराजगी है। पत्रकारों ने इस फतवे को एकसिरे से खारिज करने का ऐलान किया है। वरिष्ठ पत्रकार तथा रांची प्रेस क्लब के कोर कमेटी में शामिल किसलय ने इस निर्णय पर दुख जताया है। उन्होंने कहा कि वे स्वयं कोर कमेटी में शामिल है, और कब कोर कमेटी की मीटिंग होती है, कब निर्णय ले लिया जाता है, उन्हें पता ही नहीं चलता। उन्होंने कहा कि जो भी निर्णय हो, वह सर्वसम्मति से लिये जाये।
उन्होंने कहा कि रांची प्रेस क्लब की सदस्यता प्राप्त करने के लिए 2100 रुपये से कम बर्दाश्त नहीं, इसे मूंछ या सम्मान की लड़ाई नहीं बनाना चाहिए, सभी अपने है, पत्रकारों की क्या समस्याएं होती है? इसे समझने की जरुरत है, ऐसा नहीं कि हम अपने भाइयों की जायज मांग मान लेते है, तो सम्मान चली जायेगी, पर अफसोस है कि यहां गड़बड़ियां हो रही है, और शुरुआत की यह गड़बड़ियां, आनेवाले समय में एक बहुत बड़े विषाद को जन्म दे देगी, जो किसी भी प्रकार से ठीक नहीं है, हमें इस अवरोध को दूर करने का प्रयास करना चाहिए, न कि इसे बढ़ाने का प्रयास।
दूसरी ओर वरिष्ठ पत्रकार एवं रांची प्रेस क्लब के सदस्य गिरिजा शंकर ओझा ने कहा है कि बिना कोर कमेटी की बैठक के इस प्रकार के व्यक्तिगत बयान मर्यादा के प्रतिकूल है, इससे पत्रकारों का हित तो नहीं होगा, बल्कि अहित अवश्यम्भावी है, सभी मर्यादा में रहे, मर्यादित आचरण करें, तभी रांची प्रेस क्लब का सम्मान भी बढ़ेगा अन्यथा नहीं। आज रांची के सभी अखबारों में छपे विजय पाठक के इस बयान ने, पूरे पत्रकार समाज में तनाव को बढ़ाने का काम किया है। इससे माहौल और खराब होगा, न कि बेहतर होगा। उन्होंने कहा कि रांची प्रेस क्लब में शामिल कुछ लोग जो हठधर्मिता अपना रहे हैं, वे स्वयं चिन्तन करें कि उनकी ये हठधर्मिता, रांची प्रेस क्लब को कहां ले जा रही है?
कई पत्रकारों ने www.vidrohi24.com को बताया कि चूंकि अभी दीपावली, चित्रगुप्त पूजा, भैयादूज, छठ जैसे महापर्व का समय चल रहा हैं। ऐसे समय में जब अधिकांश लोग अपने-अपने पर्व-त्यौहार मनाने के लिए रांची से बाहर अपने-अपने गांवों में हैं, वैसे समय में विजय पाठक का यह तुगलकी फरमान, पत्रकारों के क्रोध को और बढ़ायेगा, न कि उनको क्रोध को शांत करेगा।
कई पत्रकारों ने यह भी कहा कि विजय पाठक खुद बताये कि जिस अखबार में वे स्थानीय संपादक है, वहां पर सैलरी किस तिथि को मुहैया करायी जाती है, जहां ज्यादातर अखबारों और चैनलों में 7 से 10 तारीख तक सैलरी मुहैया कराने की परंपरा है, और जहां कई अखबारों में काम करनेवाले लोगों को सैलरी तक नहीं मिलती, जहां रांची के कई चैनलों में तीन-चार महीनों से कई पत्रकारों को वेतन ही नहीं मिले है, वहां इस प्रकार की तुगलकी ऑफर का मतलब क्या होता है?