अपनी बात

चले थे सचिवालय का घेराव करने लेकिन हेमन्त की पुलिस ने गोलचक्कर पर ही भाजपाइयों के आंदोलन की बैंड बजा दी

पिछले कई दिनों से भाजपा के नेता अपने बहुचर्चित आंदोलन सचिवालय घेराव को लेकर माथा-पच्ची कर रहे थे। युद्धस्तर पर इसकी तैयारी चल रही थी। कहा जा रहा था इस बार हेमन्त सोरेन को सबक सिखा देना है। बता देना है कि भाजपा क्या है? इसके लिए इनके नेता कभी दिल्ली तो कभी रांची में बैठकें कर रहे थे। कभी इनके नेता जमशेदपुर, चतरा, पलामू, गढ़वा तथा रांची के सुदुरवर्ती गांवों में बैठकें कर भाजपा कार्यकर्ताओं को मनाने की कोशिश कर रहे थे।

हालांकि इनकी इस प्रकार की बैठकों में भाजपा कार्यकर्ता उतना भाग नहीं ले रहे थे, फिर भी इनकी पैतरें देखनेलायक थीं। झारखण्ड के भाजपा प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी तो पत्रकारों से बातचीत के क्रम में इस प्रकार की बातें कर रहे थे कि पूछिये मत। बोल रहे थे कि वे हेमन्त सरकार की इस बार ईंट से ईंट बजा देंगे। पर ये क्या इनका सचिवालय घेराव तो रांची के गोलचक्कर पर ही टांय-टांय फिस्स हो गया।

स्थिति ऐसी रही कि भाजपा का एक भी कार्यकर्ता हेमन्त के पुलिस द्वारा बिछाये गये चाक-चौबंद को छेद कर सचिवालय तक पहुंच ही नहीं सका, फिर ले-देकर भाजपाइयों ने मिलकर क्या बयान दे डाला। वो बयान है – शांतिपूर्ण तरीके से भाजपा द्वारा किये जा रहे विरोध प्रदर्शन को हेमंत सरकार पुलिस के लाठियों के दम पर दबाना चाहती है लेकिन भाजपा कार्यकर्ता इनके इस कायराना हरकत से डरने वाला नहीं है, इस सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए और भी मजबूती से संघर्ष करेगा। मतलब रस्सी जल गई, बल नहीं गया। चलो करते रहो संघर्ष कौन मना कर रहा है।

भाजपा की दोरंगी चाल, प्रभात तारा मैदान में ताल पर ताल

चूंकि भाजपा के लोग जानते थे कि इस बार हेमन्त की सरकार है और वो उनके आंदोलन को सबक सिखाने के लिए अच्छी तैयारी कर ली है। ऐसे में उनके किये कराये गये कार्यक्रम पर पानी न फिर जाये, इसके लिए उन्होंने प्रभात तारा मैदान को चुना। जहां एक मंच बनाया गया। मंच पर एक-एक कर सारे प्रमुख नेताओं को बुलाया गया। भाषण दिलवाया गया। ताकि अंत-अंत तक माहौल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ा जाये।

चूंकि जहां यानी गोलचक्कर पर इनके आंदोलन को इतिश्री करने का हेमन्त सरकार द्वारा पूरा प्रयास किया गया था। वहां भाषणबाजी का तो कोई स्थान नहीं था। वहां तो वाटरकैनन, लाठी, अश्रुगैस से स्वागत करने का सारा प्रबंध कर लिया गया था। इसलिए इन नेताओं ने प्रभात तारा मैदान में वो सारी प्रक्रियाएं पूरी कर ली, जो एक आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभाती है।

मतलब मीडिया के लोगों को अपने अखबारों के पृष्ठों को भरने और इलेक्ट्रानिक मीडिया को भी पूरा मसाला मिल जाये, इसका सारा प्रबंध प्रभात तारा मैदान में ही कर दिया गया और जो पूर्णाहूति थी, उसका प्रबंध उन्होंने गोलचक्कर में कर लिया था, क्योंकि वे जानते थे कि हेमन्त की पुलिस सचिवालय तक नहीं जाने देने के लिए हर प्रकार के प्रमुख प्रबंध कर दी है।

ट्रेन व गाड़ियों से लाये गये भाजपाई

अपने इस असफल आंदोलन को सफल बनाने के लिए इस बार भाजपाइयों ने गोड्डा से एक स्पेशल ट्रेन भी चलवाई। विभिन्न स्थानों से लोगों को बुलवायें। प्रभात तारा मैदान में इन्हें लाकर भोज-भात की व्यवस्था भी की गई। इनके रहने की भी व्यवस्था की गई। बाहर से आये भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी इस रइसी का खुब फायदा उठाया। जमकर भोज-भात में शामिल हुए और कुछ इतना खा लिये कि उठ ही नहीं पाये, मतलब इतना आराम करने लगे कि उधर गोलचक्कर पर आंदोलन भी समाप्त हो गया और ये आराम ही करते रहे।

एक महिला पत्रकार तो विद्रोही24 से कहती है कि उन्होंने देखा कि सुबह दस बजे के करीब यहां चार से पांच हजार ही कार्यकर्ता थे। बाद में थोड़ी अच्छी खासी भीड़ दिखी। पर ये ज्यादा लोग आराम करने में ज्यादातर भूमिका निभा रहे थे। मतलब इन्हें आंदोलन से कोई मतलब नहीं था, कई को तो पता ही नहीं था कि सचिवालय कहां हैं और कैसे जाना है?

राजनैतिक पंडितों की नजर में भाजपा का आंदोलन

राजनैतिक पंडितों का कहना है कि राजनैतिक पंडितों की नजर में भाजपा का आंदोलन पूरी तरह से फ्लाप ही माना जायेगा, क्योंकि आपने कहा था कि आप सचिवालय का घेराव करने जा रहे हैं। आप ने ये भी कहा कि आपके सामने हेमन्त सरकार और उनके पुलिस की, की गई किलाबंदी भी ध्वस्त हो जायेगी। आंदोलनकारी जनता के सामने पुलिस की एक न चलेगी, अगर एक न चलेगी तो फिर आप गोलचक्कर पर ही क्यों धराशायी हो गये। वाटरकैनन, अश्रुगैस और लाठी चार्ज से ही तिलमिलाकर भाग खड़े क्यों हुए?

उसका सामना करते हुए आगे जाना था न, पर आप उनके आगे झूके और बुदबुदाते हुए फिर अपने घर को लौट गये, मतलब आपका आंदोलन, इतना करोड़ों खर्च करने के बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा। इससे अच्छा तो झारखण्ड में नयका-नयका नेता बना जयराम महतो कमाल कर रहा हैं, जिसके एक बोली पर हजारों युवा कहीं भी पहुंच जा रहे हैं और सरकार के नाक में दम भी कर दे रहे हैं, पर आप भाजपाइयों, आप तो कही के नहीं रहे।