राजनीति

मगही, भोजपुरी से नफरत और उर्दू से मोहब्बत नहीं चलेगा, क्षेत्रीय भाषाओं को अपमानित करनेवाले CM हेमन्त मांगे माफी – भानू प्रताप

हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर हिंदी की उपभाषा मगही भोजपुरी बोलने वालों को बलात्कारी बताए जाने पर भारतीय जनता पार्टी के विधायक भानू प्रताप शाही आज मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के खिलाफ जमकर बरसे। प्रदेश कार्यालय में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए विधायक भानू प्रताप शाही  ने कहा कि पंथ मजहब के आधार पर भाषा को बांटना उचित नहीं है। उन्होंने कहा  कि मगही भोजपुरी भाषा से नफरत और पाकिस्तानी भाषा उर्दू से प्यार कैसा है, यह मुख्यमंत्री जी स्पष्ट करें।

उन्होंने कहा कि हेमन्त सोरेन नमाज नीति के तहत धर्म से धर्म और अब भाषा को भाषा से लड़ाना चाहते हैं। भाजपा इसकी घोर निंदा करती है। यह नियोजन नीति के अंदर तुष्टिकरण है। किसी को भी भाषा के आधार पर बलात्कारी, दुष्कर्मी बताना, असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि नियोजन नीति में मैथिली, अंगिका, भोजपुरी व मगही को तुष्टिकरण के तहत हटा दिया गया। मुख्यमंत्री ने हिंदी का अपमान करने का कार्य किया है।

उन्होंने कहा कि जनजातीय भाषा की पढ़ाई की वस्तु स्थिति को लेकर विस् में सत्र के दौरान झामुमो के विधायक सीता सोरेन ने प्रश्न किया था, जिसपर सरकार ने जवाब दिया था कि जनजातीय भाषा की पढ़ाई की योजना तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि इससे स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में सिर्फ और सिर्फ उर्दू पढ़ने वाले युवाओं को रोजगार दिए जाने की नीति है।

इससे अन्य क्षेत्रीय भाषा पढ़ने वाले लोगों को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। यह सीधे सीधे तुष्टिकरण की नीति को परिभाषित कर रहा है। साथ ही तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों में आदिवासी मूलवासी को बाहर रखने की तैयारी है। श्री शाही ने कहा कि एक भाषा बोलने वाले को बलात्कारी कहना मुख्यमंत्री के तुष्टिकरण की नीति को दर्शाता है।

हेमन्त सोरेन ने झारखंड के जनजातीय, आदिवासी, मूलवासी, हिंदीवासी के भावनाओं को आहत किया है। उन्होंने पूछा कि मुख्यमंत्री जी बताएं कि उनके विधायक मिथिलेश ठाकुर, सुदिव्य कुमार, कांग्रेस के उमाशंकर अकेला, अम्बा प्रसाद,  कुमार जयमंगल, बन्ना गुप्ता, पूर्णिमा नीरज सिंह, बादल पत्रलेख, दीपिका पांडेय जी के बारे क्या ख्याल हैं, जो मगही भोजपुरी जैसे क्षेत्रीय भाषा का प्रयोग करते हैं।

उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय भाषा बोलने वाले भी झारखंड की लड़ाई लड़े हैं। उन्होंने कहा कि 1993 में नरसिम्हा सरकार में झारखंड आंदोलन बेचने वालों की यहां सरकार है। हेमन्त सोरेन वैसे दलों के साथ सरकार चला रहे हैं जो झारखंड आंदोलन का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि हेमन्त सोरेन हिन्दू का विरोध करते करते हिंदी के विरोध में उतर आए हैं, हेमन्त सोरेन प्रदेश की जनता से माफी मांगे। हिंदी भाषा-भाषी से माफी मांगे व कांग्रेस राजद अपना स्टैंड स्पष्ट करें।

प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए प्रदेश उपाध्यक्ष व पूर्व विधायक गंगोत्री कुजूर ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने हिंदी भाषा पर टिप्पणी किया है, आज हिंदी दिवस के मौके पर हिंदी भाषा की तौहीन की गई है। हेमन्त सोरेन ने असंवैधानिक भाषा का प्रयोग किया है।