राजनीति

राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने झारखण्ड विधानसभा के प्रथम सत्र को किया संबोधित, हेमन्त सरकार ने लिये झारखण्ड हित में कई फैसले, एक लाख 36 हजार करोड़ रुपया वापस लेने को केन्द्र से भिड़ने को भी तैयार

षष्ठम् झारखण्ड विधानसभा के प्रथम सत्र में शामिल सभी सदस्यों को संबोधित करते हुए राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि झारखण्ड विधानसभा की आदर्श परम्पराओं और कीर्ति को आप सबको मिलकर आगे बढ़ाना है, इसके लिए सभी को उनकी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं। उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार के परस्पर सहयोग से ही राज्य की जनता का चहुंमुखी विकास संभव है।

राज्य सरकार संघीय ढांचे की स्वस्थ परम्परा को आगे बढ़ाने का काम करेगी तथा भारत की गरिमामयी विरासत का सम्मान करते हुए कल्याणकारी राज्य की परिकल्पना के अनुरूप जनहित के व्यापक कार्य करेगी। यह सरकार झारखण्ड की मूल चेतना के साथ समावेशी विकास का ध्येय लेकर आगे बढ़ेगी। सरकार बिना किसी द्वेष के वंचितों को विशेष महत्व देने के मानवीय सोच  के साथ सबको उचित अधिकार, सबको सुरक्षा और हर द्वार तक समृद्धि पहुंचाने को प्रतिबद्ध है।

राज्यपाल के अभिभाषण में यह भी सुनने को मिला कि केन्द्र सरकार व उनकी कंपनियों के पास पड़ा झारखण्ड राज्य का बकाया एक लाख 36 हजार करोड़ रुपया वापस लाने के लिए सरकार कानूनी रास्ता भी अपनायेगी। हो, मुंडारी, कुडुख व अन्य जनजातीय भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने की पहल करेगी। सरकार आदिवासी-मूलवासी को स्थानीय नीति बनाकर तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों में शत् प्रतिशत आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है।

पांचवी विधानसभा ने सर्वसम्मति से पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत, आदिवासी को 28 प्रतिशत और दलितों को 12 प्रतिशत आरक्षण देने का विधेयक एवं सरना आदिवासी धर्म कोड को पारित कराकर स्वीकृति के लिए केन्द्र सरकार के पास भेजा है। जो अभी गृह मंत्रालय में लंबित है, वर्तमान में केन्द्र सरकार से इन विषयों को स्वीकृत कराने का हर संभव प्रयास किया जायेगा। वर्षों से खासमहल एवं जमाबंदी की जमीनों पर रह रहे परिवारों को मान-सम्मान के साथ जीने का अधिकार देने के साथ-साथ गैरमजरूवा जमीन पर बसे रैयतों की भूमि जिसकी रजिस्ट्री और रसीद काटने पर वर्ष 2017 में रोक लगा दी गई थी, उसे प्रारंभ कर दिया जायेगा।

राज्य में निबंधित सभी पत्रकारों के लिए प्रशिक्षण, बीमा और पेंशन का अधिकार सुनिश्चित किया जायेगा। सहारा इंडिया से पीड़ित राज्य के निवेशकों की लड़ाई सर्वोच्च न्यायालय से लेकर राज्य के हर न्यायालय और संसद से लेकर सड़क तक हर मोर्चे पर मजबूती से लड़ी जायेगी, जब तक राज्य के सभी निवेशकों का भुगतान न हो जाये। झारखण्ड राज्य के जिन सहारा पीड़ितों ने अपने प्राण गवाएं अथवा दुख या अवसाद में आत्महत्या करने को मजबूर हुए, उनके परिजनों को सरकारी स्तर पर आर्थिक सहयोग प्रदान किया जायेगा। किसानों को 0 प्रतिशत ब्याज पर कृषि ऋण उपलब्ध कराया जायेगा।

मनरेगा के तहत झारखण्ड के मजदूरों को भारत सरकार बहुत कम मजदूरी देती है। इस भेदभाव के खिलाफ संघर्ष करने के साथ-साथ राज्य सरकार अपनी निधि से राज्य के मनरेगा मजदूरों को सहयोग करेगी, जिससे कि उन्हें न्यूनतम 350 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी मिल सकें। राज्य में स्थित सभी नदियों व डैम के पानी का सदुपयोग करने के उद्देश्य से प्रारंभ की गई लिफ्ट इरिगेशन योजना को आगे बढ़ाते हुए 10,000 करोड़ रुपये की योजनाएं प्रारंभ की जायेगी।

राज्य भर में प्रखण्ड स्तर पर 500 सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना होगी, सभी सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में खेल शिक्षक एवं संगीत शिक्षक की नियुक्ति का जायेगी। साथ ही 4,500 पंचायतस्तरीय आदर्श विद्यालय प्रारम्भ किये जायेंगे। राज्य में प्रत्येक प्रखंड में डिग्री कॉलेज एवं प्रत्येक अनुमंडल में पोलिटेक्निक महाविद्यालय की स्थापना की जायेगी। राज्य में दसवीं कक्षा में अध्ययनरतत गुरुजी स्टूडेंड क्रेडिट कार्ड योजना से जोड़ते हुए 15 लाख रुपये तक के शिक्षाऋण की उपलब्धता सुनिश्चित की जायेगी।

सभी प्रखंडों और जिलों में अम्बेडकर के नाम पर लाइब्रेरी सह शिक्षा योजना केन्द्रों की स्थापना की जायेगी। केजी से पीएचडी तक निशुल्क शिक्षा प्रदान की जायेगी। मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत 50 लाख तक का ऋण उपलब्ध कराया जायेगा। राज्य में 60,000 पदों पर शिक्षकों, 15000 पदों पर प्रधानाध्यापकों, विभिन्न कार्यालयों में 2500 पदों पर लिपिकों एवं विभिन्न थानों में 10,000 पुलिसकर्मियों की नियुक्ति की जायेगी। जनजातीय भाषाओं के लिए 10,000 पदों पर भाषा शिक्षकों की नियुक्ति की जायेगी।

राज्य में मदरसा बोर्ड का गठन किया जायेगा। राज्य में अल्पसंख्यक कल्याण बोर्ड व ऊर्दू अकादमी का गठन किया जायेगा। राज्य की सभी नियुक्तियों में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत पद आरक्षित किये जायेंगे। राज्य की सभी महिलाओं को मंईयां सम्मान योजना के तहत सम्मान राशि के रूप में 2500 रुपये हर महीने दिये जायेंगे। आंगनवाड़ी सेविका, आंगनवाड़ी सहायिकाओं, रसोईयां, पोषण सखी, स्वास्थ्य सहिया, जल सहिया आदि के मानदेय में अन्य कर्मियों की तरह वार्षिक वृद्धि की जायेगी।

राज्य में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी सखी मंडल की महिलाओं को पन्द्रह हजार करोड़ रुपये का क्रेडिट लिंकेज उपलब्ध कराते हुए स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जायेंगे। सक्रिय महिला, समन्वयक, कार्यक्रम पदाधिकारी आदि के जेएसएलपीएस से जुड़े सभी कर्मियों के मानदेय में अन्य कर्मियों के अनुरूप वृद्धि की जायेगी। प्रत्येक ग्राम संगठन को 0 प्रतिशत ब्याज दर पर 15-15 लाख रुपये का क्रेडिट लिंकेज उपलब्ध कराया जायेगा।

राज्य के सभी जरुरतमंद परिवारों को पन्द्रह लाख रुपये के अबुआ स्वास्थ्य सुरक्षा योजना से जोड़ा जायेगा। राज्य के सभी गरीब व्यक्ति को प्रति महीने सात किलोग्राम चावल एवं दो किलोग्राम दाल उपलब्ध कराया जायेगा। अबुआ आवास योजना के तहत 25 लाख से अधिक गरीब परिवारों को सुविधायुक्त तीन कमरों का सुंदर आवास चरणबद्ध तरीके से उपलब्ध कराया जायेगा। आंगनवाड़ी केन्द्रों और विद्यालयों के मध्याह्न भोजन में सभी बच्चों को प्रतिदिन अंडा या फल दिया जायेगा।

रांची सहित राज्य के अन्य शहरों में वर्षों पूर्व बनाये गये घरों के नक्शों का नियमितीकरण किया जायेगा। वन विभाग के अंतर्गत इको टूरिज्म डेवलेपमेंट कारपोरेशन का निर्माण करते हुए राज्य के वन क्षेत्रों में पर्यटकों के लिए आवश्यक अवसंरचनाओं का निर्माण एवं संचालन किया जायेगा। राज्यकर्मियों के पुरानी पेंशन को सुरक्षित रखते हुए उनके एनपीएस खाते में जमा राशि को केन्द्र सरकार से वापस लाने हेतु कदम उठाये जायेंगे।

राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में मेडल प्राप्त करनेवाले खिलाड़ियों की सरकारी पदों पर सीधी नियुक्ति की जायेगी। राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में बहुउद्देशीय स्टेडियम सह खेल प्रशिक्षण केन्द्र के निर्माण के साथ-साथ प्रत्येक प्रमंडल में एक-एक स्पोर्टस सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस का निर्माण किया जायेगा। राज्य में फुटबॉल, हॉकी एवं तीरंदाजी जैसे खेलों में उपलब्ध प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के क्षमता विकास के लिए तीन बहुउद्देशीय प्रशिक्षण संस्थानों का निर्माण किया जायेगा। राज्य में एक स्पोर्टस यूनिवर्सिटी की स्थापना की जायेगी।

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