भारत सरकार ध्यान दें, नहीं तो जिस उद्देश्य से अधिवक्ताओं का मनोनयन किया गया था वह धरा का धरा रह जायेगा और ASGI प्रति उपस्थिति प्रति मुकदमे में दस गुना दर से चुना लगाते रहेंगे
झारखंड उच्च न्यायालय में गत सप्ताह भारत सरकार ने राष्ट्रपति के आदेश से भारत सरकार का पक्ष रखने हेतु कुछ अधिवक्ताओं को मनोनीत किया है जिसमें से कुछ उच्च न्यायालय में भारत सरकार का पक्ष रखेंगे और कुछ सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में। झारखंड उच्च न्यायालय में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल भारत सरकार के सूचीबद्ध अधिवक्ताओं की अध्यक्षता करते हैं और इन्ही के स्तर से भारत सरकार के विरुद्ध दायर मामलों के मुकदमों का अन्य सूचीबद्ध अधिवक्ताओं के मध्य वितरण होता है।
भारत सरकार द्वारा एडिशनल सॉलिसिटर जनरल को प्रति मुकदमों में उपस्थिति के लिए 22000-30000/- रुपए का भुगतान किया जाता है जबकि अन्य सूचीबद्ध अधिवक्ताओं के लिए ये राशि 2200-3000/- मात्र है। मामला यह है कि यदि भारत सरकार के मुकदमों की पैरवी सेंट्रल गवर्नमेंट काउंसिल करते हैं तो भारत सरकार को अधिकतम 3000/- रुपए का भुगतान करना होता है जबकि इसी मामले में यदि ASGI अपीयर करते हैं तो भुगतान 30,000/- तक भारत सरकार को करना होता है।
सूत्र बता रहे हैं कि अब समस्या यह है कि भारत सरकार द्वारा 18 अगस्त को जारी किये गये नये सूची में मनोनीत अधिवक्ताओं के मध्य ASGI द्वारा किसी भी मामले का फाइल का वितरण नही किया जा रहा है, कारण यह कि हर मामले में वो स्वयं उपस्थित होकर 30,000/- रुपया प्रति उपस्थिति के दर से बिल बनाकर भुगतान ले रहे हैं जबकि यही कार्य करने हेतु भारत सरकार ने अधिवक्ताओं का पैनल बनाया है जिन्हे मात्र 3000/-रुपए देय हैं।
ऐसी स्थिति में ASGI जान बूझकर भारत सरकार द्वारा मनोनीत अधिवक्ताओं के मध्य फाइल का वितरण न कर प्रति मुकदमे में प्रति उपस्थिति में 27000/- रुपए के दर से भारत सरकार को चूना लगा रहे हैं और भारत सरकार द्वारा जिस उद्देश्य से अधिवक्ता सूचीबद्ध किए गए थे, वो भी फलीभूत नही हो रहा है।
इसके नेपथ्य का सत्य यह है कि ASGI उक्त सूची में सिर्फ अपने कनीय अधिवक्ताओं और अपनी अनुशंसा पर अधिवक्ताओं का मनोनयन चाहते थे, जबकि भारत सरकार अपने एजेंसी के मार्फत अनुशंसित अधिवक्ताओं का सर्वांगीण जांच कर अनुपातिक और मेधा के आधार पर योग्य पाए जाने के पश्चात पैरवी और पक्षपात के निरपेक्ष अधिवक्ताओं की सूची जारी की है।
यदि ये स्थिति जारी रही तो जिस उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा अधिवक्ताओं का मनोनयन किया गया था वह धरा का धरा रह जायेगा और ASGI प्रति उपस्थिति प्रति मुकदमे में भारत सरकार को दस गुना दर से चुना लगाते रहेंगे। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल कुमार हैं जो पूर्व में न्यायिक अधिकारी थे। कुछ गम्भीर आरोप लगने के उपरांत बर्खास्त होने के डर से इस्तीफा दे कर वकालत शुरू किये थे।