राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को विद्रोही24 की ओर से अभिनन्दन, उनका कार्यकाल प्रत्येक झारखण्डियों को हमेशा याद रहेगा
अभिनन्दन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू जी को, उनका कार्यकाल झारखण्डियों को हमेशा याद रहेगा, उन्होंने प्रेम की एक ऐसी लकीर खींच दी हैं, जिस लकीर को खींच पाना किसी भी राज्यपाल के लिए इतना सामान्य भी नहीं हैं। जिस दिन झारखण्ड के राज्यपाल पद के लिए द्रौपदी मुर्मू का नाम नई दिल्ली ने उजागर किया। जिस दिन झारखण्ड के राज्यपाल के रुप में द्रौपदी मुर्मू ने शपथ ग्रहण किया।
उसी दिन यह भी लिख दिया गया था कि इन्हें एक न एक दिन राज्यपाल के पद से मुक्त भी होना है, कैसे और कब मुक्त होना है, यह भविष्य के गर्भ में था, पर आज कल के भूत ने आज के वर्तमान को बता दिया कि अब झारखण्ड के राज्यपाल रमेश बैस है, हालांकि रमेश बैस ने अभी तक शपथ ग्रहण नहीं किया है, फिर भी चूंकि उद्घोषणा हो चुकी है, इसलिए जो लोग द्रौपदी मुर्मू के जाने के बारे में सुन चुके हैं, वे एक-एक कर द्रौपदी मुर्मू से मिल रहे हैं और उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं प्रकट कर रहे हैं।
हालांकि द्रौपदी मुर्मू के जाने का जब तक उद्भेदन नहीं हुआ था, तब से लेकर पूर्व तक मैंने कई बार कोशिश की, कि मैं राज्यपाल महोदया से मिलूं, पर ये कभी संभव नहीं हो सका, हालांकि मेरे जैसे कई पत्रकार राज्यपाल महोदया से इस दौरान मिले, उनका साक्षात्कार भी लिया और अपने यहां इसे प्रसारित भी किया, लेकिन राजभवन के अधिकारियों/कर्मचारियों के लिए मेरे पास समय नहीं था कि वे राज्यपाल से मुझे मिला सकें। इसके लिए हम कई बार राजभवन स्वयं गये, इ-मेल किया, पत्राचार भी किया। खैर अब वो जा रही हैं, तो अब मिलने से भी क्या होगा?
हां, मैं एक बात जरुर कहुंगा कि द्रौपदी मुर्मू को राज्यपाल पद पर रहने के बावजूद कभी कोई राजनीति छू नहीं सका, हालांकि अंत-अंत तक कई बेईमान राजनीतिज्ञों/दलों ने छीटाकशीं करने की कोशिश की, पर कहा जाता है न कि मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है, वही होता है, जो मंजूरे खुदा होता है, अर्थात् आप किसी की कितनी भी बुराई करें पर उसके अंदर अच्छाई का पिटारा कूट-कूट कर भरा हैं तो आप क्या उसका बिगाड़ लेंगे।
राज्यपाल महोदया ने शिक्षा विभाग व विश्वविद्यालयों को बेहतर बनाने के लिए जो समय-समय पर सभी का मार्गदर्शन किया, वो यहां के लोगों के लिए चिरस्मरणीय रहेगा। हेमन्त सोरेन के कार्यकाल में टीएसी को लेकर उनके पास आया प्रस्ताव, वो भी बिना किसी राग लपेट के उन्होंने हस्ताक्षरित कर दिया, ये राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को भी याद रखना चाहिए।
याद रखना चाहिए, राज्य की जनता को भी राज्यपाल महोदया ने कभी भाजपा के रघुवर दास हो या झामुमो के हेमन्त सोरेन किसी के साथ भेदभाव नहीं किया। जब महिलाओं पर अत्याचार होने लगे तो रघुवर सरकार के शासनकाल में पुलिस महानिदेशक रहे डी के पांडेय को अपने आवास पर बुलाकर क्लास भी लगाई, और जब हेमन्त सोरेन के शासनकाल में महिला अत्याचार बढ़ा तो उन्होंने एम वी राव और नीरज सिन्हा को बुलाकर भी डांट पिलाई। हालांकि इसको लेकर झामुमो के सुप्रिया भट्टाचार्य ने अंगूलियां भी उठाने की कोशिश की, लेकिन उनकी अंगूलियां उठाने की इस फितरत को आम जनता ने ज्यादा भाव नहीं दिया।
राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने एक मां की तरह झारखण्ड की जनता को प्यार व स्नेह दिया, इसके लिए राज्य की जनता में वो बहुत ही लोकप्रिय रहेंगी और लोग आदर से उनका नाम लेंगे। आना-जाना तो लगा ही रहता हैं, पर शिक्षा और महिलाओं-बच्चों के लिए उनके द्वारा किया गया काम लोगों के जेहन में अवश्य बना रहेगा, वो झारखण्ड को बहुत कुछ देकर जा रही हैं, ऐसी राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को विद्रोही24 की ओर से अभिनन्दन।