सौभाग्यवती महिलाओं के लिए अतिमहत्वपूर्ण पर्व हरितालिका तीज प्रातःकालीन पूजा-अर्चना के साथ संपन्न, बड़ी संख्या में महिलाओं ने भगवान शिव व पार्वती की आराधना में किया समय व्यतीत
बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश व झारखण्ड में सौभाग्यवती महिलाओं के बीच अतिलोकप्रिय पर्व हरितालिका तीज आज प्रातःकालीन पूजन के साथ ही संपन्न हो गया। यह पर्व प्रत्येक वर्ष भाद्रपद शुक्लपक्ष हस्तनक्षत्र युक्त तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन सौभाग्यवती महिलाएं, कुछ जगहों पर अविवाहित लड़कियां भी बड़े मनोयोग से भगवान शिव व पार्वती की आराधना व पूजन करती है।
बताया जाता है कि इस पर्व को सबसे पहले मां पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए अपने सहेलियों के साथ एक निर्जन वन में जहां एक नदी बह रही थी, उसी स्थान पर इस व्रत को संपन्न किया था। उसी के बाद से पार्वती को महादेव की प्राप्ति हुई। तभी ये यह दिन ब्रह्म भाव को प्राप्त हो गया। भगवान शिव के शब्दों में जो स्त्रियां इस व्रत को करती है, उनका सौभाग्य बना रहता है। जो अविवाहित लड़कियां इस व्रत को करती हैं तो उसे शिव के समान ही वर प्राप्त होता है।
बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश व झारखण्ड में जहां ये व्रत हो रहा होता है। उस जगह की छटा देखते बनती है। भाद्रपद शुक्लपक्ष हस्तनक्षत्रयुक्त तृतीया तिथि को बड़ी संख्या में सौभाग्यवती महिलाएं एक जगह ग्रुप में इक्ट्ठा होती है। मिट्टी की शिव व पार्वती की प्रतिमा बनाकर उनका विधिवत् पूजन करती है। फिर सारी रात भजन व गीत गाकर शिव व पार्वती को मनाने में लगाती हैं। ग्रामीण इलाकों में तो इसकी शोभा देखते बनती है। शहरी इलाकों में भी यह दृश्य देखने लायक होता है।