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न्यूज 11 भारत द्वारा फर्जी मुकदमा किये जाने के खिलाफ आक्रोशित पत्रकार संगठनों का समूह DGP से मिला, दोषियों पर कार्रवाई की मांग

झारखण्ड में किसी भी पत्रकार को झूठे मुकदमें में फंसा देना, उनका मान-मर्दन करना, उन्हें सरेआम बेइज्जत कर देना, धमकी देना, आजकल सामान्य बात हो गई है, और ऐसा करनेवाले वे लोग हैं, जिन्हें उन पत्रकारों से दिक्कत हैं, जिन पत्रकारों ने अपने सत्यनिष्ठता के कारण उन भ्रष्टाचारियों की नींद उड़ा दी है, जिन्होंने झारखण्ड को लूटने में दिन-रात एक कर दी है, चाहे वह किसी भी पेशे में क्यों न हो।

ताजा मामला, रांची के कोतवाली थाने का है, जहां 19 फरवरी को विद्रोही24 डॉट कॉम के संपादक कृष्ण बिहारी मिश्र के खिलाफ बिना जांच किये ही, आनन-फानन में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई। उसमें विभिन्न धाराएं लगा दी गई। जांच अधिकारी नियुक्त कर दिये गये, जबकि जिसने शिकायत दर्ज कराई है, उसके शिकायत को देखें तो साफ पता लग जायेगा, कि शिकायत में झूठ के सिवा सच कुछ हैं ही नहीं, ऐसे भी प्राथमिकी में जिस स्थल का जिक्र किया गया है, उस स्थल से अभी तक सीसीटीवी फूटेज, डीवीआर को कब्जे में नहीं लिया गया है और न ही मोबाइल के सीडीआर निकाले गये हैं, ताकि पता चल सकें कि शिकायतकर्ता ने कितना सच अपने प्राथमिकी में लिखा है।

शायद यही कारण रहा कि पत्रकारों के हितों को लेकर संघर्ष करनेवाली एआइएसएम जर्नलिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन के बंगाल-बिहार-झारखण्ड प्रभारी प्रीतम सिंह भाटिया के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल, जिनमें रांची प्रमंडल के अध्यक्ष नवल किशोर सिंह, सचिव जितेन्द्र ज्योतिषी शामिल थे तथा इंडियन जर्नलिस्ट फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विमल कृष्ण थंब, राष्ट्रीय सचिव बी के सोनी झारखण्ड के पुलिस महानिदेशक नीरज सिन्हा से मिले, तथा इस संबंध में एक ज्ञापन दिया।

ज्ञापन में प्रतिनिधिमंडल ने इस बात का उल्लेख किया है कि “रांची के न्यूज 11 भारत और वरिष्ठ चर्चित पत्रकार के बी मिश्र का मामला तूल पकड़ रहा है, इस मामले में पत्रकार के बी मिश्र पर रंगदारी का एक फर्जी मामला रांची के कोतवाली थाना कांड संख्या 49/21 दर्ज किया गया है, प्रबन्धन और पत्रकार के बीच विवाद होना तो आम बात है, लेकिन कोई पत्रकार अपने हाउस में नौकरी से हटने या हटाये जाने के बाद रंगदारी की मांग करें, यह आश्चर्यजनक ही नहीं हास्यास्पद भी है, इससे भी हास्यास्पद है कि बिना घटना की जांच किए के बी मिश्र पर उक्त थाने में मामला दर्ज कर लिया जाना।”

एआइएसएम जर्नलिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन व इंडियन जर्नलिस्ट फेडरेशन से जुड़े प्रमुख अधिकारियों ने पुलिस महानिदेशक को इस पर स्वयं संज्ञान लेकर मामले की जांच करने तथा दोषियों पर कार्रवाई करने को कहा, पुलिस महानिदेशक ने इन संगठनों को भरोसा दिलाया है कि वे इस मामले को खुद देखेंगे।

इसके बाद इन्हीं सभी मामलों को लेकर एआईएसएम जर्नलिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन व इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने विधानसभा जाकर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को झूठे मुकदमें में फंस रहे पत्रकारों को बचाने के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून के साथ-साथ विभिन्न मांगों को लेकर एक ज्ञापन भी दिया। इसके तुरंत बाद इनका प्रतिनिधिमंडल मंत्री जोबा मांझी तथा विधायक इंद्रजीत महतो से भी मिला। इंद्रजीत महतो ने पत्रकार सुरक्षा कानून के साथ-साथ पत्रकारों से जुड़े अन्य मांगों को लेकर विधानसभा में शून्य काल में अपना पक्ष भी रखा।