मुफ्त की रेवड़ियां बांटनेवालों और सब्जबाग दिखानेवालों को गुजरातियों ने दिया संदेश, मोदी के अलावा दुसरा उन्हें मंजूर नहीं
देश में दो राज्यों गुजरात व हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव, दिल्ली में एमसीडी के चुनाव और विभिन्न राज्यों में हुए लोकसभा और विधानसभा के चुनाव परिणाम बहुत कुछ कह दे रहे हैं। साथ ही संकेत भी दे रहे है कि आनेवाले 2024 के लोकसभा चुनाव में क्या होने जा रहा है? सबसे पहले हम बात करें एमसीडी चुनाव की। यहां भले ही आम आदमी पार्टी 134 सीट जीतकर एमसीडी पर कब्जा कर लें, अपना मेयर बना लें।
पर उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि पन्द्रह सालों तक एमसीडी में पूर्ण बहुमत के साथ रहने और वर्तमान में सत्ता विरोधी लहर के बावजूद एमसीडी में भाजपा ने 104 सीटें जीत ली हैं, भाजपा का यहां 104 सीट जीतना ही बताता है कि भाजपा की यहां बुरी तरह हार नहीं हुई हैं, बल्कि आम आदमी पार्टी ने बहुमत से सिर्फ आठ सीटें अधिक जीती हैं, इससे ज्यादा कुछ नहीं और आनेवाले समय में खुद आम आदमी पार्टी भी अभी से सोच लें कि आनेवाले समय में जब दिल्ली में लोकसभा व विधानसभा के चुनाव होंगे तो क्या होगा? क्या परिणाम आयेंगे?
अब बात देश में लोकसभा की एकमात्र सीट पर जीत दर्ज करनेवाली समाजवादी पार्टी की, भाई भारत एक ऐसा देश है कि यहां कोई भी नेता मरता हैं, चाहे वो छुटभैया नेता हो या बड़ा नेता, जनता उसके मरने के बाद उसके परिवार के किसी न किसी सदस्य को खड़ा होने पर सहानुभूति वोट देकर उसे जीताती ही हैं, इसमें कोई आश्चर्य नहीं और ऐसे में समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी, दिवंगत मुलायम सिंह यादव की बहू डिंपल नहीं जीतेगी तौ कौन जीतेगा? बात तो यहां रामपुर विधानसभा की करिये, जहां 71 साल बाद कमल खिला है, जहां भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना, आजम के करीबी आसिम रजा को 25 हजार से भी अधिक मतों से पराजित किया है।
बात तो बिहार के कुढ़नी की करिये, जहां राजद जदयू और अन्य दलों का महागठबंधन अपने प्रत्याशी जदयू के मनोज कुशवाहा को जीता नहीं सका और वहां भाजपा के केदार गुप्ता ने शानदार जीत दर्ज की, वो भी बिना किसी बड़े नेता के गये। हिमाचल प्रदेश का क्या है? वहां की जनता तो हमेशा उलट-फेर करती है। इसलिए वहां का जनादेश में किसी को आश्चर्य नही होना चाहिए, लेकिन इतना होने के बावजूद भी अगर भाजपा 25 सीट वहां जीत ली तो यह भी कोई कम बात नहीं, लेकिन गुजरात में क्या हुआ? बात तो गुजरात की करनी चाहिए। जहां पहली बार भाजपा ने इतिहास बना डाला, कांग्रेस के रिकार्ड को तोड़ डाला, ये मोदी का मैजिक नहीं तो और क्या है?
यह मत भूलिये कि गुजरात में भाजपा पिछले 27 सालों से हैं। उसके बाद भी गुजरात में भाजपा द्वारा 156 सीट प्राप्त कर लेना, कांग्रेस को 17 सीटों पर रोक देना, आम आदमी पार्टी की सारी हेकड़ी निकालते हुए उसको पांच पर लाकर खड़ी कर उसकी औकात बता देना बताता है, गुजराती लोग आज भी नरेन्द्र मोदी की अपने दिल में बसा रखे हैं। हालांकि आम आदमी पार्टी के नेताओं ने गुजरातियों को दिल्ली वालों की तरह बनाने के लिए खुब फ्री की रेवड़ियों की घोषणा की पर गुजराती कहां से उनके इस फ्री की रेवड़ियों में पड़नेवाले।
यही बात हिमाचल के लोगों पर भी लागू होती हैं, वे भी फ्री की लॉलीपॉप के झांसे में नहीं आये। आप ये भी मत भूलिये कि आम आदमी पार्टी को कई मीडियाकर्मियों ने जमकर उसके पक्ष में प्रचार की तरह उनके न्यूज चलाये। बीबीसी का संवाददाता तो जैसे लगता था कि वो आम आदमी पार्टी की कार्यकर्ता की तरह संवाद संकलन कर रहा था, जबकि बीबीसी हिन्दी द्वारा प्रसारित एक न्यूज में एक वृद्ध गुजराती उसको अपनी बातों से धो डालता है, यह कहकर कि यहां बीजेपी छोड़कर दूसरा कोई नहीं आयेगा, चाहे आप कुछ भी कर लें।
लेकिन बीबीसी के संवाददाता को देखिये, वो उस वृद्ध गुजराती नागरिक को ही समझाने में लग जाता है, यह कहकर कि महंगाई, बेरोजगारी भी तो हैं, अरे भाई महंगाई, बेरोजगारी जनता के लिए हैं न, जनता से तुम बात कर रहे हो न, तो जनता क्या बोल रही हैं, वो देखो न, तुम काहे महंगाई और बेरोजगारी के लिए मरे जा रहे हो, क्या बीबीसी हिन्दी में जहां काम करते हो, वहां के लोग तुम्हें इतने भी वेतन नहीं देते कि तुम्हारा घर चल जाये, आप बीबीसी के इस समाचार को आज भी देखेंगे तो पर्दे के पीछे का खेल पता लग जायेगा।
सच्चाई यह है कि पूरे देश में अभी नरेन्द्र मोदी का कोई विकल्प नहीं हैं। जब भी किसी राज्य में विधानसभा का चुनाव आता हैं और उसमें भाजपा को छोड़कर कोई अन्य पार्टी सत्ता में आ जाती हैं तो मीडिया के लोग उस पार्टी के व्यक्ति को नरेन्द्र मोदी का विकल्प बता देते हैं और फिर शुरु हो जाती हैं, उसका गुणगान। जैसे बंगाल में ममता बनर्जी क्या आ गई, लोगों ने ममता बनर्जी को नरेन्द्र मोदी का विकल्प बता दिया।
कुछ महीने पहले पलटू राम (खुद लालू यादव और उनके बेटे तेजस्वी व तेजप्रताप ही नीतीश कुमार को पलटू राम के नाम से कई बार पुकार चुके हैं, यूट्यूब पर आप इनके पुराने विडियो देख लें) के नाम से विख्यात नीतीश कुमार भाजपा को छोड़कर, राजद से जाकर गले लगे तो सारी की सारी मीडिया उन्हें नरेन्द्र मोदी का विकल्प बताने लगी, वे खुद भी राष्ट्रीय नेता की तरह दिल्ली जाकर कई नेताओं से मिलने लगे, और सच्चाई यह है कि उनकी इस हरकत पर किसी ने उन्हें भाव नहीं दिया और बची-खुची उनकी हसरत केसीआर यानी तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने पटना आकर निकाल दी।
वर्तमान में भारत में पूर्व से लेकर पश्चिम और उत्तर से लेकर दक्षिण तक चले जाइये। सभी जगह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तू-ती बोल रही हैं। यही हाल विश्व के कई देशों की हैं, जहां भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दौरा होता हैं, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आवभगत कुछ अलग प्रकार से होती है। आज पूरा विश्व नरेन्द्र मोदी का मुरीद हैं तो ऐसे ही नहीं हैं या किसी की कृपा पर नहीं। उन्होंने देश को बहुत कुछ दिया है।
धारा 370 हटाकर, जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों की तरह मान्यता दिलाने का काम हो, या तीन तलाक से मुस्लिम महिलाओं की आजादी या राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण या चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को उसकी औकात बताना या यूक्रेन मामले में भारत की स्वतंत्र विदेश नीति के तहत चलना या भारत को रक्षा के क्षेत्र में सशक्त बनाने की तैयारी, ऐसे कुछ मापदंड हैं, जो नरेन्द्र मोदी को वैश्विक नेता बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा देते हैं। ऐसे भी भारत की जनता इतनी मूर्ख नहीं कि उसे नहीं पता कि किसे वोट देने में भारत का फायदा और किसे देने में नुकसान है।
कुल मिलाकर देखा जाये तो गुजरात, हिमाचल और एमसीडी के चुनाव में भाजपा की उपस्थिति ये बताने के लिए काफी है कि आनेवाले लोकसभा चुनाव में भाजपा को केन्द्र की सत्ता से हटा पाना इतना आसां नहीं, बल्कि नामुमकिन है, क्योंकि जनता आज भी मानती है कि राज्य में भले ही किसी और पार्टी को सत्ता सौंप दी जाये, पर केन्द्र के लिए तो भाजपा ही ठीक है, पर जहां गुजरात जैसी जनता होती हैं, वहां तो राज्य के लिए भी भाजपा को ही मान्यता है।