अपनी बात

क्या सचमुच CM नीतीश कुमार मानसिक संतुलन खो चुके हैं? जैसा कि EX-CM जीतन राम मांझी ने कहा, क्या मुख्यमंत्री का व्यवहार ऐसा ही होना चाहिए, जैसा कि नीतीश प्रकट कर रहे हैं?

क्या सचमुच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मानसिक संतुलन खो चुके हैं? जैसा कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा, क्या एक मुख्यमंत्री का व्यवहार वो भी सदन में ऐसा होना चाहिए, जैसा वर्तमान में नीतीश कुमार प्रकट कर रहे हैं, अगर ऐसा हैं तो यह पूरे बिहार के लिए चिन्तनीय हैं।

नीतीश का क्या है? वे आज हैं, कल नहीं रहेंगे, पर जो बिहार पर दाग लग रहा हैं, वो कलंक बिहारियों पर सदा के लिए लग जायेगा। आनेवाला भविष्य बिहार और बिहारवासियों पर अवश्य सवाल दागेगा, कि बिहार में एक ऐसा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हुआ, जिसे सदन में बोलने का तरीका तक मालूम नहीं था।

आज ही की बात लीजिये। सदन में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी अपनी बात रख रहे हैं और उनकी प्रतिक्रिया में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार क्या कह रहे हैं, सुन लीजिये। मैं तो कहुंगा कि स्वयं नीतीश कुमार को भी वो अपना आज का वक्तव्य सुन लेना चाहिए। नीतीश कुमार को पिछले तीन दिनों का सदन में दिया गया वक्तव्य भी एक बंद कमरे में स्वयं सुनना चाहिए और विश्लेषण करना चाहिए।

खुद का मूल्याकंण भी करना चाहिए कि वे वहीं नीतीश कुमार है, जिसे बिहार की जनता ने लालू प्रसाद यादव का विकल्प चुना था। क्या ये वही नीतीश कुमार है, जिसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लालू प्रसाद के सामने खड़ा किया या कोई दूसरा नीतीश कुमार अब आ गया है, जिसे बोलने की तमीज ही नहीं, वो अपने सामने खड़े किसी भी व्यक्ति को इज्जत नहीं करेगा, इसका संकल्प कर चुका है।

क्या आप अपने सीनियर्स से ऐसा ही व्यवहार करेंगे। आप खुद कह रहे हैं कि मेरी मूर्खता के कारण वो (जीतन राम मांझी) मुख्यमंत्री बन गया। मतलब जिस भी वजह से जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री बने हो, पर आप स्वीकार कर रहे हैं, वो भी सदन में और सदन का तो रिकार्ड भी होता है कि आप मूर्ख हैं।

हालांकि जीतन राम मांझी ही नहीं बल्कि सभी ये स्वीकार करते है कि आप उन्हें बिहार का मुख्यमंत्री इसलिए बनाया था कि वे आपके इशारे पर बिहार की सत्ता संभाले, यानी रिमोट आपके पास रहे और आप रिमोट के सहारे जैसे पाये वैसे उन्हें नचाते रहे, जैसा कि सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह के साथ किया।

लेकिन आप भूल गये कि मनमोहन सिंह और जीतन राम मांझी में आकाश जमीन का अंतर है। जीतन राम मांझी दलित हैं पर वे आपसे बहुत अच्छे हैं, सदन में कोई ऐसी बात आपके सम्मान के खिलाफ नहीं कही, जिसको लेकर उन्हें कटघरे में खड़ा किया जा सकें। लेकिन आपने तो सारी मर्यादाएं लांघ दी।

आपने तुम-ताम तक कर दिया। अरे-तरे तो आपकी शब्दावली क्या होठों पर रहती है। स्वयं पीएम की लालसा में क्या से क्या बन बैठे हैं और दूसरों को गवर्नर बनने-बनाने का ताना मार रहे हैं। आपकी यही स्थिति रही तो बिहार तो आपके हाथ से कब का चला गया। आनेवाले समय में आपकी प्रतिष्ठा भी नहीं रहेगी।

नहीं तो, बिहार सदन में सेक्स ज्ञान देने के बाद बिहार की महिलाएं और आज जीतन राम मांझी के साथ क्या व्यवहार किया उसके बाद दलित आपके प्रति क्या सोच रख रहे हैं, वो आपको जल्द पता लग जायेगा। आप जो सोच रहे है कि आरक्षण कार्ड खेलकर बिहार पर कब्जा कर लेंगे और लोकसभा में नरेन्द्र मोदी का तख्ता पलट देंगे तो आप सचमुच में वहीं हैं, जो आपने आज बिहार विधानसभा में खुद के लिए बात कही।

जिसे मैं फिर से बता देता हूं, आपने स्वीकारा कि आपकी मूर्खता की वजह से जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री बन गये। मतलब आपने खुद को बढ़िया पहचाना है। इसके लिए हृदयतल से बधाई। अंत में हो सकें तो बेहतर ज्ञान व बुद्धि के लिए थोड़ा तेजस्वी के पास बैठिये, क्योंकि सदन में अपनी बात कैसे रखी जाती हैं, कम से कम वो आपसे बेहतर जानता है।