झारखण्ड में एक मंत्री की औकात ही क्या है, यहां सारा निर्णय सिर्फ दो ही लोग लेते हैं
अगर आप झारखण्ड राज्य में हो रहे विकास की बानगी देखना चाहते हैं तो चले जाइये कोडरमा। वहां जिला मुख्यालय स्थित खनन संस्थान परिसर में लगभग 100 करोड़ की लागत से बन रहे इंजीनियरिंग कॉलेज का निर्माण कार्य चल रहा है। बताया जाता है कि कल निर्माण स्थल पर मानव संसाधन मंत्री डा. नीरा यादव, जो कोडरमा की विधायक है, पहुंची थी। उन्होंने निर्माण स्थल पर चल रहे निर्माण को जब देखना प्रारंभ किया, तो वह आग बबूला हो उठी।
उन्होंने तुरंत वहां मौजूद प्रोजेक्ट मैनेजर को तत्काल काम बंद करने का निर्देश दिया। साथ ही प्रयोग में लाये जा रहे सामग्रियों को वहां से अविलम्ब हटाने का आदेश दिया। मंत्री डा. नीरा यादव की बात माने तो उनका कहना था कि इंजीनियरिंग कॉलेज कोडरमावासियों का सपना है। इसका निर्माण गुणवत्तापूर्ण होना चाहिए, लेकिन निरीक्षण के दौरान सामग्रियों को देखकर पता लगता है कि यहां घटिया किस्म के बालू और स्टोन चिप्स का प्रयोग हो रहा है।
वह यह भी कहीं कि वे इसकी जानकारी मुख्यमंत्री रघुवर दास को भी देंगी, तथा अब तक चले निर्माण कार्य की विशेष जांच कराने तथा एजेंसी पर कार्रवाई करने की बात भी उठायेंगी। मंत्री डा. नीरा यादव का जो बोलना था, बोल दी, इससे ज्यादा यहां कुछ होनेवाला भी नहीं हैं, क्योंकि इस राज्य में मंत्री को कोई आइएएस नहीं पूछता। यहां संबंधित विभाग का सचिव, सीधे मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के ग्रिप में रहता है, और इन्हीं को खुश रखने में वह सारा दिमाग लगता है, क्योंकि वह जानता है कि बस ये दोनों खुश, सारी समस्या खत्म। रही मंत्री की बात तो इस राज्य में एक मंत्री की औकात, सिर्फ अपने आवास पर मंत्री का बोर्ड लगाने और संबंधित फाइल पर हस्ताक्षर करने के अलावा कुछ भी नहीं।
पूरे राज्य में कौशल विकास हो या उच्च शिक्षा को लेकर चल रही विभिन्न योजनाओं का हाल, सबका बंटाधार हैं, सभी में कमीशन का खेल इस प्रकार से चल रहा है कि इन योजनाओं का समय पर पूरा होना तथा उसकी गुणवत्ता बरकरार रखना संभव नहीं, अगर मंत्री डा. नीरा यादव की बात को ही लें, तो क्या समझा जाये कि जो अब तक निर्माण हुए है, उसकी सहीं जांच कराकर, दोषियों को दंडित किया जायेगा, चाहे वह कोई हो, नहीं तो समझ लीजिये कि एक मंत्री की औकात, इस राज्य में क्या है?