अपनी बात

हा रे बेशर्मों, अपनी मर्जी चलाते-चलाते रांची में गिद्ध टाइप पत्रकारिता की शुरुआत कर दी

हा रे बेशर्मों, कहां से पत्रकारिता का डिग्री लिया है रे, कौन से विश्वविद्यालय का नाम रौशन कर रांची पहुंच गया है रे, ये सब हेडिंग लगाना किसने सिखाया तुमको, ये असंवेदनशीलता कहां से आ गई तुमको, शहीदों और उनके परिवार के प्रति इस प्रकार की धृष्टता कहां से कर गये तुम, अपनी मर्जी चलाते-चलाते रांची के पाठकों को सड़क छाप पत्रकारिता का स्वाद कहां से चखा दिया।

तुमने जो आज अपने दैनिक भास्कर अखबार में शहीदों से संबंधित समाचार फ्रंट पेज पर छाप कर, जो उसकी हेडिंग लगाई, उसे देखने की कोशिश की, समझने की कोशिश की, कि इसका क्या प्रभाव पड़ेगा आमजनमानस पर। ये गिद्ध टाइप की पत्रकारिता कहां से सीख लिये तुम। जरा तुम एक संवेदनशील पाठक के नजरिये से इस हेडिंग को पढ़ो, और बताओ कि क्या तुमने जो ये हेडिंग लगाये हैं, वे सही है – “तीन शहीदों को अंतिम विदाई, गोड्डा में शहीद का हाथ पकड़कर पत्नी को सिंदूर लगवाया, फिर धोया”।

क्या इस प्रकार की हेडिंग सही है? जाओ किसी भी विश्वविद्यालय में जाकर अपने अखबार की यह हेडिंग दिखाओ या किसी बुद्धिजीवी के पास जाकर इस हेडिंग को दिखाओ, अगर वो इस हेडिंग को पढ़कर माथा नहीं पकड़ लिया, तो कहना। तुम्हें तो पता ही नहीं कि समाचार को कैसे जनता के बीच में रखना चाहिए, और चल दिये अखबार निकालने, चल दिये जनता के बीच बकवास करने।

तुमने जो ये हेडिंग लगाये हैं, वो जनता का अपमान है, वो शहीद जवान का अपमान है, वो उनके परिवार का अपमान है, इससे ज्यादा मैं क्या लिखूं, अगर थोड़ा सा भी शर्म है, तो चिन्तन करो, ध्यान करो, समझ में आ जायेगा कि तुमने कितनी बड़ी गलती कर दी। हम जहां रहते है, ऐसी भाषा को लिखने तो दूर, बोलने से परहेज करते हैं, क्योंकि ये असहनीय है, पीड़ा को देनेवाला है, ये अंतर्मन को व्यथित करनेवाला है, पर तुमको इससे क्या मतलब, तुमने तो इसमें भी अपनी मूर्खता रुपी विद्वता घुसेड़ दी और वो चीज हेडिंग में डाल दिया कि कोई भी सभ्य व्यक्ति यह दृश्य देखकर भी, उसे शब्दों में अभिव्यक्त नहीं कर सकता।

मूर्खों, 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस आने जा रहा है, तुम भी अपने यहां महिला दिवस के नाम पर कोई न कोई आयोजन करोगे ही, जरा उन महिलाओं से यह हेडिंग दिखलाकर उनकी प्रतिक्रिया लेना, फिर देखना वो महिलाएं तुम्हें क्या सुनाती है? अगर छपास रोग से पीड़ित महिला होंगी तो उनके उपर इस हेडिंग का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, पर जो सिन्दूर और सिन्दूर के महत्व तथा मांग धोने के अर्थ को जानती है, वो तुम्हें बतायेंगी कि तुमने कितना बड़ा क्रूर मजाक महिला समुदाय के साथ किया, मतलब समझे या और समझाऊं।