इन्दिरानगर-कल्याणनगर बस्तियों के 150 घरों को तोड़ने के मामले में एनजीटी में हुई सुनवाई, प्रतिवेदन शपथ पत्र दोबारा दायर करने के आदेश, 21 अक्टूबर को फिर से सुनवाई
भुईयांडीह की इन्दिरानगर-कल्याणनगर बस्तियों के 150 घरों को तोड़ने के संबंध में जारी नोटिस के विरूद्ध बस्तीवासियों द्वारा एनजीटी की कोलकाता बेंच में दायर आवेदन पर सोमवार को सुनवाई हुई। बस्तीवासियों की ओर से सर्वोच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता संजय उपाध्याय ने बेंच के समक्ष तर्क दिया कि पूर्वी सिंहभूम जिला के उपायुक्त ने न्यायालय के समक्ष संयुक्त जांच समिति का जो प्रतिवेदन शपथ पत्र दाखिल किया है, उसका अनुलग्नक-2 पठनीय है ही नहीं। इस अनुलग्नक में ही प्रशासन का कहना है कि उन गृहस्वामियों के नाम दिये गये हैं, जिन्होंने नियमों का उल्लंघन किया है।
कोर्ट की कार्यवाही के संबंध में जमशेदपुर पूर्व के विधायक सरयू राय ने बताया कि संजय उपाध्याय ने कोर्ट में कहा कि जब यह प्रतिवेदन पढ़ने लायक ही नहीं है, तब इस पर विचार कैसे किया जा सकता है? इस पर न्यायालय ने पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त का शपथ पत्र मांग कर देखा और सरकारी अधिवक्ता को फटकार लगाई कि न्यायालय के सामने दायर शपथ पत्र पठनीय होना चाहिये। एनजीटी ने सरकारी वकील को निर्देश दिया कि पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त एनजीटी के सामने दोबारा शपथ पत्र दायर करें। अब मुकदमे की अगली तारीख यानी 21 अक्टूबर 2024 तक, पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त को न्यायालय के सामने पुनः शपथ पत्र दायर करना है।
श्री राय ने बताया कि झारखण्ड सरकार के मुख्य सचिव ने अभी तक एनजीटी के सामने अपना शपथ पत्र दायर नहीं किया है। झारखण्ड सरकार के वकील ने इसके लिए एनजीटी से समय मांगा। उन्हें भी 21 अक्टूबर, 2024 तक शपथ पत्र दायर करने के लिए एनजीटी ने कहा है। भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने भी इस संबंध में भी अपना शपथ पत्र दायर नहीं किया है। उन्हें भी 21 अक्टूबर, 2024 तक शपथ पत्र दायर करने का समय मिल गया।
श्री राय ने एनजीटी द्वारा दोबारा शपथ पत्र दायर करने का निर्देश पूर्वी सिंहभूम उपायुक्त पर दिये जाने पर संतोष व्यक्त किया है और उम्मीद जताई कि जिला प्रशासन 21 अक्टूबर तक बस्तीवासियों के विरूद्ध किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं करेगा। इस संबंध में वह उपायुक्त से मिलकर भी बात करेंगे।
श्री राय ने बताया कि बस्तीवासियों के वकील संजय उपाध्याय ने एनजीटी से मांग की है कि बस्तीवासियों को झारखण्ड सरकार के आदेश से राहत दिलाई जाय। जब एनजीटी के सामने दोबारा शपथ पत्र 21 अक्टूबर तक जिला प्रशासन दायर करेगा और वह पठनीय होगा, तभी इसके बारे में आगे की कार्यवाही होगी, एनजीटी में इस मामले में सुनवाई होगी।
श्री राय ने कहा कि 30 जनवरी, 2024 के अपने आदेश के जिन बिन्दुओं पर एनजीटी ने स्पष्ट कहा है कि यदि किसी व्यक्ति ने इस मामले में नियमों का उल्लंघन किया है तो उसकी सूचना प्रशासन को दी जाए ताकि उसे भी पक्षकार बनाकर उसका पक्ष सुना जा सके। आश्चर्य है कि इस स्पष्ट आदेश की आड़ में पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन बस्तीवासियों को उनके घर तोड़ने के संबंध में नोटिस जारी कर रहा है। यह कहीं से भी उचित नहीं है। पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त द्वारा नये सिरे से शपथ पत्र दायर करने के बाद इस बिन्दु पर बस्तीवासियों का पक्ष एनजीटी में उनके अधिवक्ता संजय उपाध्याय रखेंगे।