हरिवंश ने गाया – बसो मेरे नैनन में नीतीश कुमार…
व्यक्ति स्वार्थ में कितना नीचे गिरता है?
एक दल द्वारा पत्रकार से सांसद बनने के बाद कैसे कोई पत्रकार अपनी पत्रकारिता के स्वर्णिम काल को अपने ही हाथों से धू-धू कर जलाता है? उसके सुंदर उदाहरण है – हरिवंश।
कल तक प्रभात खबर को शिखर पर ले जानेवाले और दैनिक भास्कर, हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण जैसे अखबारों को धूल चटानेवाला, यह व्यक्ति आज दैनिक भास्कर के पन्नों पर दीख रहा है, इसका मतलब है कि हरिवंश की, दैनिक भास्कर ग्रुप से समझौता हो चुका है, वे दैनिक भास्कर के आगे नतमस्तक हो चुके है। बधाई, दैनिक भास्कर टीम को, कि उसने झारखण्ड व बिहार के इस शख्स को अपने आगे झूकने पर मजबूर कर दिया। अब ये दोनों (अखबार और हरिवंश), सहजीविता के अनुसार एक दूसरे का फायदा उठायेंगे, एक नीतीश भक्ति का प्रदर्शन करते हुए, नीतीश कुमार की दैनिक भास्कर के माध्यम से ब्रांडिंग करेगा, दूसरा यानी अखबार इसके बदले नीतीश कुमार से उपकृत होगा और बदले में ढेर सारा विज्ञापन तो प्राप्त होगा ही, अलग से बाद में विशेष प्रकार से हरिवंश की तरह बाद में उपकृत भी होगा। ऐसी चल रही है पत्रकारिता, बिहार और झारखण्ड में। ऐसे में पत्रकारिता में आनेवाली पीढ़ी, कैसे देश व समाज का मान रखेगी, यह सवाल उन पत्रकारों को कष्ट पहुंचा रहा है, जिन्होंने पत्रकारिता को ही ईमान और धर्म समझ कर, जिंदगी भर पत्रकारिता की…
नीतीश के अलावा कोई रास्ता नहीं
जरा देखिये आजकल हरिवंश दैनिक भास्कर में खूब लिख रहे है, ठीक उसी प्रकार, जैसे मीराबाई की एक रचना है- बसो मेरे नैनन में नंदलाल, ठीक इसी के तर्ज पर वे नीतीश कुमार के आगे बलिहारी भी जा रहे है और कह रहे है – बसो मेरे नैनन में नीतीश कुमार। ऐसे तो उनकी लेखिनी गजब है ही, ऐसा वे करेंगे, हमने कभी सोचा नहीं था। जब उन्हें पहली बार जदयू नेता नीतीश कुमार के सौजन्य से, जदयू का राज्यसभा का टिकट मिला था, तब हमने उसी वक्त फेसबुक पर लिखा था – जैसे भारत की ज्यादातर पवित्र नदियां अंततः सागर में जाकर, विलीन हो जाती है। ठीक उसी प्रकार भारत में पत्रकारिता कर रहे ज्यादातर पत्रकार जीवन के अंतिम दौर में राज्यसभा जाकर, स्वयं को उसी में विलीन कर देते हैं। इधर देखिये – हरिवंश राज्यसभा पहुंच गये, अब दूसरा चरण भी उनके पक्ष में हो, इसकी तैयारी अभी से ही उन्होंने शुरु कर दी। दैनिक भास्कर में नीतीश भक्ति की शुरुआत कर। याद करिये इंदिरा गांधी का शासनकाल। उनके शासन काल में एक सलोगन बहुत हिट था। राज्य सरकार के पथ परिवहन विभाग की बसों तथा निजी ट्रकों पर खुब देखने को मिलता था – परिश्रम के अलावा कोई और रास्ता नहीं। हरिवंश ने इसी नारे को अपने लिए सिर्फ पहला शब्द बदलकर पूरा किया। नीतीश के अलावा कोई रास्ता नहीं।
जरा देखिये, हरिवंश ने दैनिक भास्कर में क्या लिखा है?
हरिवंश ने नीतीश भक्ति में लिखा है कि सरकारें समाज सुधार का काम नहीं करतीं, पर नीतीश ने किया, यानी हरिवंश ने नीतीश कुमार को समाज सुधारक की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया। आगे क्या लिखा है, वह भी देखिये – बिहार में शराब को रोकने का जो सख्त कानून बना, उसमें भी बिहार अकेला ही है। अब सामाजिक सुधार के अन्य कामों अभियानों में बिहार मार्गदर्शक की भूमिका में है। सरकार का परिवार कल्याण विभाग नोडल सेंटर बनाया गया है। 2 अक्टूबर से बिहार सरकार दहेजरहित विवाह अभियान को बढ़ावा दे रही है। पांच लाख हेल्प सेल्फ ग्रुप है। एक ग्रुप में आठ महिलाएं। चालीस लाख महिलाएं बाल विवाह, दहेज प्रथा के खिलाफ मुहिम चलायेंगी। हर गांव में घर-घर जाकर, जिसे राज्य सरकार का समर्थन होगा। देश के किन राज्यों में सरकार की अगुआई में ऐसे सामाजिक अभियान चल रहे है? कहां शराबबंदी के लिए करोड़ों ह्यूमन चेन बना रहे है?
बिहार में आज भी शराब बिक रही है और लोग धड़ल्ले से इसका उपयोग कर रहे हैं…
अब हम आपको बता दें कि यह सबसे बड़ा सफेद झूठ है कि बिहार में शराबबंदी है, स्थिति यह है कि अब यह शराबबंदी पुलिस पदाधिकारियों के कमाई का एक बहुत बड़ा जरिया बन गया है। जमकर पुलिस पदाधिकारियों की देखरेख में शराब का धंधा फल-फूल रहा है, नहीं तो हरिवंश समय दें, नीतीश कुमार मेरे साथ चलें, हम बताते है कि कहां-कहां लोग शराब पी रहे है और कहां से ये शराब आता है, बेशर्मी की हद है भाई। भगवान होगा नीतीश कुमार आपके लिए, आप भजते रहे नीतीश-नीतीश, पर आपको क्या अधिकार है? कि अखबार के माध्यम से लोगों का माइंड वाश करें। इसी तरह ये ताल ठोकना कि, है कोई सरकार जिसने सामाजिक अभियान चलाएं। अरे हम आपको बता देते है कि बहुत सारी ऐसी सरकारें हैं, जो बहुत अच्छा काम कर रही है, झारखण्ड में भी कई काम अच्छे हुए है, पर आपको सूझेगा कैसे? क्योंकि आपकी महत्वाकांक्षा थी राज्यसभा जाने की, झारखण्ड की सरकार ने पूरा नही किया और आपने इसकी क्लास ले ली, स्वयं कभी मंत्री रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने एक प्रेस कांफ्रेंस में आपकी पोल खोल दी थी।
हरिवंश के आलेख छापने में दैनिक भास्कर ने ईमानदारी नहीं दिखाई
जरा दैनिक भास्कर को देखिये, इनकी आलेख को यह कहकर छाप रहा है कि ये इनके निजी विचार है। उपर में फोटो देकर लिख रहा है कि राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ पत्रकार। अरे दैनिक भास्कर वालों, थोड़ा शर्म करों, नीचे या उपर यह भी तो लिखो कि लेखक जदयू कोटे से राज्यसभा का सांसद है, ताकि लोगों को पता चले कि नीतीश के प्रति, उक्त सांसद या वरिष्ठ पत्रकार की भक्ति क्यों है? क्यों जनता की आंखों में धूल झोंक रहे हो, ऐसे तुम्हारी मर्जी भी कम नहीं, क्योंकि तुम्हारा तो नारा ही है, अब चलेगी, आपकी मर्जी। फिलहाल चल रही है, तुम्हारी मर्जी अर्थात् हरिवंश और दैनिक भास्कर की दोस्ती पक्की वाली कहानी की अद्भुत मर्जी।