दुमका की अंकिता व निर्भया कोष का उचित इस्तेमाल करने को लेकर संवेदनशील बने सरकार – छाया मिश्रा
दुमका में स्कूल की नाबालिग छात्रा, अंकिता सिंह को जलाकर मार देने की घटना ने एक बार फिर निर्भया कांड की याद ताजा कर दी है। पटना उच्च न्यायालय की वरीय महिला अधिवक्ता और एडवोकेट्स एसोसिएशन की पूर्व संयुक्त सचिव, छाया मिश्रा ने इस घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि अंकिता के साथ न्याय नहीं हुआ।
छाया मिश्रा ने कहा उनके पिता द्वारा यह कहना कि रांची के रिम्स अस्पताल में, जहां उनकी बेटी पांच दिनों तक भर्ती रही, डाक्टर लापरवाह रहे, स्थिति की गंभीरता को बता रहा है। इस बालिका को निश्चय ही बेहतर इलाज के लिए दिल्ली भेजा जाना चाहिए था। छाया मिश्रा का कहना था कि दरअसल न्यायमूर्ति जे एस वर्मा आयोग की सिफारिशों का झारखंड और बिहार में अमल ही नहीं हो रहा, निर्भया कोष जिसमे तीन हजार करोड़ जमा है, इन दो राज्यों में इस राशि का समुचित उपयोग भी नही किया जा रहा है, जो आश्चर्यजनक है।
छाया मिश्रा ने कहा कि झारखंड में मात्र ग्यारह लाख रूपए ही खर्च हुए, झारखंड फिसड्डी साबित हुआ है, यहां पर डायन बताकर महिलाओं पर अत्याचार किया जा रहा है। वन स्टॉप सेंटर सिर्फ रांची में खोला गया है, स्मरण हो, धनबाद में कुछ साल पहले, कॉलेज की एक छात्रा पर भी तेजाब फेंकने से चेहरा जल गया था। इमरजेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम और सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने में भी झारखंड फिसड्डी साबित हुआ है।
बिहार की स्थिति भी निर्भया कोष के मामले में खराब ही है। बिहार जो मुजफ्फरपुर और गाय घाट पटना के शेल्टर होम्स के मामले में बदनाम हो चुका है, सीसीटीवी, इमरजेंसी रिस्पॉन्स सपोर्ट सिस्टम और सीसीटीवी लगाने के मामले में यहां बहुत ही धीमा काम हुआ है, राज्य में १२.२९ करोड़ जो सपोर्ट सिस्टम के लिया तय किया गया था, उस पर एक पैसा भी नहीं खर्च हुआ है। छाया मिश्रा ने दोनों सरकारों से आग्रह किया कि राज्य सरकार संवेदन शील हो तथा इन सरकारों के द्वारा निर्भया कोष का उपयोग पीड़ित बालिकाओ के राहत के लिए उपयोग किया जाए।